Site icon Learn2Win

Essay on Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण से पहले हमें यह समझना होगा कि प्रदूषण क्या होता है. दूषित पदार्थो के कारण प्रकृति में जो समस्या उत्पन्न होती है, उसे प्रदूषण कहते हैं, और जब पर्यावरण के सभी घटक यथा वायु, जल, मृदा आदि प्रदूषित होने लगते हैं तो वे पर्यावरण प्रदूषण की श्रेणी में आ जाते हैं. हमारे चारों और की चीजों को हमारा पर्यावरण कहा जाता है. यह जीवों और वनस्पतियों की दुनिया के साथ भूमि, जल, वायु का एक संयोजन है. प्रकृति द्वारा सभी युगों के दौरान बनाए गए वातावरण में एक अद्भुत संतुलन रहा है, और यह पृथ्वी पर जीवन का निर्वाह करता है. लेकिन मनुष्य सबसे बुद्धिमान प्राणी है जिसने अपने लाभ के लिए प्रकृति का दोहन करने की कोशिश की है. उन्होंने अपने तरीके से संसाधनों का उपयोग करने के लिए आविष्कारशील कौशल को लागू किया है. इसने प्रदूषण के लिए पारिस्थितिक संतुलन को वितरित किया है. हमारी तथाकथित प्रगति और समृद्धि के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने की हमारी इच्छा ने हमारे पर्यावरण को नष्ट कर दिया है जिससे हमारे लिथोस्फीयर, वायुमंडल, जलमंडल और जैवमंडल को बहुत नुकसान पहुंचा है, हम निश्चित रूप से भविष्य में परेशानी में पड़ जाएंगे, इसलिए हमें किसी भी कीमत पर अपने पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 1 (150 शब्द)

प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना, न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना, दोस्तों जैसा की हम सभी जानते है, पर्यावरण प्रदूषण आज की सबसे बड़ी Problem है. जिसके लिए सभी का जागरुक होना अति आवश्यक है. आज के समय में भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में Pollution एक बड़ा पर्यावरणीय मुद्दा बन चूका है जिसके बारे में हर किसी को पता होना चाहिए, माता-पिता को प्रदुषण के प्रकार, कारण और रोकथाम के बारे में पता होना चाहिए ताकि वो अपने बच्चो को इसके बारे में बता सके, Pollution आज दुनिया की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है. प्रदूषण से तात्पर्य गंदगी से है और प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होने से है. Pollution की गिरफ्त में आज पूरा मानव समुदाय ही नहीं बल्कि सभी जीव-जन्तु और वनस्पति भी इसकी चपेट में हैं। आज के समय में लगातार प्रदूषण बाद रहा है जिसका प्रभाव सीधा हमारे जीवन पर पद रहा है, Pollution से होने वाले दुष्प्रभावों को हर तरफ देखा जा सकता है. वहीं पिछले कुछ दशकों से प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि, जिससे मानव जीवन खतरे में पड़ गया है. वहीं अगर इस Problem पर जल्द गौर नहीं किया तो वो दिन दूर नहीं जब Pollution की वजह से रोजाना किसी न किसी की मृत्यु होगी और दुनिया का आस्तित्व ही खत्म हो जाएगा, प्रदूषण के Negative प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से स्कूल, कॉलेजों में इसके लिए बच्चों को जागरूक किया जाता है और इस विषय पर निबंध लेखन प्रतियोगिता भी आयोजित करवाई जाती है, जिससे लोग इससे होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जान सके और इससे बचने के उपायों की जानकारी प्राप्त कर सकें।

पर्यावरण वह परिवेश है जिसमें हम रहते हैं। लेकिन प्रदूषकों द्वारा हमारे पर्यावरण का प्रदूषण पर्यावरण प्रदूषण है. पृथ्वी का वर्तमान चरण जो हम देख रहे हैं, वह पृथ्वी और उसके संसाधनों के सदियों के शोषण का कारण है. इसके अलावा, पर्यावरणीय प्रदूषण के कारण पृथ्वी अपना संतुलन बहाल नहीं कर सकती है. मानव बल ने पृथ्वी पर जीवन का निर्माण और विनाश किया है, मानव पर्यावरण के क्षरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, पर्यावरण संपूर्ण वाह्य परिस्थितियों एवं प्रभावों का जीवधारियों पर पड़ने वाला सम्पूर्ण प्रभाव है जो उनके जीवन विकास एवं कार्य को प्रभावित करता है, पर्यावरण प्रदूषण आज हमारे ग्रह पर मानवता और अन्य जीवन रूपों का सामना करने वाली सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है. पर्यावरण का साफ़ रहना हम सभी के लिए बहुत ही आवश्यक है, पर्यावरण प्रदूषण को पृथ्वी / वायुमंडल प्रणाली के भौतिक और जैविक घटकों के संदूषण के रुप में परिभाषित किया जाता है. दोस्तों जैसा की आप सभी जानते है, सामान्य पर्यावरणीय प्रक्रियाएं प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती हैं। प्रदूषक प्राकृतिक रूप से पदार्थ या ऊर्जा हो सकते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में होने पर उन्हें Corrupted माना जाता है. प्राकृतिक संसाधनों की किसी भी दर का उपयोग प्रकृति द्वारा स्वयं को पुनर्स्थापित करने की क्षमता से अधिक होने पर वायु, जल और भूमि के प्रदूषण का परिणाम हो सकता है, दोस्तों इसलिए आज हमारे लिए बेहद जरूरी हो गया है की प्रदूषण की समस्या पर लगाम लगाया जाये और ज्यादा से ज्यादा लोगों का इसकी तरफ ध्यान आकर्षित की जाये।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 2 (300 शब्द)

आजकल प्रदूषण पर्यावरण में बहुत अधिक हो रहा है और कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो इस पर ध्यान नहीं दे रहा है. हमें मनुष्य के रूप में यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रकृति इस कारण है, कि हम इस पृथ्वी पर रह रहे हैं यदि प्रकृति प्रदूषित है तो एक भी मनुष्य इस पृथ्वी पर जीवित नहीं रह सकता है। जैसा कि आप सभी जानते है, पर्यावरण का मतलब है. हमारे चारों ओर का वातावरण, जिसमें वायु, जल और मिट्टी है. हम इन तीनों चीजों से घिरे हुए हैं. ये तीनों चीजें सजीवों के लिए आधार तत्व हैं. जब मिट्टी, जल और वायु हमारे लिए हितकर के बजाय अहितकर हो जाएं, तो उसे ‘पर्यावरण प्रदूषण’ यानी Environmental Pollution कहा जाता है. दूसरे शब्दों में, प्राकृतिक संसाधनों का अनुपयुक्त हो जाना ही ‘प्रदूषण’ कहा जाता है. दोस्तों आज के समय में हम सभी को आपने पर्यावरण को बचने की जरुरत है, आज हमारा पर्यावरण बहुत ही बुरे दौर से गुजर रहा है, आये दिन पढ़ते रहते हैं कि हवा का मानक स्तर मनुष्य के लिए निर्धारित स्तर से ऊपर हो गया है और यह मनुष्य के लिए खतरनाक है. इसलिए प्रदूषण की समस्या पर लगाम लगाने की जरुरत है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसकी तरफ ध्यान देने की जरूरत है।

पर्यावरण प्रदूषण हमारे जीवन की सबसे बड़ी समस्या है। हम एक प्रदूषित दुनिया में रह रहे हैं जहाँ हवा, पानी, भोजन, आदि जिस पर हम रहते हैं वह प्रदूषित है. वैज्ञानिकों ने पर्यावरण प्रदूषण के खतरों को सूचीबद्ध किया है और दुनिया भर की सरकारें इसके बारे में चिंतित हैं. वास्तव में, ऐसी स्थिति के लिए मनुष्य स्वयं जिम्मेदार है. अपनी अज्ञानता में, वह अब तक प्रकृति, पेड़ों और जंगलों के धन को नष्ट कर रहा है. पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए तत्काल नियंत्रण की आवश्यकता है. वनीकरण पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है. पेड़ों की अनधिकृत कटाई की जांच की जा रही है, हमारे धुएं और धुएं के प्रभाव को कम करने के लिए वैज्ञानिक तरीके विकसित कर रहे हैं।

प्रदूषण शब्द का अर्थ है चीजों को गड़बड़ाना, वर्तमान में हम खतरनाक रूप से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से घिरे हुए हैं, और यह समस्या भविष्य में हमारे लिए घातक भी हो सकती है. इस भयानक सामाजिक समस्या का मुख्य कारण औद्योगीकरण वनों का वनों की कटाई और शहरीकरण है जो प्राकृतिक संसाधनों को दूषित करते हैं, जिनका उपयोग सामान्य जीवन की दैनिक आवश्यकताओं के रूप में किया जाता है, सड़कों पर गाड़ियों के अत्यधिक उपयोग के कारण, पेट्रोल और डीजल की अधिक बर्बादी होगी और गाड़ियों से निकलने वाले धुएँ से वायु प्रदूषण होता है. स्वच्छ और शुद्ध वातावरण में रहने से न सिर्फ मानव का विकास होता है, बल्कि स्वस्थ समाज का भी निर्माण होता है. यहां शुद्ध वातावरण से तात्पर्य, प्रदूषण रहित वातावरण से है. वहीं जब तक सभी मिलकर वातावरण को स्वच्छ रखने में मद्द नहीं करेंगे तो हर तरफ गंदगी होगी और प्रदूषण फैलेगा, प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए इससे पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव और इससे बचने के उपायों के बारे में जानना बेहद आवश्यक है, तभी लगातर बढ़ रहे प्रदूषण पर रोक लगाई जा सकेगी।।

दोस्तों इस बात में को दोहराई नहीं की इंसान बहुत ही सुवार्थी होता जा रहा है, वह आपने थोड़े से फायदे के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहता है, आज हमारे पर्यावरण के दूषित होने के पीछे भी मनुष्य का सुहारद ही है, दरअसल, हम बिना सोचे-समझे अपनी सुख-सुविधाओं के लिए अपनी प्रकृति का हनन करते हैं, जिसकी वजह से कई तरह की गंभीर समस्याएं पैदा होती जा रही हैं। जिसके बारे में हम सोच भी नहीं रहे है, और अगर हम सोच रहे है तो भी उस चीज़ पर लगाम नहीं लगा रहे है, दोस्तों आज जरुरत इस बात की है, प्रदूषण की इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए हमें अपनी जानकारी को बढ़ाना चाहिए और अपनी सोच को व्यापक और विस्तृत करना चाहिए। इसलिए अलग-अलग तरह के प्रदूषण, उनके कारणों और मानव जीवन और वातावरण पर पड़ने वाले इसके प्रभाव के बारे जानना बेहद आवश्यक है। आपको बता दें कि अलग-अलग तरीके से कुछ रसायन, सूक्ष्म और दूषित तत्व हमारे वातावरण में मिल रहे हैं, जिनसे अलग-अलग तरह का प्रदूषण होता है. जैसे कि वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, रसायनिक प्रदूषण और रेडियोधर्मी प्रदूषण, जब वायु में कुछ दूषित तत्व मिलकर वायु मौजूद गैसों का संतुलन बिगाड़ देते हैं तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं, इससे अस्थमा, दमा समेत कई तरह की श्वास संबंधित बीमारियां फैलती हैं. इसी तरह से जब प्राकृतिक जल स्त्रोतों में कारखानों और घरों से निकलने वाला कचरा मिलता है तो जल प्रदूषण की समस्या पैदा होती है. वहीं Motor vehicles, डीजे, लाउडस्पीकर और पटाखों से इतना शोर होता है कि Noise pollution की समस्या पैदा हो जाती है जिससे इंसान की सुनने की शक्ति कमजोर हो जाती है. इस तरह अलग-अलग प्रदूषण का हमारी पृथ्वी और मानव दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके पर गौर करने की और जागरूकता फैलाने की जरूरत है, तभी इस गंभीर समस्या से निपटा जा सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 3 (400 शब्द)

प्रदूषण आज के समय का एक सबसे बड़ा मुद्दा है, जिसके बारे में सभी को पता होता है. वर्तमान में हमारा पर्यावरण बदल सा गया है, आज होने आपने पर्यावरण को दूषित कर दिया है. दोस्तों आपको यह बात समझनी चाहिए की पर्यावरण प्रदूषण हमारे जीवन की सबसे बड़ी समस्या है. प्रदूषण की वजह से हमारा पर्यावरण बहुत अधिक प्रभावित हो रहा है. प्रदूषण चाहे किसी भी तरह का हो लेकिन वह हमारे और हमारे पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक होता है. आज इस ग्रह पर मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा जो है वो पर्यावरण प्रदूषण है। यह हर गुजरते वाले साल के साथ बढ़ रहा है. यह एक ऐसा मुद्दा है जो हमें आर्थिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से परेशान करता है. पर्यावरण प्रदूषण को कुछ घातक बीमारियों से जोड़ा जा रहा है. एक पर्यावरणीय समस्या जो हर दिन बिगड़ती रहती है, को संबोधित करने की आवश्यकता होती है ताकि मनुष्यों के साथ-साथ ग्रह पर इसके हानिकारक प्रभावों में सुधार किया जा सके, मनुष्यों पर पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव मुख्य रूप से भौतिक हैं, लेकिन न्यूरो-प्रेम में लंबे समय तक बदल सकते हैं. एलर्जी, अस्थमा, आंखों में जलन और नाक के रास्ते या श्वसन संक्रमण के अन्य रूपों के रूप में सबसे प्रसिद्ध समस्याएं श्वसन हैं. पर्यावरण प्रदूषण भी उनके जीवित पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हुए जानवरों को प्रभावित करता है, जिससे उन्हें रहने के लिए जहरीला बना दिया जाता है. अम्लीय वर्षा नदियों और महासागरों की संरचना को बदल सकती है, जिससे उन्हें मछली के लिए जहरीला बना दिया जाता है, और ओजोन की एक महत्वपूर्ण मात्रा निचले हिस्से में होती है. वायुमंडल सभी जानवरों को फेफड़ों की समस्या पैदा कर सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश अथार्त ऐसे माध्यम जिनसे हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता है. हमारे पर्यावरण प्रकृति और मानव की निर्मित चीजों के द्वारा गठित हैं। लेकिन हमारे ये पर्यावरण कुछ माइनों में प्रदूषित हो रहे हैं. संक्षेप में, पर्यावरण प्रदूषण, लगभग विशेष रूप से मानव गतिविधियों द्वारा निर्मित, पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसके महत्वपूर्ण स्तर को समाप्त करता है और ऊपरी परतों पर और भी अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. प्रदूषण के कारण ओजोन रिक्तीकरण, ग्लोबल वार्मिंग, ग्रीनहाउस प्रभाव, ग्लेशियरों का पिघलना आदि जैसी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं, पर्यावरण प्रदूषण में पाँच प्रकार के प्रदूषण हैं; वायु, ध्वनि, जल, मिट्टी और रेडियोधर्मी प्रदूषण आदि।

वायु प्रदूषण

महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला है. वहां चौबीसों घंटे कल-कारखानों का धुआं, मोटर-वाहनों का काला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है. वायु प्रदूषण आज के समय की सबसे बड़ी समस्या बन चूका है, मुंबई की महिलाएं धोए हुए वस्त्र छत से उतारने जाती है तो उन पर काले-काले कण जमे हुए पाती है. ये कण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं और असाध्य रोगों को जन्म देते हैं. यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता है और वातावरण तंग होता है. वायु प्रदूषण एक गैस है (या एक तरल या ठोस-सामान्य हवा के माध्यम से फैलता है) लोगों या अन्य जानवरों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने, पौधों को मारने या उन्हें ठीक से विकसित करने के लिए पर्याप्त मात्रा में जारी करने के लिए वायु प्रदूषण को रोकना किसी की उपस्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ जिसमें वायुमंडलीय शोर और रेडियोधर्मी विकिरण शामिल होते हैं, कैन, जो मानव या अन्य जीवों, पौधों, संपत्ति के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हानिकारक हो सकता है, या सामान्य वातावरण, प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप कर सकता है. वायु प्रदूषण औद्योगिक और कुछ घरेलू गतिविधियों का परिणाम है; बिजली संयंत्रों, उद्योगों, परिवहन, खनन, भवनों के निर्माण आदि में जीवाश्म ईंधन का निरंतर उपयोग; वायु प्रदूषण से होने वाले कुछ प्रमुख रोग वायु प्रदूषण के कारण होते थे: ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, फेफड़े का कैंसर, तपेदिक और निमोनिया।

अगर हम बात करे वायु प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण की तो हम सभी को चाहिए की घरों और उद्योगों में अच्छे डिजाइन वाले उपकरण को निकाल दे और ईंधन का उपयोग किया जाना चाहिए, ऊर्जा के नवीकरणीय और गैर प्रदूषणकारी स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि का उपयोग किया जाना चाहिए, कारखानों में लंबी चिमनी लगानी चाहिए, सड़कों और घरों पर अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए।

ध्वनि प्रदूषण

मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए, परन्तु आजकल कल-कारखानों का शोर, यातायात का शोर, मोटर-गाड़ियों की चिल्ल-पों, लाउड स्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव को जन्म दिया है. मनुष्य शांत वातावरण में रहना पसंद करता है, परन्तु आजकल वाहनों, कल-कारखानों का शोर ,यातायात का शोर ,मोटर गाड़ियों का शोर ,लाउडस्पीकर, के ध्वनि से परेशान है, हमारे युवा वर्ग के लिए तनाव की समस्या उत्पन्न कर दी है। जैसा की आप सभी जानते है, की मानव सभ्यता के विकास के प्रारंभिक चरण में ध्वनि प्रदूषण गंभीर समस्या नहीं थी, परंतु मानव सभ्यता ज्यो-ज्यों विकसित होती गई और आधुनिक उपकरणों से लैस होती गई, त्यों-त्यों ध्वनि प्रदूषण की समस्या विकराल व गंभीर हो गई है. और आज के समय में यह समस्या बहुत ज्यादा बाद चुकी है, जिसका रोका जाना बेहद जरूरी है दोस्तों ध्वनि प्रदूषण मानव जीवन को तनावपूर्ण बनाने में अहम् भूमिका निभाता है. तेज आवाज न केवल हमारी श्रवण शक्ति को प्रभावित करती है, बल्कि यह रक्तचाप, हृदय रोग, सिर दर्द, अनिद्रा एवं मानसिक रोगों का भी कारण है।

ध्वनि प्रदूषण के बाहरी स्रोतों में लाउडस्पीकर, औद्योगिक गतिविधियों, ऑटोमोबाइल, रेल यातायात, हवाई जहाज और बाजार, धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों, खेल और राजनीतिक रैलियों जैसी गतिविधियों का अप्रत्यक्ष उपयोग शामिल है, शोर प्रदूषण बहुत परेशान और परेशान है. शोर नाजुक अशांति, उच्च रक्तचाप (उच्च रक्तचाप) का कारण बनता है, भावनात्मक समस्याएं जैसे आक्रामकता, मानसिक अवसाद और झुंझलाहट ध्वनि प्रदूषण व्यक्तियों की कार्यक्षमता और प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं।

ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने या कम करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं, बेहतर डिजाइन और वाहनों के उचित रखरखाव के कारण सड़क यातायात के शोर को कम किया जा सकता है. ध्वनि-प्रूफिंग उपकरण और शोर-उत्पादक क्षेत्रों को उत्पन्न करके औद्योगिक शोर को कम किया जा सकता है. बिजली के उपकरण, लाउड म्यूजिक और लैंड मूवर्स, लाउडस्पीकर आदि का उपयोग करने वाले सार्वजनिक कार्यों को रात में अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, सींग, अलार्म, प्रशीतन इकाइयों आदि का उपयोग प्रतिबंधित करना है. पटाखे का उपयोग शोर के लिए किया जाता है और वायु प्रदूषण को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए, पेड़ों की एक हरे रंग की बेल्ट एक कुशल शोर अवशोषक है. आसपास के क्षेत्र में स्थित संचार के लिए बंद परिसर को छोड़कर, एक मजबूत स्पीकर या सार्वजनिक पता प्रणाली का उपयोग रात में (10:00 से 6:00 से 6:00 बजे तक) नहीं किया जाएगा, सभागार, सम्मेलन कक्ष, सामुदायिक हॉल और बैंक्वेट हॉल, यदि कोई व्यक्ति परिवेश शोर मानकों को 10 dB (ए) से अधिक या किसी क्षेत्र / क्षेत्र के खिलाफ संबंधित कॉलम में दिया गया है, तो प्राधिकरण को शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

जल-प्रदूषण

यह बात तो हम सभी जानते है, की जल ही जीवन है. लेकिन आज बड़े-बड़े शहरों की नालियों का पानी एवं कल-कारखानों से निकले कचरे तथा विषैले रासायनिक द्रवों को सीधे नदियों एवं झीलों में प्रवाहित कर देने से इनका जल प्रदूषित हो गया है. आज के समय जल के दूषित होने के कारण हमारे हेल्थ पर इसका बहुत ही ख़राब असर पड़ रहा है, गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियां भी आज जल प्रदूषण से वंचित नहीं है. ऐसे में प्रदूषित जल के सेवन से जल जनित रोग- टी.बी., मलेरिया, टाइफाइड और हैजा आदि फैलने लगते हैं. जल प्रदूषण सबसे गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है, जल, प्रदूषण, औद्योगिक, कृषि और घरेलू जैसी कई मानवीय गतिविधियों के कारण, अतिरिक्त खाद और कीटनाशकों के साथ लादेन को चलाने वाले कृषि, जहरीले पदार्थों और सीवेज के पानी के साथ मानव और पशु व्यंजनों के साथ औद्योगिक कचरे से हमारा पानी अच्छी तरह से प्रदूषित है. जल प्रदूषण का प्राकृतिक स्रोत, मिट्टी का क्षरण, चट्टानों से खनिजों का छिद्रण और कार्बनिक पदार्थों के कार्बनिक क्षय को नष्ट करना

जल प्रदूषण जल जनित रोगों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का एक प्रमुख स्रोत है. कृषि क्षेत्रों से आई गिरावट और अनुपचारित या आंशिक रूप से इलाज किए गए सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों के निर्वहन के कारण, जल निकाय में फ्लाई ऐश या ठोस अपशिष्ट का निपटान, जल प्रदूषण की गंभीर समस्याएं हैं। पानी के पानी की वजह से पानी में प्रकाश की पहुंच पानी की गड़बड़ी के कारण कम हो जाती है, जिससे पानी के जलीय पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण कम हो जाता है।

जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित उपायों को अपनाया जा सकता है, शामिल तकनीकों को बदलकर पानी की आवश्यकता को कम किया जाना चाहिए, उपचार पानी के साथ या बिना पुन: उपयोग किया जाना चाहिए, उपचार के बाद पानी का पुनर्चक्रण अधिकतम सीमा तक किया जाना चाहिए, अपशिष्ट जल निर्वहन की मात्रा को कम किया जाना चाहिए।

मिट्टी प्रदूषण

पर्यावरण प्रदूषण का अगला स्रोत मिट्टी है, यह मानव निर्मित रसायनों की उपस्थिति और प्राकृतिक मिट्टी में अन्य परिवर्तनों के कारण है. इस प्रकार का संदूषण आमतौर पर प्रदूषित सतह जल स्रोत, तेल और ईंधन डंपिंग, मिट्टी में औद्योगिक अपशिष्टों के प्रत्यक्ष निर्वहन, मिट्टी में लैंडफिल आदि से अपशिष्ट को फ़िल्टर करने के लिए उत्पन्न होता है. मृदा प्रदूषण में शामिल सबसे आम रसायन: पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन, सॉल्वैंट्स, कीटनाशक, सीसा और अन्य भारी धातुएं मृदा प्रदूषण के बहुत खतरनाक पहलू हैं क्योंकि यह क्षेत्र और देश के प्रजनन और खाद्य उत्पादन को प्रभावित करता है. यह एक गंभीर चिंता है, जिसे प्रजनन और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार के लिए स्वस्थ कीटनाशकों के उपयोग में सुधार के लिए कहा जा सकता है और इस प्रकार, क्षति को कम करते हुए, मिट्टी के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए, प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग को रोकने के लिए आवश्यक है. सीवरेज का उपयोग पहले उर्वरक के रूप में किया जाना चाहिए और लैंडफिल के रूप में ठीक से किया जाना चाहिए, निपटान से पहले, खतरनाक पदार्थों को हटाने के लिए जैव चिकित्सा अपशिष्ट का ठीक से इलाज किया जाना चाहिए, बायोमेडिकल कचरे को अलग से एकत्र किया जाना चाहिए और उचित भस्मक में जलाया जाना चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 5 (600 शब्द)

वर्तमान समय के परिदृश्य में पर्यावरण प्रदूषण हमारे ग्रह के लिए सबसे महत्वपूर्ण खतरों में से एक है. यह एक वैश्विक मुद्दा है, जो आमतौर पर सभी देशों में देखा जाता है, जिसमें तीसरी दुनिया के देश भी शामिल हैं, चाहे उनकी विकास की स्थिति कुछ भी हो, पर्यावरण प्रदूषण क्या है? पर्यावरण प्रदूषण तब होता है जब मानव गतिविधियाँ पर्यावरण में प्रदूषण का परिचय देती हैं, जिससे दिनचर्या की प्रक्रिया बाधित होती है, जिससे पर्यावरण में अपरिवर्तनीय परिवर्तन होते हैं, प्रदूषण फैलाने वाले एजेंटों को प्रदूषक कहा जाता है. प्रदूषक पदार्थ हैं जो प्रकृति में उत्पन्न होते हैं या बाहरी मानव गतिविधियों के कारण निर्मित होते हैं। प्रदूषण से पृथ्वी दूषित होती है और उसका संतुलन भी बिगड़ जाता है. हम लोग एक प्रदूषित दुनिया में रह रहे हैं जहाँ पर वायु, जल, भोजन सभी चीजे दूषित हैं. मनुष्य प्रजाति प्रदूषण को उत्पन्न करने में सबसे अहम योगदान दे रही है. लोग पॉलीथीन और पेट्रोलियम जैसी चीजों का प्रयोग अधिक करते जा रहे हैं जिसकी वजह से पर्यावरण को बहुत हानि हो रही है. वैज्ञानिकों द्वारा भी पर्यावरण प्रदूषण को सूचीबद्ध किया गया है और हमारी सरकार भी इस विषय में बहुत चिंतित है।

प्रदूषण की समस्या आज मानव समाज के सामने खड़ी सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है. जिसका ठीक किया जाना आज के समय में बेहद जरूरी है, पिछले कुछ दशकों में प्रदूषण जिस तेजी से बढ़ा है उसने भविष्य में जीवन के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगाना शुरू कर दिया है, संसार के सारे देश इससे होनेवाली हानियों को लेकर चिंतित है, संसार भर के Scientist आए दिन प्रदूषण से संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित करते रहते हैं और आने वाले खतरे के प्रति हमें आगाह करते रहते हैं, प्रदूषण के कारण आज के समय में हर साल लाखो लोगों की जान जाती है. आज प्रदूषण के कारण शहरों की हवा इतनी दूषित हो गई है कि मनुष्य के लिए साँस लेना मुश्किल हो गया है. गाड़ियों और कारखानों से निकलने वाला धुआँ हवा में जहर घोल रहा है, इससे तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, देश की राजधानी दिल्ली में तो प्रदूषण ने खतरे का निशान पार कर लिया है, कारखानों से निकलनेवाला कचरा नदियों और नालों में बहा दिया जाता है, इससे होनेवाले जल प्रदूषण के कारण लोगों के लिए अब पीने लायक पानी मिलना मुश्किल हो गया है, खेत में खाद के रूप में प्रयोग होने Chemical वाले रासायनिक खादों ने खेत को बंजर बनाना शुरू कर दिया है, इससे भूमि प्रदूषण की समस्या भी गंभीर हो गयी है. इस तरह प्रदूषण तो बढ़ रहा है किंतु प्रदूषण दूर करने के लिए जिन वनों की जरुरत है वो दिन-ब-दिन कम हो रहे हैं |

स्वास्थ्य पर प्रदूषण का प्रभाव

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण प्रदूषण, मनुष्यों और अन्य प्रजातियों के जीवन को प्रभावित करता है, ये जीवित प्राणी सदियों से मानव के साथ पृथ्वी पर अस्तित्व में थे।

वायु पर प्रभाव

कार्बन और धूल के कण स्मॉग के रूप में हवा के साथ फैल जाते हैं, श्वसन प्रणाली, धुंध और धुएं को नुकसान पहुंचाते हैं। ये जीवाश्म ईंधन के जलने, कार्बन धुएं के वाहन दहन द्वारा औद्योगिक और विनिर्माण इकाइयों के उत्सर्जन के कारण होते हैं. इसके अलावा, ये कारक पक्षियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करते हैं जो वायरस और संक्रमण का वाहक बन जाते हैं. इसके अलावा, यह शरीर की प्रणाली और शरीर के अंगों को भी प्रभावित करता है।

भूमि, मिट्टी और भोजन पर प्रभाव

मानव का जैविक और रासायनिक दोनों अपघटन से भूमि और मिट्टी को नुकसान पहुंचाता है. इसके अलावा, यह मिट्टी और पानी में कुछ रसायन का परिचय देता है. भूमि और मृदा प्रदूषण मुख्य रूप से कीटनाशकों, उर्वरकों, मिट्टी के क्षरण और फसल अवशेषों के उपयोग के कारण होता है।

जल पर प्रभाव

किसी भी प्रदूषक के साथ पानी आसानी से दूषित हो जाता है चाहे वह मानव अपशिष्ट हो या कारखानों से रासायनिक निर्वहन, इसके अलावा, हम इस पानी का उपयोग फसलों की सिंचाई और पीने के लिए करते हैं. लेकिन, संक्रमण के कारण वे दूषित भी हो जाते हैं. इसके अलावा, एक जानवर मर जाता है क्योंकि वे इसी दूषित पानी को पीते हैं. इसके अलावा, भूमि के लगभग 80% प्रदूषक जैसे रासायनिक, औद्योगिक और कृषि अपशिष्ट जल निकायों में समाप्त हो जाते हैं. इसके अलावा, ये जल निकाय अंततः समुद्र से जुड़ते हैं जिसका अर्थ है कि यह अप्रत्यक्ष रूप से समुद्र की जैव विविधता को प्रदूषित करता है।

भोजन पर प्रभाव

दूषित मिट्टी और पानी की वजह से फसल या कृषि उपज भी जहरीली हो जाती है. इसके अलावा, यह दूषित भोजन हमारे स्वास्थ्य और अंगों को प्रभावित करता है. अपने जीवन की शुरुआत से, इन फसलों को रासायनिक घटकों के साथ रखा जाता है जो फसल के समय तक एक बड़े स्तर तक पहुंच जाते हैं।

जलवायु पर प्रभाव

जलवायु परिवर्तन भी पर्यावरण प्रदूषण का एक कारण है. साथ ही, यह पारिस्थितिकी तंत्र के भौतिक और जैविक घटकों को प्रभावित करता है. इसके अलावा, ओजोन रिक्तीकरण, ग्रीनहाउस गैस, ग्लोबल वार्मिंग ये सभी जलवायु परिवर्तन पर्यावरण प्रदूषण का एक कारण हैं. इसके अलावा, उनका प्रभाव हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए घातक हो सकता है. अनियमित चरम ठंड और गर्म जलवायु पृथ्वी की पारिस्थितिक प्रणाली को प्रभावित करती है।

इसके अलावा, कुछ अस्थिर जलवायु परिवर्तन भूकंप, अकाल, स्मॉग, कार्बन कण, उथले बारिश या बर्फ, आंधी, ज्वालामुखी विस्फोट, और हिमस्खलन हैं जो सभी जलवायु परिवर्तन के कारण होते हैं जो पर्यावरण प्रदूषण के कारण सभी होते हैं. अंत में, मनुष्य ने अपने और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की कीमत पर प्रकृति के धन का दोहन किया है, इसके अलावा, जो प्रभाव अब तेजी से उभर रहा है, वह सब सैकड़ों या हजारों वर्षों से मनुष्यों की गतिविधियों के कारण है. इन सबसे ऊपर, अगर हम पृथ्वी पर जीवित रहना और अपना जीवन जारी रखना चाहते हैं, तो हमें उपाय करने होंगे। ये उपाय हमारी अगली पीढ़ी के भविष्य के साथ-साथ हमें सुरक्षित बनाने में मदद करेंगे।

Exit mobile version