आपने देखा होगा कि अक्सर नौकरी के दौरान या रिटायरमेंट के वक्त बहुत से लोग एक निश्चित आय के लिए FD कराते हैं। खास तौर पर बुजुर्ग ज्यादातर बैंकों में FD के लिए फार्म भरते दिखते हैं। एसबीआई हो, पीएनबी, बैंक आफ बडौदा या कोई दूसरा बैंक यह सभी FD की सुविधा देते हैं। यह सुविधा अलग-अलग अवधि की हो सकती है। ज्यादातर यह सात दिन से लेकर 10 साल तक होती है।
इस तरह की फिक्स्ड डिपाजिट से बैंक अकाउंट होल्डर को खाते में जमा की गई रकम पर ब्याज से आय होती है। क्या आप FD full form और इसके फायदे जानते हैं? अगर नहीं तो हम आपको इन सभी बिंदुओं पर जानकारी मुहैया कराएंगे। चलिए जानते हैं-
Contents
FD full form in Hindi
FD की फुल फार्म है – Fixed Deposit
FD in Hindi – फिक्स्ड डिपाजिट।
FD meaning
FD एकाउंट को हिंदी में स्थायी जमा खाता भी कहा जाता है।
FD यानी निश्चित ब्याज पर आय सुरक्षा
लोग FD क्यों कराते है?
लोग FD कराना इसलिए पसंद करते हैं, क्योंकि इसमें एक निश्चित ब्याज की सुरक्षा रहती है। कई लोग ब्याज को रीइन्वेस्ट कर उसका भी ब्याज लेना पसंद करते हैं। आम तौर पर सीनियर सिटीजन अपनी जीवन भर की कमाई की FD ही कराना पसंद करते हैं। वह बढ़ती उम्र में आय में उतार-चढ़ाव का रिस्क नहीं लेना चाहते। एक तयशुदा इन्कम यानी फिक्स्ड आय के जरिये अपनी जिंदगी को आराम से काटना चाहते हैं।
FD के फायदे
FD के कई फायदे हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि इसमें एक फिक्स ब्याज दर पर इन्वेस्टमेंट यानी निवेश संभव है। यानी यह एक सुरक्षित इन्वेस्टेंट है। लोगों को भरोसा है कि यह निवेश डूबेगा नहीं।
इसके अलावा किसी भी वक्त जरूरत मैच्योरिटी यानी समय पूरा होने से पहले भी ।FD तुड़वाई जा सकती है, यानी इसका पैसा काम में लिया जा सकता है। इसमें आम तौर पर सात फीसदी से नौ प्रतिशत तक सालाना ब्याज रिटर्न मिलता है। यह म्युचुअल फंड और शेयर की तरह रिस्क वाला काम नहीं है। FD के जरिये मासिक ब्याज की कमाई की जा सकती है।
FD कैसे कराए?
अगर आप भी FD कराने के इच्छुक हैं तो यह मुश्किल काम नहीं। बैंक जाइए। वहां पासपोर्ट साइज, आईडी प्रूफ, रेजीडेंशिल प्रूफ और पेन कार्ड जैसे दस्तावेजों के आधार पर आराम से FD खाता खोला जा सकता है। आप नगदी से भी खाता खोल सकते हैं और चेक के जरिये भी अमाउंट जमा कर सकते हैं। यह आपको तय करना है कि आपको कितने पैसे की FD करानी है।
FD के लिए ज़रूरी जानकारी
FD कराते समय यह सावधानी बरतें कि FD सर्टिफिकेट को ठीक से पढ़ें। इस पर सही नाम, ब्याज की दर, मैच्योरिटी की तिथि आदि को जांच लें। अपने बाद नामांकित व्यक्ति का ब्योरा भरते हुए भी सावधानी बरतें ताकि जब वह दावा यानी क्लेम करने बैंक जाएं तो उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।