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Key information from foreign travelers ( विदेशी यात्रियों से मिलने वाले प्रमुख जानकारी )

The description of foreign travelers is very useful to understand Indian history, as we know there is no limit to our history, we collect information about our history from different places and try to understand our history. Through the article, we will tell you about the foreign travelers and what information they have got from those foreign travelers which they have written in their books, we will also know and understand about them.

भारतीय इतिहास को समझने के लिए विदेशी यात्रियों का वर्णन बहुत उपयोगी है जैसा कि हमें पता है हमारे इतिहास की कोई लिमिट नहीं है हम अपने इतिहास की जानकारी अलग-अलग जगह से एकत्रित करते हैं और अपने इतिहास को समझने का प्रयास करते हैं आज हम अपने आर्टिकल के माध्यम से आपको यह बताएंगे विदेशी यात्रियों के बारे में और उन विदेशी यात्रियों से में कौन-कौन सी जानकारी मिली है जो उन्होंने अपनी पुस्तकों में लिखी है उनके बारे में भी हम लोग जानेंगे और समझेंगे

Greek-Roman writers ( यूनानी – रोमन लेखक )

Tesius ( टेसियस ) :-

It was the royal doctor of Iran, its description in relation to India is unbelievable because it is full of amazing stories.

यह ईरान का राजवैद्य था भारत के संबंध में इसका विवरण आश्चर्यजनक कहानियों से परिपूर्ण होने के कारण अविश्वसनीय है

Herodotus ( हेरोडोटस ):-

It is called the father of history, it has described Indo-Persia relations in the fifth century BC in his book Historica, but its details are also based on schedules and rumours.

इसे इतिहास का पिता कहा जाता है इसने अपनी पुस्तक हिस्टोरीका में पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व के भारत – फारस के संबंध का वर्णन किया है परंतु इसका विवरण भी अनुसूचियों एवं अफवाहों पर आधारित है

Megasthenes ( मेगास्थनीज ):-

It was the ambassador of Seleucus Nicator who came to the court of Chandragupta Maurya, he has written about the Mauryan era society and culture in his book Indica.

यह सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था जो चंद्रगुप्त मौर्य के राज दरबार में आया था इसने अपनी पुस्तक इंडिका में मौर्य युगीन समाज एवं संस्कृति के विषय में लिखा है

Dimacus ( डाईमेकस ):-

This was the ambassador of the Syrian king Anityokas, who came to the court of Bindusara, its details are also related to the Maurya era.

यह सीरियन नरेश अनित्ययोकस का राजदूत था जो बिंदुसार के राज दरबार में आया था इसका विवरण भी मौर्य – युग से संबंधित है

Ptolemy ( टॉलमी ):-

He wrote the book Geography of India in the 2nd century

इसने दूसरी शताब्दी में भारत का भूगोल नामक पुस्तक लिखी

Pelni ( पीलनी ):-

He wrote a book called Natural History in the first century, in which details about Indian animals, trees, plants, minerals etc.

इसने प्रथम शताब्दी में नेचुरल हिस्ट्री नामक पुस्तक लिखी इसमें भारतीय पशुओं पेड़ पौधों खनिज पदार्थों आदि के बारे में विवरण मिलता है

Chinese writer ( चीनी लेखक )

Fahian ( फाहियान ):-

This Chinese traveler had come to the court of the Gupta king Chandragupta II, he has described the society and culture of Madhya Pradesh in his description, it has told the people of Madhya Pradesh happiness and prosperity, it lived in India for 14 years.

यह चीनी यात्री गुप्त नरेश चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में आया था इसने अपनी विवरण में मध्यप्रदेश के समाज एवं संस्कृति के बारे में वर्णन किया है इसने मध्य प्रदेश की जनता को सुखी एवं समृद्धि बताया है यह 14 वर्षों तक भारत में रहा

Combination ( संयुगन ):-

It was in 518 AD that India collected the achievements of Buddhism in its journey of 3 years.

यह 518 ईसवी में भारत ने अपने 3 वर्षों की यात्रा में बौद्ध धर्म की प्राप्तियां एकत्रित की

Hansong ( हैंसॉन्ग ):-

It came to India during the reign of Harshavardhana, departed from China in 629 for India year and after a journey of about 1 year, he first reached the Indian state of Kapisa, stayed in India for 15 years and returned to China in 645 AD. He was in Nalanda district in Bihar. Came here to study at Nalanda University and collect Buddhist texts from India, its travelogue is famous as Si-U-ki, in which details of 138 countries are found, it describes about Harsh period, social religion and politics. According to this, the king of Sindh was Shudra, Hansong worshiped the statue of Buddha as well as the idols of Sun and Shiva.

यह हषर्वर्धन के शासनकाल में भारत आया था 629 में चीन से भारत वर्ष के लिए प्रस्थान किया और लगभग 1 वर्ष की यात्रा के बाद सर्वप्रथम वह भारतीय राज्य कपीसा पहुंचा भारत में 15 वर्षों तक ठहरकर 645 ई. में चीन लौट गया वह बिहार में नालंदा जिला स्थित नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन करने तथा भारत से बौद्ध ग्रंथों को एकत्रित कर ले जाने के लिए आया था इसका भ्रमण वृतांत सी- यू -की नाम से प्रसिद्ध है जिसमें 138 देशों का विवरण मिलता है इसने हर्षकालीन ,समाज धर्म तथा राजनीति के बारे में वर्णन किया है इसके अनुसार सिंध का राजा शूद्र था हैंसॉन्ग ने बुद्ध की प्रतिमा के साथ-साथ सूर्य और शिव की प्रतिमाओं का भी पूजन किया था

Acharya Shilabhadra was the Vice Chancellor of Nalanda University at the time of Hansong’s study. This university was famous for Buddhist philosophy.

हैंसॉन्ग के अध्ययन के समय नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य शीलभद्र थे यह विश्वविद्यालय बौद्ध दर्शन के लिए प्रसिद्ध था

Itasang ( इतिसंग ) :-

It came to India at the end of the seventh century, it has described Nalanda University, Vikramshila University and India of its time in its description.

यह सातवीं शताब्दी के अंत में भारत आया इस ने अपने विवरण में नालंदा विश्वविद्यालय विक्रमशिला विश्वविद्यालय तथा अपने समय के भारत का वर्णन किया है

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