आज बात करते है एक ऐसी महिला की success story कि जो कभी स्कूल नहीं गई और कभी उनके पास ₹100 भी नहीं थे ! लेकिन उन्होंने ₹500 से बिजनेस शुरू किया और आज उनका बिजनेस 5 करोड़ से ज्यादा का हो गया है !और उन्होंने हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है ! Success story of poor woman
Contents
गांव की एक गरीब अनपढ़ महिला उद्यमी की Success Story
अब बात करते है success story कीकृष्णा यादव बताती है कि वह पांच बहन भाइयों में सबसे बड़ी है । वह यह काम करने से पहले एक हाउसवाइफ थी ।जो कभी किसी काम के लिए घर से नहीं निकली थी । उनके पति मजदूरी करते थे !वह मात्र तीन क्लास तक पढे हैं । इसी बीच उनके पति अपनी जमा पूंजी से एक छोटा सा बिजनेस करते हैं ! लेकिन इस बिजनेस में उनको नुकसान हो जाता है । और उनकी आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा खराब हो जाती है कि उन्हें रोजमर्रा जिंदगी चलाने की नौबत आ जाती है । 👇
गाँव छोड़कर जाना पड़ा शहर
Pickel business success story उनकी पत्नी कहती है कि हमें यह शहर छोड़कर दूसरी जगह जाना चाहिए !वहां पर कोई छोटा काम कर लेना चाहिए । क्योंकि अगर हम यहां पर कोई काम करते हैं तो लोग हमें यहां पर जानते हैं ! तो वह कुछ ना कुछ बोलेंगे । यह बात मानते हुए उनके पति और वह बुलंदशहर को छोड़कर दिल्ली चले गए ।.यहां पर उन्होंने किसी दूसरे व्यक्ति के खेत बोने के लिए लिए और उसमें सब्जियों की खेती की । जब वह लोग सब्जियों की खेती कर रहे थे । तो जैसा कि सबको पता है कि सब्जियों में इतना ज्यादा फायदा नहीं होता है तो उन्होंने भी यह चीज महसूस की की सब्जियों में कुछ ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है और सब्जियां बहुत सस्ती बिकती हैं । success story of poor woman
आचार बनाने का आईडिया मिला
इसी बीच कृष्णा यादव को एक आइडिया आया । उन्होंने कहा कि मेरी दादी सब्जियों का बहुत ही स्वादिष्ट आचार बनाती थी । तो मेरे दिमाग में भी यह ख्याल आया क्यों ना हम सब्जियां बेचने की जगह इन सब्जियों का अचार बनाकर बाजार में बेचे । जिससे उनको सब्जियों की कीमत अच्छे मिल सके और कुछ पैसे ज्यादा कमा सके । कृष्णा यादव ने इस आईडिया का जिक्र अपने पति से किया कि क्यों ना हम सब्जियों का अचार बनाकर बाजार में बेेचे । उनके पति ने इस बात को मान लिया कि ऐसा करना सही रहेगा ।
आचार बनाने की ट्रेनिंग ली
वह कहती है कि उन्होंने टीवी पर दूरदर्शन पर एक कृषि प्रोग्राम देखा । जिसमें यह बताया जा रहा था कि उस संस्थान में सरकार की तरफ से आचार बनाने की ट्रेनिंग फ्री दी जाती है । तो उनके पति ने संस्थान में जाकर ट्रेनिंग के बारे में पता किया और अपनी पत्नी को अचार बनाने की ट्रेनिंग दिलवाई । इसके बाद उसकी पत्नी ने सब्जियों से अचार बनाना शुरू किया ।
5 किलो आचार बनाने से की शुरुआत
शुरुआत में जब उन्होंने अचार बनाया तो उन्होंने पांच 5 किलो सब सब्जियों का अचार बनाया । इसके बाद उन्होंने उस आचार को आसपास लोगों को खिलाया तो सब ने उनके अचार की तारीफ की मगर जब बात बाजार में बेचने की आई तो उन्होंने अपने पति को आचार लेकर बाजार की दुकानों पर भेजा तो दुकानदारों ने कहा कि खुला आचार नहीं बिकता है और किसी ने भी उनका अचार नहीं लिया । इसके बाद उनके पति ने कहा कि इससे अच्छा तो सब्जियां ही बिक जाती थी !आचार तो कोई ले ही नहीं रहा ! और उनको पहले प्रयास में असफलता का स्वाद चखना पड़ा ।
शुरुवात सड़क किनारे बेचकर की
कृष्णा यादव बताती है कि उन्होंने हिम्मत नहीं हारी! उन्होंने ठान लिया था कि कैसे भी करके इस आचार को बेचना है! उन्होंने कहा कि आप एक टेबल और एक कुर्सी रोड किनारे लगा दीजिए । मैं वहीं से बेचने की कोशिश करूंगी । उन्होंने कहा कि वह रोड किनारे एक मेज और एक कुर्सी ले करके बैठ गए । वहां पर वह अपनी सब्जियां और आचार बेचते थे । जो लोग सब्जियां लेकर जाते थे ।उनमें से कोई नाा कोई आचार भी खरीद लेता था ।
इसके अलावा उन्होंने गर्मी के मौसम में यह देखते हुए कि लोगों को प्यास ज्यादा लगती है । वहां पर पानी के दो मटके भी रखवा दिए ।अब जो लोग पानी पीने के लिए भी रुकते तो वह उनको अचार सैंपल के तौर पर दे देते । कृष्णा यादव बताती है कि जो भी उन का आचार खाता वह उस आचार की जरूर तारीफ करता और कभी ना कभी उनसे आचार जरूर खरीद के ले जाता ।
अपनी पत्नी के नाम से रखा आचार का नाम
- उन्होंने कहा कि शुरुआत में उनका 50 ₹100 का ही दिन भर में बिक पाता था । इसी के साथ साथ उनके 5 साल गुजर गए । और वहीं पर अचार बेचते रहे । धीरे-धीरे उनके आचार की बिक्री आसपास के एरिया में काफी हो गई । अब उनके पति ने कहा कि अब तो हमारा अचार बिकने लगा है ।क्यों ना हम अचार का कोई नाम रख ले ।
- उनके पति ने अचार का नाम अपनी पत्नी के नाम से श्री कृष्णा Pickle रख दिया । धीरे-धीरे उनकी जिंदगी में बदलाव आया । पहले जो अचार उनका नहीं बिक पाता था ।अब उनका अचार इतनी ज्यादा मात्रा में बिकता था कि उनके पास आचार कम पड़ने लगा! और वह पूर्ति भी नहीं कर पा रहे थे ।
मोहल्ले की औरतों को दिया रोजगार
आसपास की मोहल्ले की औरतें भी उनका इस काम में सहयोग करने लगी। और वह बताती है कि जब उन्होंने मोहल्ले की औरतों को काम पर लगाया तो उनको काम करना नहीं आता था और वह कहती थी कि हम कैसे कर पाएंगे । लेकिन कृष्णा यादव बताती है कि मैंने उन्हें हौसला दिया और काम करना सिखाया । इसके बाद उन औरतों को भी रोजगार मिल गया ! जिस जगह पर वह पहले अपनी छोटी सी दुकान लगाकर अचार बेचती थी आज भी उस जगह पर van खडी होती है और जो उनके जो शुरुआती ग्राहक थे वह वहीं से अचार खरीदते हैं
सात से ज्यादा कंपनिया खुद संभालती हैं!
कृष्णा यादव अपने बीते हुए कल का जिक्र करते हुए एक घटना बताती है कि एक बार उनके बच्चे को 26 जनवरी के दिन स्कूल के लिए एक शर्ट चाहिए थी! और उनके पास मात्र ₹100 भी नहीं थे । तो उनके पति ने पड़ोस से ₹100 लाकर बच्चे को दिए । उन्होंने कहा कि उस दिन इतना ज्यादा बुरा लगा था कि हमारे पास बच्चों की जरूरत पूरा करने के लिए भी पैसे नहीं है ।
मगर उन्होंने यह ठान लिया था की वह बच्चों के लिए ऐसा कुछ करेंगे कि उनका भविष्य बन जाए । बच्चों को सामने रखकर उन्होंने हौसला बनाया जिसमें उन्हें धीरे धीरे कामयाबी मिलती गई । आज कृष्णा यादव 7 से ज्यादा कंपनियां खुद संभालती हैं उनके प्रोडक्ट अचार , Amla juice , Amla candy , करेला जामुन जूस , एलोवेरा जूस , इस प्रकार से उनके अभी मार्केट में करीब 200 के आसपास प्रोडक्ट है । इनमे मुरब्बा चटनी जैम और आटे से बने कुछ प्रोडक्ट भी शामिल है । कृष्णा यादव बताती है कि वह प्रोडक्ट की क्वॉलिटी मेंटेन करने के लिए आज भी खुद अपने प्रोडक्ट बनाती हैं ।और सीधे किसानों से सब्जियां खरीदते हैं और बहुत सारी चीजें जो उनके प्रोडक्ट में प्रयोग होती है उन्हें वह खेत लेकर खुद बुवाई करतहैं ।
अब कंपनी का टर्नओवर 5 करोड़ है
महिलाओं को लेकर कहती हैं कि महिलाओं को खुद आत्मनिर्भर होना चाहिए । उन्हें यह नहीं सोचना चाहिए कि वह पुरुषों की तरह काम नहीं कर सकती। बल्कि उन्हें यह सोचना चाहिए कि वह सारे काम कर सकती हैं । जिंदगी में जब भी मुश्किल आए तो हौसला नहीं हारना चाहिए । अपनी कोशिश जारी रखनी चाहिए । कभी ना कभी आपको इन कोशिशों के परिणाम सफलतापूर्वक मिलेंगे । आज उसी का परिणाम है कि उनकी कंपनी का टर्नओवर 5 करोड़ से ज्यादा है ।उन्होंने हजारों महिलाओं को रोजगार दिया ह ।