कहते हैं कि अगर कुछ बनने की चाहत हो तो मजबूरिया जीतनी भी हो । इंसान उस मजबूरियों का हरा कर अपना खुद का इतिहास लिखता है !
आज आप लोगों के साथ में ऐसे ही एक शख्स की कहानी साझा करूंगा ! जिनके पास बचपन में इतने पैसे नहीं थे कि वह अपनी पढ़ाई कर सकें ! वह बाल मजदूर के रुप में काम करता था और हद तो उस दिन हो गई जब उस 8 साल के बच्चे को किसी और के पास ₹15000 में बेच दिया गया ! उस बच्चे को बंधक बनाकर घर पर जबरदस्ती काम कराया गया
होटल में काम कराया गया और उसे ना जाने कितनी बार बेचा गया । मालिक ने उस पर तेजाब फेंक दिया ।इसके बाद बचपन बचाओ आंदोलन के मुहिम चलाने वाले कैलाश सत्यार्थी ने उनको रेस्क्यू में बचाया । यह कहानी है सम्राट वशिष्ठ की जिन्हें अब बाल मजदूरी खत्म करने के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है । तो आइए पढ़ते हैं उनकी पूरी कहानी को!
सम्राट वशिष्ठ की सफलता की कहानी
सम्राट वशिष्ठ जी का बचपन बहुत गरीबी में बीता ! वह बहुत ज्यादा गरीब थे। वह अपनी इस गरीबी के कारण स्कूल नहीं जा पाते थे और अपनी भैंस चराने जाया करते थे । वह अक्सर स्कूल की तरफ इस इच्छा के साथ ताकते रहते कि काश वह भी पढ़ पाते हैं ।मगर उनकी गरीबी इस बात की उन्हें इजाजत नहीं देती थी ।
उन्हें इस प्रकार देखते हुए पास के किसी इंसान ने कहा कि तुम हर रोज स्कूल की तरफ देखते रहते हो । क्या तुम पढ़ना चाहते हो। उस छोटे से बच्चे ने पढ़ाई की इच्छा जाहिर की कहा कि हां मैं पढ़ना चाहता हूं ।
उस इंसान ने कहा कि ठीक है मैं तुम्हारी पढ़ाई करा दूंगा । तुम्हें इसके लिए मेरे साथ शहर में जाना होगा । वह छोटा सा बच्चा हां कह देता है । और उसके साथ पढ़ने के लिए शहर में चला जाता है ।
वह इंसान उसे एक घर में छोड़ कर चला जाता है । जैसे ही अगली सुबह होती है तो घर का मालिक उसे काम बता देता है । वह छोटा सा बच्चा कहता है कि मैं तो यहां पढ़ने के लिए आया हूं ।
मैं यहां काम करने के लिए नहीं आया । उस घर का मालिक बताता है तुम्हें 15000 में बेच दिया गया है । जो इंसान तुम्हें यहां लेकर आता वह इंसान दलाल है । और तुम्हें यहां काम करने के लिए बेचकर गया है ।
यह सुनकर उस छोटे बच्चे की दुनिया हिल गई । उसे एहसास हुआ कि वह अब गलत जगह फँस चुका है । एक दिन मौका लगते ही वह बच्चा वहां से भाग निकला ।
लेकिन उसकी बदनसीबी थी कि उसको गार्ड ने पकड़ लिया । और उसको फिर से मालिक को सौंप दिया । मालिक ने गार्ड के सामने तो उसको कुछ नहीं बोला । मगर घर ले जाकर उस की बेल्ट से बहुत पिटाई की । बच्चा रोता रहा । चीखता रहा । मगर किसी ने उसकी एक न सुनी।
इसी प्रकार वह बच्चा बताता है कि दिवाली के दिन उनके घर पर फंक्शन था ।बहुत सारे लोग आए हुए थे । इसी बीच घर के मालिक ने उसको चाय बनाने को बोला। उस घर की मालकिन फीकी चाय पीते थी ।मगर गलती से बच्चा उसके लिए अलग से फीकी चाय निकालना भूल गया । जैसे ही उस घर की मालकिन ने चाय पी और उसे मालूम चला कि चाय में चीनी है । तो उसने वह गर्म चाय उस बच्चे के शरीर पर फेंक दी । बच्चा दर्द के मारे रोता रहा ।
फिर एक दिन कैलाश सत्यार्थी ने जो कि बचपन बचाओ की मुहिम चला रहे थे । उन्होंने उस घर पर रेड मारी और उस बच्चे को वहां से आजाद करा लिया और उसे अपने साथ आश्रम में लेकर आ गए ।
वहां पर उसी की तरह आजाद किए हुए बहुत सारे बच्चे थे ।जिनको अलग-अलग जगह से लाया गया था । आजाद होने के बाद सारे बच्चे हंसने खेलने लगे थे । मगर यह बच्चा शांता था । यह बच्चा किसी से बात नहीं करता था । ना यह हंसता था । ना खेलता था । यह बच्चा डिप्रेशन में चला गया था । 3 महीने के तक इस बच्चे का इलाज हुआ । उसके बाद यह बच्चा बाकी बच्चों की तरह नॉर्मल हुआ ।
कैलाश सत्यार्थी ने बच्चे से पूछा कि बेटा तुम बड़े होकर क्या बनना चाहोगे । तो बच्चे ने कहा कि मैं भी अपने पापा की तरह एक हल दो बैल खरीद लूंगा और खेती करूंगा । आज इस बच्चे के सपने मर चुके थे । जो बच्चा कभी पढ़ लिख कर बड़ा आदमी बनना चाहता था । वह अब नहीं चाहता था कि वह पढ़ाई करें उसको डर लगने लगा था ।
इसके बाद कैलाश सत्यार्थी से कहा कि बेटा फिर से सोच कर बताओ । अगर तुम पढ़ना चाहते हो तो तुम्हें पढ़ाएंगे । छोटे से बच्चे ने हाँ कह दी । अगले ही दिन बच्चे के हाथ में कलम और किताब आ गई । वह बच्चा वहां पर 2 साल तक पढ़ता रहा । इसी बीच उस बच्चे के माता-पिता का पता चल गया तो उस बच्चे को वापस अपने घर अपने मां बाप के पास भेज दिया गया ।
क्योंकि अब पढ़ाई का बीज उसके अंदर बोया जा चुका था । तो उस बच्चे ने कहा कि मुझे पढ़ना है । तो इसके लिए उसने गांव में ही किसी जमीदार के पास काम किया और और उनको कहा कि आप लोगों ने मुझे पढ़ाना है। उन्होंने भी कहा कि ठीक है । हम तुम्हें पढ़ाएंगे । मगर काम के बदले तुम्हें कोई पैसे नहीं देंगे और बच्चे ने हां कर दी ।
वह पूरा दिन काम करता और रात में अपनी पढ़ाई करता । उसने जो पढ़ाई है वह रेगुलर नहीं की। उस वक्त बिहार में आठवीं क्लास में बोर्ड होता था । और लड़के ने बोर्ड की परीक्षा दी और आठवीं क्लास में टॉप किया ।
उसको सरकार की तरफ से स्कॉलरशिप मिलने लगी । उसे ₹300 हर महीने में मिलने लगे । उसके बाद उसने NTSC का एग्जाम दिया और पास कर लिया ! उसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और वह हमेशा अपने कॉलेज में अपने जिले में टॉप करते रहे।
फिर उसके बाद लास्ट ईयर 2023 में M.A Economic से किया ! उन्होंने यूनिवर्सिटी में टॉप किया ! इस समय के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी उस समय बिहार के राज्यपाल हुआ करते थे । रामनाथ कोविंद जी ने उन्हें गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया।
आप सम्राट वशिष्ठ बचपन बचाओ मुहिम का इस समय वह भी ऐसे बच्चे जो बाल मजदूरी करते हैं उन बच्चों के लिए काम करते हैं और समाज को सही दिशा देने में योगदान दे रहे हैं !