Data Mining क्या है Data Mining Application क्या है

इस पोस्ट में आप जानेंगे Data mining क्या है (What is data mining in hindi) डाटा से सम्बन्ध जानकारियों से है जो बड़े data sets यानि Big data में save रहती है जैसे इंटरनेट पर उपलब्ध करोड़ो अरबों की जानकारियां हैं जो हर सेकंड बढ़ती चली जा रही हैं,

और कैसे उन ढेरों जानकारियों में से आपकी जरुरत की जानकारी को निकाला जा सकता है तो एक बड़े डाटा के भण्डार में से यानि big data में से अपनी जरुरत की जानकारी को खोज निकालने और फिर उस जानकारी का इस्तेमाल business या process को बेहतर करने लिए किया जाता है

तो इस तकनीक को ही data mining कहा जाता है इसमें data mining के लिए data mining tool,Artificial intelligence और machine learning का इस्तेमाल होता है

Data mining का इस्तेमाल कैसे किया जाता है।(Use of data mining in hindi)

Data mining में बिलकुल raw data की जाँच की जाती है जिसके बाद उस raw data में से अपनी जरुरत की जानकारियाँ collect की जाती हैं जिसका इस्तेमाल विश्लेषण के लिए किया जाता है।

अगर हम एक बिज़नेस में डाटा माइनिंग तक्नीक के इस्तेमाल की बात करें तो डाटा माइनिंग द्वारा अपने customers से जुडी जानकारी collect की जाती है,जैसे कस्टमर्स की पसंद,जरूरतें,मांग और इसी के आधार पर business की मार्केटिंग रणनीतियाँ बनाई जाती हैं और sales बढ़ाई जाती हैं।

उदाहरण के तोर पर जैसे आप इंटरनेट पर कोई प्रोडक्ट सर्च करते हैं तो आपके द्वारा सर्च की गयी जानकारी का एक रिकॉर्ड स्थापित हो जाता है जो एक डाटा के रूप में इंटरनेट पर ही कहीं save हो जाता है और जब कभी आप फिर से इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं

तो आपको पिछले सर्च किए गए प्रोडक्ट से जुडी दूसरी और नई जानकारियां दिखाई देने लगती हैं, तो यह सब data mining द्वारा ही होता है जिसमे data mining process द्वारा ऐसे ही raw data को फ़िल्टर करके इनफार्मेशन जुटाई जाती है और बिज़नेस डेवलोपमेन्ट में उसका इस्तेमाल किया जाता है।

डाटा माइनिंग के फायदे

Data mining के कई फायदे हैं और यह फायदे किसी एक इंडस्ट्री तक ही सिमित नहीं हैं बल्कि डाटा माइनिंग का इस्तेमाल हर सेक्टर में इनफार्मेशन जुटाने और एक्शन प्लान बनाने के लिए किया जाता है।

मार्केटिंग रिटेल :- इसमें डाटा माइनिंग द्वारा potential customers की जानकारी collect की जाती है जिससे नई मार्केटिंग रणनीतियाँ बनाने और कैंपेन चलाने में मदद मिलती है और टारगेट कस्टमर को अपना प्रोडक्ट बेचा जा सकता है।

फ्यूचर हेल्थ केयर :-स्वास्थ क्षेत्र में डाटा माइनिंग द्वारा बड़ा योगदान दिया जा रहा है जिसमे पेशेंट से जुडी जानकारियाँ जुटाना उनकी श्रेणियाँ बनाना,इलाज को बेहतर करने में मदद करना,इलाज सम्बन्धी सामान की खरीद के डाटा का अध्यन करना और गलत गतिविधियों को रोकना है।

फाइनेंस सेक्टर :-फाइनेंस सेक्टर में डाटा माइनिंग द्वारा कस्टमर की पूरी जानकारी जुटाई जा सकती है जैसे लोन और क्रेडिट रिपोर्ट सम्बन्धी जरुरी जानकारी बैंक defaulters की जानकारी और हर कस्टमर की फाइनेंसियल हिस्ट्री जिसके बाद कस्टमर को अलग अलग श्रेणियों में बांटा जा सकता है।

इस सभी के अलावा भी डाटा माइनिंग का इस्तेमाल दूसरे कई क्षेत्रों में किया जा रहा है जैसे एजुकेशन,CRM,मैन्युफैक्चरिंग,फ्रॉड को रोकने,क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन इत्यादि के लिए भी।

डाटा माइनिंग तकनीक

डाटा को खोजने यानि माइन करने की अलग अलग तकनीक हैं जो निम्नलिखित हैं।

एसोसिएशन तकनीक :-

इस तकनीक द्वारा कस्टमर की किसी प्रोडक्ट में रूचि और कस्टमर के खरीदने की आदत सम्बंधित जानकारियाँ जुटाई जाती हैं और इन्ही जानकारीयों के अनुसार कम्पनियाँ अपनी रणनीति बनाती हैं और अलग अलग कस्टमर्स को उनके इंट्रेस्ट के अनुसार प्रोडक्ट्स दिखाती हैं जिससे सेल को बढ़ाया जा सके।

क्लासिफिकेशन तकनीक :-

इसमें माइन किए गए डाटा की किस्म के अनुसार श्रेणी बनाई जाती है यानि हर प्रकार के डाटा की अलग श्रेणी बनाई जाती है ताकि जरुरत पड़ने पर डाटा का इस्तमाल तुरंत किया जा सके साथ ही इसमें डाटा क्लासिफिकेशन के लिए मैथमैटिकल एल्गोरिथम का इस्तेमाल किया जाता है।

प्रिडिक्शन तकनीक :-

यह तकनीक हिस्टोरिकल खरीद और बेच के आधार पर कार्य करती है यानि इसमें पिछले डाटा के आधार पर आगे की रणनीति तैयार की जाती है और साथ ही लेटेस्ट चलन को भी ध्यान में रखा जाता है और भविष्य में होने वाली सेल और प्रॉफिट को भी प्रिडिक्ट किया जाता है।

सिकवेंशियल पैटर्न :-

इसमें हिस्टोरिकल डाटा से एक जैसा पैटर्न यानि डाटा के रूप का पता लगाया जाता है और क्रमबद्ध तरीके से रखा जाता है यह एक प्रकार की आर्डर
लिस्ट होती है जिसके द्वारा अलग अलग समय पर कस्टमर द्वारा एक प्रकार की खरीद और प्रोडक्ट इंट्रेस्ट का पता चलता है।

डिसिशन ट्री :-

इसमें data sets को छोटे subsets में तोड़ा जाता है और कंडीशन लगाई जाती है और डिसिशन के आधार पर डाटा जुटाया जाता है यानि कस्टमर के सामने किसी प्रोडक्ट की खरीद के समय सवालों या कंडीशन को आधार बनाया जाता है और उन से जुड़े अलग अलग जवाब भी डाले जाते हैं जिसके अनुरूप डिसिशन ट्री काम करता है।

क्लस्टरिंग तकनीक :-

डाटा माइनिंग की इस तकनीक में सबसे पहले समान और अलग अलग डाटा को समझा जाता है और उस के बाद डाटा के प्रकार अनुसार उसे अलग अलग ग्रुप
में बांट दिया जाता हैं और हर ग्रुप दूसरे ग्रुप से बिलकुल अलग होता है ग्रुप के इन्हे भिन्न प्रकारो को Clusters कहा जाता है।

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