DDOS Attack in Hindi | DDOS अटैक क्या है।

हेलो दोस्तों आज के इस लेख में हम आपको डीडीओएस अटैक के बारे में बताएंगे,की आख़िर ये DDOS अटैक क्या है,DDOS attack in Hindi और इस से कैसे बचा जा सकता है।

DDOS Attack क्या है। What is DDOS attack in hindi

DDOS का full form है Distributed Denial of Service attack,यह Cyber attack का ही एक प्रकार है,जिसका मकसद किसी ऑनलाइन Server,Application Website या Service को बाधित (बंद) कर देना है,ताकि User’s उस वेबसाइट या सर्विस को Access ना कर सकें।

किसी भी ऑनलाइन सर्विस,वेबसाइट या सर्वर की एक प्रोसेसिंग स्पीड और यूजर handling सीमा होती है,और यदि उस सीमा को लगातार Cross किया जाए तो एक समय बाद वह वेबसाइट या ऑनलाइन सर्विस Slow या Crash हो जाती है,यानि काम करना बंद कर देती है।

डीडीओएस अटैक में इसी पॉइंट को अटैकर target करते हैं,और जिस वेबसाइट या सर्विस को down करना है या Crash करना है,उस पर लगातार बड़ी भारी मात्रा में विभिन्न Network Sources (Botnet) से ट्रैफिक भेजा जाता है,जिससे की एक समय बाद वह टारगेट crash हो जाता है।

Botnet मैलवेयर संक्रमित कम्प्यूटर्स का एक नेटवर्क होता है,जिसे किसी Attacking party द्वारा Control किया जाता है,और DDOS अटैक के समय इसी botnet नेटवर्क में स्थित कंप्यूटर्स द्वारा ट्रैफिक Generate किया जाता है,जिससे की टारगेट को डाउन किया जा सके।

यानि DDOS अटैक में Attacker अपने टारगेट पर विभिन्न संक्रमित श्रोतों से Flooding करके उसे नुकसान पहुँचाता है,और attacker द्वारा इसे एक Central point से कण्ट्रोल किया जाता है।

DDOS Attack कैसे काम करता है।

Distributed Denial of Service attack DOS अटैक का ही एक बड़ा रूप है। जहाँ DOS अटैक के द्वारा Single नेटवर्क या कंप्यूटर के माध्यम से व्यर्थ का traffic Flooding करके target को down किया जाता है, यानि इसमें अटैक एक single कंप्यूटर या नेटवर्क द्वारा किया जाता है।

वहीँ DDOS अटैक एक बड़ा और विनाशकारी अटैक होता है,जिसका पता लगाना और रोकना काफी मुश्किल साबित होता है।

इसे सामान्य तोर पर Botnets द्वारा अंजाम दिया जाता है,जिसमे attacker विभिन्न user’s के कम्प्यूटरों पर Malware के द्वारा Command & Control Software (C2) इनस्टॉल कर देते हैं।

और इसी तरीके से bot का एक पूरा बड़ा नेटवर्क तैयार कर लिया जाता है,जिसके बाद अटैकर के कमांड देते ही,बॉटनेट एक्टिव हो जाते हैं और target पर भारी मात्रा में संक्रमित request जानी शुरू हो जाती हैं,

जो की उस नेटवर्क की पूरी bandwidth को Consume करने लगती हैं,जिसके फलस्वरूप एक समय बाद या तो वह सर्विस respond करना बंद कर देती है या Crash हो जाती है।

DDOS अटैक के प्रकार। Types of DDOS attack in Hindi

वैसे तो डीडीओएस अटैक के कई प्रकार हैं,लेकिन उनमे से कुछ मुख्य इस प्रकार हैं।

Traffic attack:- इस अटैक में heavy traffic flooding के द्वारा टारगेट को डाउन किया जाता है,जिसके लिए भारी संख्या में विभिन्न श्रोतों से UDP थता ICMP पैकेट भेजे जाते हैं,ताकि सर्वर पर load पड़े और request process होना बंद हो जाए। इस प्रकार के अटैक को (Bps) bits per second में मापा जाता है।

Protocol Attack:- इस अटैक में टारगेट पर बड़ी संख्या में पैकेट्स send किए जाते हैं,ताकि Server थता दूसरे हार्डवेयर resources को पूरी तरह से consume कर लिया जाए। इस प्रकार के अटैक में Packets की संख्या इतनी अधिक होती है,जिससे की टारगेट सर्वर या नेटवर्क Port उन पैकेट्स को handle नहीं कर पाते। इस प्रकार के अटैक को (Pps) Packets per second में मापा जाता है।

Application Layer attack:- इस प्रकार के अटैक में पुरे सर्वर को नहीं बल्कि ऑनलाइन ऍप्लिकेशन्स की कमजोर कड़ियों को निशाना बनाया जाता है,ताकि उस एप्लीकेशन पर यूजर का Access बंद किया जा सके। इस अटैक को Layer 7 attack भी कहा जाता है। इस प्रकार के अटैक को (Rps) Request per second में मापा जाता है।

DDOS अटैक से कैसे बचा जा सकता है।

जब DDOS अटैक के द्वारा किसी वेबसाइट,एप्लीकेशन या ऑनलाइन सर्विस को टारगेट किया जाता है,तो ऐसी स्थिति में यदि यूजर द्वारा पहले से ही उसके बचाव सम्बंधित जरुरी कदम नहीं उठाए गए हों,तो इस प्रकार के अटैक को रोकना काफी मुश्किल साबित होता है।

तो ऐसे में आपका Security Assessment करना काफी जरुरी हो जाता है,ताकि ऐसी स्थिति होने पर आप इसे रोक संके या आपका कम से कम नुकसान हो।

इस प्रकार के अटैक से बचने के लिए सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम यह है की अपने डाटा को दूसरे सुरक्षित स्थान पर भी रखें,ताकि किसी प्रकार की आवश्यकता पड़ने पर आप उसका दूसरे माध्यमों से भी उपयोग कर सकें।

यदि बिज़नेस की नजर से देखा जाए तो आप नेटवर्क सिक्योरिटी टूल्स का उपयोग करें जैसे VPN,Anti spam, firewall, Content filtering, load balancing इत्यादि और साथ ही वेब सर्वर या प्लेटफार्म से जुड़े सभी सॉफ्टवेयर और Patches अपडेट रहने चाहिए, ताकि अधिक सुरक्षा परतों के एक साथ उपयोग से DDOS अटैक को रोका जा सके।

एक आम यूजर की नजर से देखा जाए जहाँ पर किसी वेबसाइट या ऑनलाइन प्लेटफार्म को सुरक्षित रखने के लिए आप VPN, Securi, Clouflare जैसे ऑनलाइन सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर का उपयोग कर सकते हैं,थता इस्तेमाल किए जाने वाले हर सॉफ्टवेयर को अपडेट रखा जाए।

अंतिम शब्द

आपने जाना DDOS अटैक क्या हैDDOS attack in hindi, थता इसके प्रकार। और साथ ही यह भी जाना की कैसे कुछ जरुरी कदम उठाकर इससे बचाव किया जा सकता है।

दोस्तों हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी,और यदि अभी भी आपके पास इससे जुड़े कोई सवाल हैं,तो आप कमेंट कर हमसे पूछ सकते हैं।