इस पोस्ट में हम समझेंगे (DFD) डाटा फ्लो डायग्राम के बारे में, DFD in software engineering in Hindi, और साथ ही इसके कंपोनेंट्स और प्रकार के बारे में भी जानेंगे।
DFD in software engineering in Hindi
Data flow diagram जिसे शार्ट में (DFD) या Bubble chart भी कहा जाता है, जैसे की इसके नाम से ही पता चलता है, की Data flow के graphical representation को DFD कहा जाता है, यानि डाटा फ्लो डायग्राम (DFD) किसी सिस्टम या प्रक्रिया में डाटा के प्रवाह को दर्शाता है, या केहलीजिये DFD स्टैंडर्ड प्रतीकों (Symbols) और नोटशन्स का उपयोग कर डाटा प्रवाह के माध्यम से किसी सॉफ्टवेयर सिस्टम के प्रोसेस का Graphical view प्रदान करता है।
यह एक प्रकार से इंजीनियर को पुरे सिस्टम की mirror image प्रदान कर देता है, जिसके द्वारा शुरुवाती पॉइंट से अंतिम पॉइंट, इनपुट से आउटपुट्स, डाटा फ्लो, डाटा स्टोर्स, डाटा प्रोसेसेज और डाटा डेस्टिनेशंस का पूरा ओवरव्यू पता चल जाता है, यानि यह देखा जा सकता है, की सिस्टम किस प्रकार काम कर रहा है।
Components of DFD in Hindi
डाटा फ्लो डायग्राम (DFD) में निम्नलिखित पाँच तत्व हैं। यह वे Symbols और Notations हैं, जिनका उपयोग DFD में डाटा के प्रवाह (Flow) को दर्शाने के लिए किया जाता है
entities :- इसमें डाटा का source और destination शामिल होता है, सोर्स यानि जहाँ से सिस्टम को डाटा मिल रहा है, डेस्टिनेशन यानि जहाँ डाटा पहुँच रहा है, या जो डाटा को ले रहा है, और इसे आयत (Rectangle) के रूप में दर्शाया जाता है।
Data Flow :- इसमें डाटा का फ्लो प्रवाह बताया जाता है, यानि डाटा किस प्रकार और किस दिशा में flow हो रहा है। इसे तीर (arrow) के रूप में दर्शाया जाता है।
Processes :- वे टास्क जो की डाटा में परफॉर्म हो रहे हैं, उन्हें प्रोसेस के रूप में जाना जाता है। इसे Circle के रूप में दर्शाया जाता है।
Data stores :- इसमें सिस्टम का डेटाबेस शामिल रेहता है, यानि जो एप्लीकेशन वर्क कर रही है, उसका डेटाबेस। इसे सामानांतर रेखाओं (Parallel lines) के रूप में दर्शाया जाता है।
types of Data flow diagram in Hindi
DFD को दो हिस्सों में बांटा जाता है, Logical और Physical, तो चलिए इन्हे समझते हैं।
लॉजिकल DFD :- लॉजिकल dFD मुख्य रूप से सिस्टम की प्रक्रिया पर केंद्रित रेहता है, यानि यह डाटा के प्रवाह को दर्शाता है, डाटा कैसे फ्लो हो रहा है। लॉजिकल DFD का सिस्टम के कार्यान्वयन से कोई सरोकार नहीं होता है।
फिजिकल DFD :- फिजिकल dFD इस बात पर केंद्रित रेहता है, की सिस्टम कैसे implement किया गया है, यानि यह सिस्टम के कार्यान्वयन पर केंद्रित रेहता है, जिसमे की सिस्टम का हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और साथ ही सिस्टम में मौजूद लोग भी शामिल रेहते हैं।
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