Essay on Bharat Ka Vikas in Hindi

भारत विश्व में तेजी से उभरती हुयी अर्थव्यवस्था है, लेकिन आज भी भारत में काला धन और भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है. अगर हम बात करे आजादी से पहले की तो भारत की स्थिती स्वतंत्रता से पहले बहुत ही दयनीय थी लेकिन स्वतंत्रता के बाद से ही भारत के विकास के लिए बहुत सारे प्रयास किए गए है. 1951 से ही भारत के विकास को लिए पंचवर्षीय योजनाओं का आयोजन किया गया है. भारत ने स्वतंत्रता के पश्चात हर क्षेत्र में बहुत ज्यादा प्रगति की है, जिस कारण आज के समय का भारत प्राचीन भारत से बहुत ही अलग है. आज प्यूरी दुनिया भारत की अर्थव्यवस्था को देख कर आस्चर्य चकीत है, विगत दशकों में भारत का आर्थिक विकास उत्साहवर्द्धक रहा है, विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, PPP के आधार पर वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में भारत की भागीदारी 6.4% है और इस आधार पर आज हमारा देश विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, किन्तु अभी भी यह विश्व में उस स्थान को प्राप्त नहीं कर सका है जिसका यह वास्तव में हकदार है।

भारत का विकास पर निबंध 1 (150 शब्द)

जैसा की हम सभी जानते है हमारा देश लम्बे समय तक अग्रेजों का गुलाम रहा है, विदेशी शासन के दौरान कुछ लोग ऐसे रहे होंगे जो अच्छा जीवन बिताते थे किंतु आम जनता की दशा दुखद एवं दयनीय थी. उस समय आम जनता को दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता था, लेकिन हमारे देश की जनता ने अग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद की और उन्हें भारत को छोड़ कर जाना पड़ा, भारत को बहुत कठिनाईयो का सामना करने के बात विदेशी शासन से मुक्ति प्राप्त हुई और फिर सरकार के समक्ष देश की आम जनता की दशा सुधारने का अनिवार्य कार्य था. रूस से सबक सीख कर हम ने 1951 से विकास के लिए नियोजन प्रारंभ कर दिया और Five Year Plans का निर्माण किया हमने लगभग 7 दशाब्दी से अधिक का नियोजन पूरा कर लिया है हमने बारहवीं पंचवर्षीय योजना को पूरा कर लिया है एवं तेरहवीं पंचवर्षीय योजना के लिए परिचय तथा Strategy तय कर ली है, नियोजन की इस अवधि में हमने जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में अच्छी प्रगति की है और 2017 का भारत 1950 के भारत से बहुत भिन्न प्रतीत होता है. आज भारत एक उभरती हुई अर्थवयवस्था है, आज भारत देश बहुत ही तेज़ी के ग्रो कर रहा है।

आज विभिन्न क्षेत्र में विकास- भारत समय के साथ साथ हर क्षेत्र में खुद को बेहतर बना रहा है, और नित विकास के नए नए मार्ग खोज रहा है, हमने कृषि के क्षेत्र में बहुत अच्छी प्रगति की है. यह तो हम सभी जानते है, पुरे भारतवर्ष में हरित क्रांति हो चुकी है और हम खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बन चुके हैं. आज कृषि के अतिरिक्त जीवन के अन्य क्षेत्रों को भी नियोजन से लाभ पहुंचा है. वर्तमान समय में शैक्षिक सुविधाओं का काफी विस्तार हुआ है, और अगर हम बात करे स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की संख्या काफी बढ़ गई है, शैक्षिक सुविधाओं को और अच्छा बनाने के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे है, आज साक्षरता का प्रतिशत भी काफी बड़ा है. चिकित्सीय फील्ड में हमारी सरकार ने बहुत से बेतर प्रयास किया है, जिसके चलते चिकित्सीय सुविधाएं भारत के दूरस्थ क्षेत्रों में पहुंच गई है. आज पुरे भर में सैकड़ों हॉस्पिटल और डिस्पेंसरी स्थापित की गई है और औषधियों का भारत में ही निर्माण हो रहा है. भारत में विज्ञान भी प्रगति के पथ पर है. सैकड़ों Laboratories और अनुसंधान केंद्र विभिन्न प्रकार के विषयों पर कार्य करने के लिए स्थापित किए हैं. भारत में औद्योगीकरण तेजी से बढ़ रहा है. भारत हर फील्ड में बहुत ही तेज़ी के साथ आगे बढ़ रहा है. भारत उद्योगों द्वारा निर्मित बहुत सी चीजों के बारे में आत्मनिर्भर होता जा रहा है. नाभिकीय एवं Space Research के क्षेत्र में हमारी प्रगति ने विश्व में हमारी प्रतिष्ठा को ही नहीं बनाया है बल्कि हमारे विकास और आर्थिक प्रगति के रास्ते खोल दिए हैं. प्रतिरक्षा के साज-समान और तकनीकी में हाल ही में हुए विकास के परिणाम स्वरूप सैनिक दृष्टि से हमने विश्व की बड़ी ताकतों में से एक का स्थान प्राप्त कर लिया है।

भारत का विकास पर निबंध 2 (300 शब्द)

आज भारत के विकास में भ्रष्टाचार बहुत बड़ी बाधा है, क्योंकि भ्रष्टाचार के कारण एक तो कुछ ही लोगों के पास धन एकत्रित होता है. साथ ही बाजार में कृत्रिम वृद्धि लाता है, जिससे वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि होती है और वस्तुएं गरीब व्यक्ति की पहुँच से बाहर हो जाती हैं, तथा आम लोगों का विकास मुश्किल हो जाता है, भ्रष्टाचार के चलते आज भारत वैसे तैराकी नहीं कर पा रहा जैसी उसे करनी चाहिए थी, विकास की आवश्यकता- भारत में अभी भी बहुत से क्षेत्र ऐसे है जिनमें विकास की आवश्यकता है और अब तक प्राप्त किए गए संसाधन सभी लोगों के समान रूप से प्राप्त नहीं होते हैं. भारत के विकास में जनसंख्या विस्फोट एक बहुत ही बड़ी समस्या बनी हुई है. भारत के 80 प्रतिशत संसाधन 10 प्रतिशत अमीर लेगों के पास है और बाकि के 10 प्रतिशत संसाधन 90 प्रतिशत गरीब लोगों के पास है. भारत के अभी भी कुछ इलाके पिछड़े हुए है, जिन-पर हमारी सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है और उनका विकास करने की अभी भी जरुरत है. लेकिन दोस्तों खुसी की बात यह है की हमारी सरकार इसके लिए लगातार प्रयास कर रही है।

स्वतंत्रता से पहले, भारतीय जनता के विकास के लिए ब्रिटिशों के द्वारा बहुत कुछ किया गया था. आजादी के तुरंत बाद भारत के सामने जो बड़ी समस्या थी वह थी कि कैसे रीमेक बनाया जाए, और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली मानवता की विशाल भीड़ (1947 में लगभग 82 प्रतिशत) का पुनर्निर्माण, पुनर्निमाण, पुनर्जनन और पुनर्जीवित करने के लिए सबसे अच्छा कैसे हो, ग्रामीण पुनर्निर्माण का अर्थ है जीवन के एक नए पैटर्न को अपनाना, जो ग्रामीणों की आदतों, परंपराओं और संस्थानों पर आधारित होना चाहिए।

ऐसे ग्रामीण पुनर्निर्माण के लिए, कुछ अन्य देशों के नक्शेकदम पर चलते हुए, भारत ने भी मुख्य रूप से आर्थिक नियोजन के लिए नियोजन का रास्ता अपनाया था। बॉम्बे प्लान के बाद योजना और विकास विभाग 1944 की शुरुआत में बनाया गया था. स्वतंत्रता के बाद, भारतीय संविधान के सामान्य और दीर्घकालिक लक्ष्यों और हमारे संविधान में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार, राष्ट्रीय सरकार ने 1950 में सभी राज्य और केंद्रीय योजनाओं और समन्वय के लिए योजना आयोग की नियुक्ति के लिए तत्काल पहल की और सामाजिक विषमताओं को दूर करने और वांछित दिशा में सामाजिक परिवर्तन लाने के उपाय और साधन सुझाए, हालांकि, इस स्तर पर, संसाधनों की कमी और इसे प्राप्त करने के लिए आवश्यक साधन और कौशल के कारण नियोजन ठोस आकार नहीं ले सका.

पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली पहली सरकार ने भारत को आधुनिक बनाने के अपने लक्ष्य के रूप में समाज के समाजवादी स्वरूप को स्वीकार किया, तक वी.पी. सिंह और चंद्रशेखर सरकारें (1988-91), नेहरू की नीति में बहुत बदलाव नहीं हुआ था. लेकिन, नरसिम्हा राव की सरकार ने 1991 की शुरुआत में इस नीति को छोड़ दिया और उदारीकरण, विपणन और निजीकरण की नीतियों के आधार पर एक नया मॉडल लॉन्च किया, विकास का यह नया मॉडल अभी भी जारी है। इसने न केवल आर्थिक विकास को प्रभावित किया है बल्कि सामाजिक संरचना में भी भारी बदलाव लाया है।

भारत का विकास पर निबंध 3 (400 शब्द)

भारत एक ऐसा देश है जिसने 60 साल पहले (1947 से) अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की थी, वह भी एक देश जो “विकासशील देश” के बैनर तले बैठा है. इसका उल्लेख कुलवंत एस पवार ने किया है, भारत हर साल लगभग 450,000 नए स्नातक इंजीनियरों के साथ एक ऐसा देश है, जिसकी दुनिया की 20% आबादी 25 साल से कम है, जो पेशे और नौकरी के अच्छे अवसरों जैसी समस्या से जूझता है।

इसके अलावा, लोकतांत्रिक भारत अपने सरकारी अधिकारी की रिश्वतखोरी के लिए सबसे खराब है. जो देश के संरचनात्मक और आर्थिक विकास को भी प्रभावित करता है, लेकिन इस बढ़ते देश के लिए उच्च कौशल वाले लोगों के लिए बेरोजगारी का संकट है. देश के उच्च प्रतिभाशाली नेता अधिक अंतर्राष्ट्रीय और विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने का प्रयास करते हैं ताकि लोगों को विकसित करने के लिए अतिरिक्त रोजगार के अवसरों से संबंधित नए क्षेत्रों को खोला जा सके और देश को विकसित बनाने में परिणाम मिल सके।

इस उद्देश्य के साथ-साथ भारत में कंपनी साझेदार स्थापित करने में कम लागत और सस्ते श्रम पर विचार करने के लिए, ऐसे मामले बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में खींच रहे हैं; इस मंदी की अवधि के दौरान, भारत में बढ़ रहे इस अंतर्राष्ट्रीय संचालन के विभिन्न कारणों में गहराई से विश्लेषण के लिए, यह स्पष्ट और सहायक होगा यदि हम देश के अतीत में एक नज़र डालें कि यह कैसे चलाया गया था और अंतर्राष्ट्रीय हित के लिए विभिन्न कारण जो धारा 2 में किए जाएंगे , आगे की स्थितियों में वर्तमान स्थितियों और आजादी से विकास पर चर्चा होगी।

भ्रष्टाचार ने तो भारत की शिक्षा व्यवस्था को बुरी तरह क्षतिग्रस्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है. जैसे उच्च शिक्षा मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि में भ्रष्टाचार के कारण देश में कुशल डॉक्टरों और इंजीनियरों के अभाव से देश को गुजरना पड़ रहा है. भ्रष्टाचार ने हमारे देश को काफी नुक्सान पोछा है लेकिन फिर भी हमर देश इसके ख़लीफ़ लगातार लड़ता रहा है, भारत सरकार ने कालेधन, भ्रष्टाचार, आतंकवाद और जाली नोटों पर शिकंजा कसने हेतु अपने सख़्त कदम की दिशा में अग्रसर होते हुए 8 नवंबर 2016 की मध्य रात्रि यानि 12 बजे रात से वर्तमान में जारी 500 रुपये और 1000 रुपये के करेंसी नोट लीगल टेंडर नहीं रहने की घोषणा की है. अर्थात ये मुद्राएं कानूनी रूप से अमान्य होंगी. काले धन और काले नोटों में लिपटे देश विरोधी तत्वों के पास मौजूदा 500 व 1000 के नोट मात्र कागज़ के टुकड़े के समान रह जाएंगे, ज्ञातव्य है कि 100, 50, 20, 10, 5, 2 रुपये के नोट प्रचलन में बनी रहेंगे. साथ ही सभी प्रकार के सिक्के Regular रूप से बने रहेंगे और लेन देन के लिय उपयोग हो सकते हैं. साथ ही देश के लोगों को असुविधा न हो इस हेतु कुछ व्यवस्था की गयी है. जैसे 500 और 1000 के पुराने नोट को 10 नवंबर 2016 से 30 नवंबर 2016 तक अपने बैंक और Post office के खाते में जमा कराया जा सकता है. 500 या 1000 के पुराने नोटों को खाते में डालकर अपनी जरूरतों के अनुसार फिर से निकाला जा सकता है।

भारत का विकास पर निबंध 5 (600 शब्द)

भारत दुनिया का एक विशाल देश है और विकासशील देश भी है। यहां शहरी क्षेत्र कहीं विकसित है, वहीं भारत के ग्रामीण क्षेत्र में कोई विकास नहीं हुआ है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र जो गांव हैं, देश का दिल है. उस सेक्टर का विकास होना चाहिए. ग्रामीण क्षेत्र बहुत अधिक अविकसित हैं क्योंकि उचित समय में पहुँचने की कोई सुविधा नहीं है और हस्तांतरित सारा पैसा ग्राम पंचायत और सरकार के उपरोक्त क्षेत्र के लोगों द्वारा खा लिया गया है।

भारत में ग्रामीण क्षेत्रों का विकास यदि जनता और प्राधिकरण सहयोग करते हैं तो किया जा सकता है. ग्रामीण क्षेत्र को विकसित करने का मतलब विकास और शहर का उत्थान है, जिसमें पानी की आपूर्ति, बिजली, सड़क, गैस और कई तरह की उचित सुविधाएं नहीं हैं. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का जीवन बहुत महत्वपूर्ण है, और कोई भी बेहतरी नहीं है। बहुत से लोग रोजगार और अधिक वेतन के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्र में पलायन करते हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होना चाहिए क्योंकि अधिकांश कृषि और खेती ग्रामीण क्षेत्रों में होती है. इसलिए कृषि में उचित तकनीक प्रदान की जानी चाहिए जो देश को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ देगा. भारत के कल्याण को गांवों के स्वास्थ्य पर उचित तरीके से निर्भर किया गया है. आज हमारी कृषि संस्कृति भी कृषि के लिए पुरानी मशीन का उपयोग करती है, इसलिए किसान के लिए कई समस्याएं हैं. सरकार को ग्रामीण क्षेत्र में आवश्यक कार्य करना चाहिए; ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए सभी सुविधा दी जानी चाहिए, क्या गाँव देश की आत्मा हैं तो अगर ग्रामीण इलाकों का विकास नहीं हुआ है तो देश की तरक्की नहीं होगी।

चूंकि शहरी क्षेत्र को सभी समान सुविधा मिलती है, इसलिए ग्रामीण क्षेत्र में विकसित किया जाना चाहिए, कृषि क्षेत्र में शिक्षा और अस्पताल का कोई उचित तरीका नहीं है, जो लोगों के जीवन पर प्रभाव डालता है और इस तरह क्षेत्र अविकसित हो जाता है. ग्रामीण क्षेत्र को विकसित करने के लिए शिक्षित लोगों द्वारा उठाए गए कुछ चुनौतियाँ यहाँ होनी चाहिए:

शिक्षित लोगों को ग्रामीण क्षेत्र में जाना चाहिए ताकि उचित शिक्षा व्यवस्था बहुत ही मुफ्त हो और अनिवार्य तरीके से हो. क्षेत्र में गरीब होने के कारण, लोग दिन के लिए काम करते हैं, इसलिए क्षेत्र में वयस्कों के लिए रात के स्कूल होने चाहिए, उन्हें एक उचित शिक्षा प्रणाली बनानी चाहिए. ग्रामीण क्षेत्र में मुख्य रूप से लोग जंगलों या खेत में स्वच्छता के लिए जाते हैं, जो वहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है. सभी जंगलों को स्वयं काट दिया जाना चाहिए फिर विशेष क्षेत्र में स्वच्छता बनाई जानी चाहिए, और क्षेत्र में पानी की उचित आपूर्ति होनी चाहिए।