पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के कार्य को पर्यावरण संरक्षण कहा जाता है. पर्यावरण संरक्षण का मुख्य उद्देश्य भविष्य के लिए पर्यावरण या प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना है. इस सदी में हम लोग विकास के नाम पर पर्यावरण को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं. अब हम ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं कि हम पर्यावरण संरक्षण के बिना इस ग्रह पर लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं. इसलिए हम सभी को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए, पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों परि और आवरण से मिलकर बना है, जिसमें परि का मतलब है हमारे आसपास अर्थात जो हमारे चारों ओर है, और ‘आवरण’ जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है. पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की कुल इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं, तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं, आज ग्लोबल वार्मिंग, हमारे लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी वनों की कटाई और विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि जैसे कई कारणों से हमारा पर्यावरण बिगड़ रहा है. पर्यावरण संरक्षण चिंता का कारण बन गया है, पर्यावरण संरक्षण मानव के साथ-साथ अन्य जीवित प्राणियों के लिए भी आवश्यक है. और जैसा की आप सभी जानते है, हमारा कर्तव्य है कि हम स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित करने के लिए अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं वह करें।
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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 1 (150 शब्द)
पर्यावरण संरक्षण से तात्पर्य पर्यावरण को नष्ट होने से बचाने के कार्य से है, हमारी धरती माता का स्वास्थ्य दिन-ब-दिन बिगड़ता जा रहा है. इस नीले ग्रह पर पर्यावरण के क्षरण के लिए मानव ही जिम्मेदार है. पर्यावरण प्रदूषण उस सीमा तक पहुंच गया है कि हम इससे उबर नहीं सकते हैं. लेकिन हम निश्चित रूप से पर्यावरण को अधिक प्रदूषित होने से रोक सकते हैं. इस प्रकार पर्यावरण संरक्षण शब्द उत्पन्न होता है. पर्यावरण संरक्षण एजेंसी, एक यूएस-आधारित संस्था पर्यावरण के संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास कर रही है. भारत में, हमारे पास एक पर्यावरण संरक्षण कानून है, लेकिन फिर भी, मानव निर्मित पर्यावरण प्रदूषण की वृद्धि को नियंत्रित नहीं देखा गया है, पर्यावरणीय समस्याएं जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन इत्यादि मनुष्य को अपनी जीवनशैली के बारे में पुनर्विचार के लिये प्रेरित कर रही हैं, और अब पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन की आवश्यकता महत्वपूर्ण है. पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन,प्राकृतिक वनस्पतियां आदि प्राप्त होती हैं, आज हमें सबसे ज्यादा जरूरत है पर्यावरण संकट के मुद्दे पर आम जनता और सुधी पाठकों को जागरूक करने की, दोस्तों आज के समय में पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस, के रूप में मनाते हैं. इस दिन का जश्न मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठा सकें।
हम सभी पर्यावरण संरक्षण के महत्व को जानते हैं, दूसरे शब्दों में, हम यह भी कह सकते हैं कि हम पर्यावरण की रक्षा के महत्व से इनकार नहीं कर सकते, जीवनशैली के उन्नयन के नाम पर, मानव पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है. विकास के इस युग में, हमारा पर्यावरण बहुत विनाश का सामना कर रहा है, हालत को अब जो हो रहा है, उससे बदतर होने से रोकना बहुत आवश्यक हो गया है. इस प्रकार दुनिया में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा होती है. जनसंख्या के विकास, अशिक्षा, वनों की कटाई जैसे कुछ कारक इस पृथ्वी पर पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं. इस धरती पर इंसान ही एक ऐसा जानवर है जो पर्यावरण के विनाश में सक्रिय भूमिका निभाता है, तो यह और कोई नहीं बल्कि केवल मानव ही पर्यावरण के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. अमेरिका की एक संस्था पर्यावरण संरक्षण एजेंसी पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए बहुत कुछ कर रही है. भारतीय संविधान में, हमारे पास पर्यावरण संरक्षण कानून हैं जो पर्यावरण को मानव के क्रूर क्लच से बचाने की कोशिश करते हैं।
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 2 (300 शब्द)
पर्यावरण को नष्ट होने से बचाने के लिए दुनिया भर में कई पर्यावरण संरक्षण एजेंसी बनाई जाती हैं. भारत में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 पर्यावरण की रक्षा के प्रयास के साथ मजबूर है. यह पर्यावरण संरक्षण कानून 1984 में भोपाल गैस त्रासदी के बाद लागू किया गया है. ये सभी प्रयास पर्यावरण को अधिक क्षरण से बचाने के लिए हैं. लेकिन फिर भी, उम्मीद के मुताबिक पर्यावरण के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ है, पर्यावरण संरक्षण के लिए एकजुट प्रयास की आवश्यकता है, पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखना होगा, पूरे ब्रम्हांड में बस पृथ्वी पर ही जीवन है. वर्षों से प्रत्येक वर्ष 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए तथा साथ ही पर्यावरण स्वच्छता और सुरक्षा के लिए दुनिया भर में मनाया जाता है. भारत में पर्यावरण के प्रति वैदिक काल से ही जागरूकता रही है. विभिन्न पौराणिक ग्रंथो में पर्यावरण के विभिन्न कारको का महत्व व उनको आदर देते हुए संरक्षण की बात कही गई है. भारतीय ऋषियों ने सम्पूर्ण प्राकृतिक शक्तियों को ही देवता का स्वरूप माना है. सूर्य जल, Vegetation, वायु व आकाश को शरीर का आधार बताया गया है. Atharvaveda में भूमिसूक्त पर्यावरण संरक्षण का प्रथम लिखित दस्तावेज है. ऋग्वेद में जल की शुद्दता, यजुर्वेद में सभी प्रकृति तत्वों को देवता के समान आदर देने की बात कही गई है।
पर्यावरण, जिससे चारों तरफ से संपूर्ण ब्रहाण्ड और जीव जगत घिरा हुआ है. अर्थात जो हमारे चारों ओर है वही पर्यावरण है. पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि पूरी तरह निर्भर हैं. वायुमंडल एक प्राकृतिक वातावरण है जो पृथ्वी को ग्रहण करने वाले जीवन के विकास, पोषण और विनाश में मदद करता है. पृथ्वी के प्राकृतिक पर्यावरण पर जीवन के अस्तित्व में एक प्रमुख भूमिका निभाता है और यह मनुष्यों, विकासशील जानवरों और अन्य जीवित चीजों में मदद करता है और स्वाभाविक रूप से बढ़ता है. लेकिन मनुष्य की कुछ बुरी और स्वार्थी गतिविधियों के कारण हमारा पर्यावरण प्रभावित हो रहा है. यह एक महत्वपूर्ण विषय है और सभी को यह जानना चाहिए कि हमारे पर्यावरण की रक्षा कैसे करें और इसे सुरक्षित रखें ताकि इस ग्रह पर जीवन का अस्तित्व बना रहे, प्रकृति का संतुलन सुनिश्चित करने के लिए, पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती हैं, क्योंकि पर्यावरण ही पृथ्वी पर एक मात्र जीवन के आस्तित्व का आधार है. पर्यावरण, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध, जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है।
पर्यावरण से ही हम है, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, और जैसा की आप सभी जानते है, पिछले कई दशकों से हम मानव अपनी मातृ पृथ्वी और उसके संसाधनों को प्रौद्योगिकी के विकास के नाम पर नीचा दिखा रहे हैं, अनजाने में अपने जीवन स्तर को बढ़ाने के नाम पर हम इसे और अधिक बाधित करने के रास्ते पर हैं. आज हम इतने आगे आ गए हैं कि यह बेहतर जीवन जीने का सवाल नहीं है, बल्कि यह अब जीने के बारे में है. हम अपनी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ करने से भी पीछे नहीं हटे जो की हमारे हित में नहीं है, प्रकृति में प्राकृतिक और मानव निर्मित कारकों द्वारा स्वयं में किए गए परिवर्तनों के खिलाफ खुद को पुनर्जीवित करने का एक अद्भुत गुण है, लेकिन वहां इसका संतृप्ति स्तर भी है और शायद हम पहले ही इसे पार कर चुके हैं. हमने इसे मरम्मत से परे हटा दिया है. हमने कार्बन डाइऑक्साइड के आवश्यक अनुपात को असंतुलित करने के लिए पर्याप्त वनों की कटाई का हिसाब रखा है; हमने खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों के साथ जल संसाधनों को पर्याप्त रूप से दूषित कर दिया है जो इसे अपने दम पर आगे शुद्ध नहीं कर सकते हैं. दोस्तों आज हम सब को मिलकर इसे ठीक करने की जरुरत है, यदि हम अब काम करना शुरू नहीं करते हैं, तो हमें कल पछताना नहीं पड़ेगा, यह पर्यावरण की रक्षा करने की बात नहीं है, लेकिन यह हमें किसी भी खतरे में पड़ने से बचाने के बारे में है. यह प्रकृति के साथ संशोधन करने का समय है, ताकि यह हमें अपने घर, पृथ्वी में मानव अस्तित्व के कुछ और सदियों का अनुदान दे सके, पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले सभी कारकों को अतिशीघ्र रोका जाए. युवा वर्ग द्वारा वृक्षारोपण व जलवायु स्वच्छकरण हेतु जन जागरण का अभियान चलाया जाए, तभी पर्यावरण सुरक्षित रह सकेगा।
जैसा कि हम सभी पर्यावरण के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, पर्यावरण वह है जो व्यावहारिक रूप से हमारे चारों ओर है और पृथ्वी पर हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करता है. हवा हम हर पल सांस लेते हैं, कि जो पानी हम अपनी दिनचर्या, पौधों, जानवरों और अन्य जीवित चीजों में उपयोग करते हैं, वे पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं. जब प्राकृतिक चक्र बिना किसी गड़बड़ी के जारी रहता है, तो इसे पर्यावरण के अनुकूल स्वस्थ वातावरण कहा जाता है, प्रकृति के संतुलन में कोई भी बाधा मानव जीवन को नष्ट करने वाले पर्यावरण को पूरी तरह से प्रभावित करती है, जीवन की उन्नत गुणवत्ता, प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वनों की कटाई, जल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, अम्ल वर्षा और अन्य प्रगतिशील आपदाओं के युग में हमारे प्रदूषण से बहुत प्रभावित हो सकते हैं, चला गया, हम सभी को अपने प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करने और इसे यथासंभव सुरक्षित रखने की शपथ लेनी चाहिए।
पर्यावरण को बचाने के लाभ
पर्यावरण को बचाने के लाभ वैसे तो बहुत से लेकिन इनमे से कुछ जो बहुत ही ख़ास है वो इस तरह है, सबसे पहले, विश्व जलवायु सामान्य रहेगी, पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, और प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग हो रहा है. इसके कारण कई मनुष्यों और जानवरों की मौत हो गई है. इसलिए, पर्यावरण को बचाने से ग्लोबल वार्मिंग कम होगी, लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा, प्रदूषण और वनों की कटाई के कारण, कई लोगों का स्वास्थ्य खराब है. पर्यावरण के संरक्षण से निश्चित रूप से लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा. सबसे उल्लेखनीय, पर्यावरण को बचाने से कई बीमारियां कम होंगी. पर्यावरण को बचाने से निश्चित रूप से जानवरों की रक्षा होगी, पर्यावरण को बचाने के कारण कई प्रजातियों का विलोपन नहीं होगा. कई लुप्तप्राय प्रजातियों की आबादी में भी वृद्धि होगी, जल स्तर बढ़ जाएगा, पर्यावरण को नुकसान ने भूजल के स्तर को गंभीर रूप से कम कर दिया है. इसके अलावा, दुनिया भर में पीने के साफ पानी की कमी है. इसके कारण कई लोग बीमार होकर मर गए। पर्यावरण को बचाने से निश्चित रूप से ऐसी समस्याओं से बचा जा सकता है।
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 3 (400 शब्द)
आज पर्यांवरण ना सिर्फ एक जरुरी सवाल है बल्कि पूरे विश्व के लिए ही एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है, लेकिन बहुत ही अफ़सोस की बात है कि काफी बड़ी संख्या में लोग ना तो इसके बारे में ज्यादा जानते हैं और जो जानते भी हैं उनको कोई परवाह भी नही है. और जैसा की हमने आपको ऊपर भी बताया है, पर्यावरण न सिर्फ जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है, बल्कि इसे नष्ट करने में भी मद्द करता है. पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में मद्द करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है. वहीं अगर सीधे तौर पर कहें मानव और पर्यावरण एक–दूसरे के पूरक हैं और दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर हैं, वहीं अगर किसी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित कारणों की वजह से पर्यावरण प्रभावित होता है तो, इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है. पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रुप में प्रभावित करता है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के आस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता है. एक स्वच्छ वातावरण एक समाज और पूरे राष्ट्र की समृद्धि और समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, यह पृथ्वी पर जीवन की उपस्थिति के लिए बुनियादी आवश्यकताओं में से एक है, यहां कुछ बिंदुओं का वर्णन किया गया है कि स्वच्छ पर्यावरण हमारे लिए क्यों आवश्यक है: पौधों, जानवरों, मनुष्यों और जलीय जीवन सहित कोई भी जीवित प्रजाति कचरे के बीच जीवित नहीं रह सकती है. इन सभी को रहने के लिए स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण चाहिए, अशुद्ध वातावरण बीमारियों और असंतुलित इको सिस्टम और बहुत कुछ करने का रास्ता देता है. सभी जीवित रूपों के जीवित रहने से प्राकृतिक संसाधनों के ह्रास के परिणामस्वरूप अशुद्ध पर्यावरण होता है, बहुत कठिन, प्रदूषित वायु में प्रदूषित जल या सांस लेने वाला समाज स्वस्थ और समृद्ध नहीं हो सकता. प्रदूषित वातावरण का इको सिस्टम और वनस्पतियों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
आजकल लोग भौतिक सुखों की प्राप्ति और विकास करने की चाह में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं. बस थोड़े से ही लालच के चलते मनुष्य पेड़-पौधे काट रहा है, और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है. दोस्तों हमें पता है अगर पर्यावरण साफ नहीं रहेगा तो हमारे लिए जीवित रह पाना बहुत मुश्किल हो जायेगा लेकिन फिर भी हम इसे दूषित करने से बाज नहीं आते, आज हमरे पास समय है आपने पर्यावरण को बचाने का लेकिन अगर हमने समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो मानव जीवन का आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा, इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए, हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए, आधुनकि साधन जैसे वाहन आदि का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं न सिर्फ पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है. इसके अलावा उद्योगों, कारखानों से निकलने वाले अवसाद और दूषित पदार्थों के निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि प्रदूषण नहीं फैले, वहीं अगर हम इन छोटी-छोटी बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा, पर्यावरण की रक्षा करना इस ग्रह पर हर इंसान का नैतिक कर्तव्य है, बल्कि यह न केवल पर्यावरण की रक्षा करता है बल्कि परोक्ष रूप से यह खुद को बड़े नुकसान से बचाता है. जब हम अपने अस्तित्व का सवाल उठाते हैं, तो हम कितना अंजान हो सकते हैं?
पर्यावरण का अर्थ है सभी प्राकृतिक पर्यावरण जैसे कि भूमि, हवा, पानी, पौधे, जानवर, ठोस पदार्थ, कचरा, सूरज, जंगल और अन्य चीजें स्वस्थ पर्यावरण प्रकृति के संतुलन को बनाए रखती हैं, और पृथ्वी पर सभी जीवित चीजों का विकास, पोषण और विकास करने में मदद करती हैं. हालांकि, अब कुछ तकनीकी विकासों ने मानव निर्मित चीजों को पर्यावरण में कई तरीकों से विकृत कर दिया है, जो अंततः प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ रहा है, हम भविष्य में इस ग्रह पर जीवन के साथ जीवन के अस्तित्व को खतरे में डाल रहे हैं. अगर हम सभी पर्यावरण के वातावरण को बाधित करते हैं जैसे कि प्रकृति के अनुशासन, इस वातावरण, जलमंडल और शब्द ‘लोसोस्फीयर’ के खिलाफ कुछ भी गलत नहीं है. प्राकृतिक वातावरण के अलावा, एक मानव निर्मित वातावरण भी है जो प्रौद्योगिकी, कार्य पर्यावरण, सौंदर्यशास्त्र, परिवहन, आवास, सुविधाओं और शहरीकरण से संबंधित है. मानव निर्मित वातावरण प्राकृतिक वातावरण को काफी हद तक प्रभावित करता है, जिसे हम एक साथ बचा सकते हैं. प्राकृतिक पर्यावरण के घटकों को एक संसाधन के रूप में उपयोग किया जाता है, हालांकि यह कुछ बुनियादी भौतिक आवश्यकताओं और जीवन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए मनुष्यों द्वारा शोषण किया जाता है। हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों को चुनौती नहीं देनी चाहिए और ऐसे प्रदूषण को रोकना चाहिए या पर्यावरण को बर्बाद नहीं करना चाहिए, हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों को महत्व देना चाहिए और प्राकृतिक अनुशासन के तहत उनका उपयोग करना चाहिए।
पर्यावरण शब्द परि+आवरण से मिलकर बना हुआ है. परि का आशय चारो ओर तथा आवरण का आशय परिवेश हैं. पर्यावरण का साफ होना हमारी सेहत के लिए बहुत ही जरूरी है, पर्यावरण जब तक साफ नहीं होगा हम लोगों इसी तरह बीमार पड़ते रहेंगे, वास्तव में पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़ पौधे, जीव जन्तु मानव और इसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं. इस धरती और सृष्टि के पर्यावरण का निर्माण करने वाले भूमि जल एवं वायु आदि तत्वों में जब कुछ विकृति आ जाती हैं, अथवा इसका आपस में संतुलन गडबडा जाता है, तब पर्यावरण प्रदूषित हो जाता हैं. जिसका अगर कोई जिम्मेदार है तो वह सिर्फ एक इंसान जी हां दोस्तों हम लोगों अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्यावरण को दूषित करते रहते है, जो की हमें नहीं करना चाहिए, पर्यावरण संरक्षण की समस्या- धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि, औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से जहाँ प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों को समाप्त किया जा रहा है. वहां ईधन चालित यातायात वाहनों, खदानों, प्राकृतिक संसाधनों के विदोहन और आण्विक ऊर्जा के प्रयोग से सारा प्राकृतिक संतुलन डगमगाता जा रहा हैं. वर्तमान समय में गैसीय पदार्थों, अपशिष्ट पदार्थों, विभिन्न यंत्रों की कर्णकटु ध्वनियों एवं अनियंत्रित भूजल के उपयोग आदि कार्यों से भूमि, जल, वायु, भूमंडल तथा समस्त प्राणियों का जीवन पर्यावरण प्रदूषण से ग्रस्त हो रहा हैं. ऐसे में पर्यावरण का संरक्षण करना और इसमें संतुलन बनाएं रखना कठिन कार्य बन गया हैं. पर्यावरण की सुरक्षा करना हर एक इंसान की जिमेदारी है, इसलिए हम सभी को इसके लिए मिलकर काम करना चाहिए ।
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 5 (600 शब्द)
पर्यावरण संरक्षण हमारे समाज में जागरूकता बढ़ाकर हमारे पर्यावरण की रक्षा करने का तरीका है. पर्यावरण को प्रदूषण और अन्य गतिविधियों से बचाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि इससे पर्यावरण में गिरावट हो सकती है. पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे पहले, पेड़ लगाने पर बड़े पैमाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए, इन सबसे ऊपर, एक पेड़ ऑक्सीजन का स्रोत है. दुर्भाग्य से, निर्माण के कारण, कई पेड़ काट दिए गए हैं. यह निश्चित रूप से पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करता है. अधिक पेड़ उगाने का मतलब है अधिक ऑक्सीजन, इसलिए, अधिक पेड़ बढ़ने का मतलब बेहतर जीवन गुणवत्ता होगा, इसी तरह, लोगों को वन संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए, वन पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं. हालांकि, वनों की कटाई निश्चित रूप से दुनिया भर के जंगलों के क्षेत्र को कम करती है. जंगलों के संरक्षण के लिए सरकार को कार्यक्रम शुरू करने चाहिए, सरकार को वनों को नुकसान पहुंचाना एक आपराधिक अपराध बनाना चाहिए। पर्यावरण को बचाने के लिए मृदा संरक्षण अभी तक एक और महत्वपूर्ण तरीका है. इसके लिए भूस्खलन, बाढ़ और मिट्टी के कटाव का नियंत्रण होना चाहिए, इसके अलावा, मिट्टी के संरक्षण के लिए वनीकरण और वृक्षारोपण भी होना चाहिए, इसके अलावा, छत की खेती और प्राकृतिक उर्वरकों का उपयोग कुछ और तरीके हैं।
हमें कई तरह से मदद करने के लिए, हमारे आसपास के सभी प्राकृतिक संसाधनों को पर्यावरण में शामिल किया गया है, यह हमें आगे बढ़ने और बढ़ने के लिए एक बेहतर माध्यम देता है. यह हमें इस ग्रह पर रहने के लिए सभी चीजें देता है. हालांकि, अपने पर्यावरण को बनाए रखने के लिए, हमें सभी की मदद चाहिए, ताकि यह हमारे जीवन का पोषण करे और हमारे जीवन को बर्बाद न करे, मानव निर्मित तकनीकी आपदा के कारण हमारे पर्यावरण के तत्व दिन-ब-दिन गिरते जा रहे हैं. केवल पृथ्वी ही एक ऐसी जगह है जहाँ दुनिया भर में जीवन संभव है, और धरती पर जीवन को जारी रखने के लिए, हमें अपने पर्यावरण की मौलिकता को बनाए रखने की आवश्यकता है, विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है जो हर साल 5 जून को कई वर्षों तक मनाया जाता है ताकि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के लिए दुनिया भर में लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके, हमें इस वातावरण में भाग लेना चाहिए ताकि हमारे पर्यावरण संरक्षण के तरीके और सभी बुरी आदतें हमारे पर्यावरण दिवस को नुकसान पहुंचा सकें, हम अपने पर्यावरण को पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति द्वारा बहुत ही आसान तरीके से उठाए गए छोटे कदमों से बचा सकते हैं; कचरे की मात्रा को कम करने के लिए, कचरे को ठीक से बदलने के लिए, पॉली बैग के उपयोग को रोकने के लिए, पुराने सामानों की नए तरीके से रीसाइक्लिंग, टूटी हुई वस्तुओं की मरम्मत और रीसाइक्लिंग, रिचार्जेबल बैटरी या फ्लोरोसेंट रोशनी का उपयोग करना, बारिश के पानी को बचाने, पानी की बर्बादी को कम करने, ऊर्जा बचाने और बिजली के उपयोग को कम करने के लिए अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें।
पर्यावरण प्रदूषण हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक और बौद्धिक पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है. पर्यावरण के दूषित होने से कई बीमारियाँ आती हैं जिससे व्यक्ति पूरी जिंदगी पीड़ित हो सकता है. यह किसी समुदाय या शहर की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया की समस्या है जिसे किसी के प्रयासों से समाप्त नहीं किया जा सकता है. अगर इसे ठीक से ठीक नहीं किया गया, तो एक दिन जीवन के अस्तित्व को खत्म कर सकता है. प्रत्येक आम नागरिक को सरकार द्वारा शुरू किए गए पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम में भाग लेना चाहिए, हमें अपने पर्यावरण और स्वास्थ्य को प्रदूषण से दूर रखने के लिए अपने स्वार्थों और गलतियों को सुधारना होगा, यह विश्वास करना मुश्किल है, लेकिन यह सच है कि केवल एक छोटे से सकारात्मक आंदोलनों के कारण बिगड़ते पर्यावरण में बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं. वायु और जल प्रदूषण विभिन्न रोगों और विकारों के माध्यम से हमारे स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहे हैं. आजकल, हम लोगों को कुछ भी अच्छा नहीं कह सकते हैं क्योंकि हम जो खाते हैं वह कृत्रिम उर्वरकों के प्रतिकूल प्रभाव से पहले ही प्रभावित हो चुका है और हमारे शरीर ने रोगों से लड़ने की क्षमता को कमजोर कर दिया है. यही कारण है कि हम में से कोई भी स्वस्थ और खुश होने के बावजूद रोगग्रस्त हो सकता है।
पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाने वाली सभी प्राकृतिक चीजें जैसे पानी, हवा, धूप, जमीन, आग, जंगल, जानवर, पौधे आदि पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं, ऐसा माना जाता है कि पूरे ब्रह्मांड में केवल पृथ्वी ही एकमात्र घर है, जो जीवन के अस्तित्व के लिए आवश्यक पर्यावरण है। यहां के पर्यावरण के बिना हम जीवन का अनुमान नहीं लगा सकते हैं, इसलिए हमें जीवन के भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए अपने पर्यावरण को स्वस्थ और सुरक्षित रखने की आवश्यकता है, यह पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। सभी को आगे आकर पर्यावरण संरक्षण के अभियान में शामिल होना चाहिए, प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए, पर्यावरण और जीवित चीजों के बीच नियमित रूप से विभिन्न चक्र होते हैं, हालाँकि, अगर किसी कारण से ये चक्र बिगड़ जाते हैं तो प्रकृति का संतुलन भी बिगड़ जाता है, जो अंततः मानव जीवन को प्रभावित करता है. हमारा पर्यावरण हजारों वर्षों से पृथ्वी पर हमें और अन्य प्रकार के जीवों को विकसित, विकसित और विकसित होने में मदद कर रहा है. मनुष्य को पृथ्वी पर प्रकृति द्वारा बनाया गया सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है, यही कारण है कि उन्हें ब्रह्मांड के बारे में जानने की अधिक उत्सुकता है, जो उन्हें तकनीकी उन्नति की दिशा में ले जाती है।
पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है. पर्यावरण संरक्षण को लेकर सन 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा ब्राजील में विश्व के 174 देशों का पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया. फिर सन 2002 में जोहांसबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाएँ गये. वस्तुतः पर्यावरण संरक्षण से ही धरती पर जीवन सुरक्षित रह सकता हैं. अन्यथा मंगल आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन चक्र भी एक दिन समाप्त हो जाएगा. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 में भारत की संसद द्वारा पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के प्रयास में पारित एक अधिनियम है. इसे भोपाल गैस त्रासदी के बाद सरकार द्वारा लागू किया गया था, यह दिसंबर 1984 में भोपाल, मध्य प्रदेश में एक गैस रिसाव की घटना थी. इसे दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदा माना गया क्योंकि आधिकारिक तौर पर तत्काल मरने वालों की संख्या 2,259 थी और 500,000 से अधिक लोग मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस के संपर्क में थे। इस अधिनियम की स्थापना का उद्देश्य लोगों को मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के निर्णयों को लागू करना था. यह पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार और पर्यावरणीय खतरों की रोकथाम के लिए था।
पर्यावरण की रक्षा करने और ग्रह को बचाने की आवश्यकता और महत्व को समझने के बाद भी अगर हम अपनी ओर से कुछ नहीं करते हैं तो यह हमारी ओर से एक बड़ी गलती होगी, हमें इस बारे में जागरूकता पैदा करने और पर्यावरण को बचाने के लिए जो कुछ भी हो सकता है, उसे करना हमारी जिम्मेदारी के रूप में लेना चाहिए, इस व्यस्त, भीड़ भरे और उन्नत जीवन में, हमें दैनिक आधार पर छोटी बुरी आदतों का ध्यान रखना चाहिए, यह सच है कि सभी के छोटे-छोटे प्रयासों से हम अपने बिगड़ते पर्यावरण के प्रति एक बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं. हमें अपनी विनाशकारी इच्छाओं और हमारी विनाशकारी इच्छाओं को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए. हमें अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास करना चाहिए, लेकिन हमेशा आश्वस्त रहें कि भविष्य में हमारे पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा. हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नई तकनीक हमारे पारिस्थितिक संतुलन को कभी गड़बड़ नहीं करेगी।