आज के समय में एक तरह जहाँ मनुष्य दिन-प्रतिदिन कई अलग-अलग तरह की नई-नई तकनीकें विकसित करता आ रहा है. वही मनुष्य विकास के लिए कई तरह से प्रकृति के साथ खिलवाड़ भी कर रहा है. जिसके चलते प्रकृति संतुलन बिगड़ सा गया है, यही कारण है आज प्रकृति संतुलन को बनाए रखने में हमें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. दोस्तों यही असंतुलन कई तरह की समस्याओं को पैदा करता है. आपकी जानकारी के लिए बता दे की इन गंभीर समस्याओं में से एक समस्या ग्लोबल वार्मिंग होती है. ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी समस्या है जो पूरे विश्व के सभी देशों को अपनी चपेट में लिए हुए है. वैज्ञानिकों ने इसकी गंभीरता को देखते हुए देशों को आने वाले भयंकर संकट के बारे में कई बार अवगत कराया है. आज के समय में ग्लोबल वार्मिंग हमारे देश के अलावा पूरे देश के लिए बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है, और यह धरती के Environment पर लगातार बढ़ रही है. इस समस्या से ना केवल मनुष्य, धरती पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी को नुकसान पहुंचा रहे हैं. जैसा की हम जानते है, ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निपटने के लिए प्रत्येक देश कुछ ना कुछ उपाय लगातार कर रहा है. लेकिन अगर हम बात करे यह समस्या उत्पनन कैसे हुई तो ग्लोबल वार्मिंग के सबसे बड़े जिम्मेदार स्वम मानव है. उसकी गतिविधियां ही कुछ ऐसी है, कि हर तरफ लगातार ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रहा है. मनुष्य की इन Activities से खतरनाक गैस कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, इत्यादी का ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में Environment में बढ़ोतरी हो रही है, आज कुछ देशें में ग्लोबल वार्मिंग घटने की वजह निरंतर बढ़ आती रहती है, और इसके चलते कभी बहुत ज्यादा ठंडा हो जाता है तो कभी हद से ज्यादा गर्म हो जाता है।
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ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 1 (150 शब्द)
ग्लोबल वार्मिंग धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी है. इसे अगर हम और भी आसान शब्दों में कहे तो ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ होता है, लगातार तापमान का बढना, दोस्तों जब कोई परिवर्तन प्रकृति के नियम या शर्त के अनुसार नहीं होता है, उसे हम ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं, जैसा की हमने ऊपर भी आपको बताया है, ये सभी बदलाव मानव द्वारा प्रकृति में किया जाता है, यह प्रक्रिया वातावरण और धरती को अपने तापमान से ज्यादा गर्म कर देती है. यहाँ पर हम आपकी जानकारी के लिए बता दे की हमारी धरती Natural तौर पर सूर्य की किरणों से उष्मा प्राप्त करती है. ये किरणें Atmosphere से गुजरती हुईं धरती की सतह से टकराती हैं, और फिर वहीं से परावर्तित होकर पुन: लौट जाती हैं. धरती का Atmosphere कई गैसों से मिलकर बना है, जिनमें कुछ Greenhouse गैसें भी शामिल हैं. इनमें से अधिकांश धरती के ऊपर एक प्रकार से एक Natural आवरण बना लेती हैं.
यह आवरण लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेता है और इस प्रकार धरती के वातावरण को गर्म बनाए रखता है. इस पृथ्वी का Atmosphere मानव और जीव- जंतुओं के जीवन के लिए अनुकूल है. Atmosphere के बिना ये धरती जीवन रहित हो जाएगी. पृथ्वी का Atmosphere अनेक प्रकार की गैसों का मिश्रण है जैसे नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बनडाई ऑक्साइड आदि. गौरतलब है कि मनुष्यों, प्राणियों और पौधों के जीवित रहने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेल्शियस तापमान आवश्यक होता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि Greenhouse गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह आवरण और भी सघन या मोटा होता जाता है. ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकने लगता है, और फिर यहीं से शुरू हो जाते हैं ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव, पृथ्वी के निकट स्थित हवाई और महासागर की औसत तापमान में Twentieth century से हो रही वृद्धि और उसकी अनुमानित निरंतरता है. पृथ्वी की सतह के निकट विश्व की वायु के औसत तापमान में 2500 वर्षों के दौरान 0.74 प्लस माइनस 0.8 डिग्री सेल्सियस(1. 33 प्लस माइनस 0. 32 डिग्री एफ)।
आज के समय में पूरी दुनिया में सबसे बड़ा पर्यावरणीय मुद्दा “ग्लोबल वार्मिंग” है, जिस पर सभी ओर से शीघ्र ध्यान देने की आवश्यकता है. वनों की कटाई के कारण वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का बढ़ना पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग की इस अवांछित स्थिति का प्रमुख कारण है. सीओ 2 के अलावा कई अन्य ग्रीन हाउस गैसों (सीएच 4, एसओ 2, एन 2 ओ) वायुमंडल में उपलब्ध हैं, जो पर्यावरण पर हीटिंग प्रभाव देता है जिसके कारण पृथ्वी की सतह पर तापमान में वृद्धि हुई है. ग्लोबल वार्मिंग की इस स्थिति से बचने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं क्योंकि पेड़ ही एकमात्र विकल्प है जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है और पर्यावरण में ऑक्सीजन का उत्पादन करता है।
ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 2 (300 शब्द)
ग्लोबल वार्मिंग, आज के समय में सबसे बड़ी पर्यावरणीय समस्या है, इसने सभी लोगों के दिमाग को केंद्रित कर दिया है क्योंकि यह मुद्दा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और भविष्य में हमारे लिए एक बड़ी आपदा साबित हुआ है. इस प्रकार दुनिया के प्रत्येक क्षेत्र से पूर्ण ध्यान देने की आवश्यकता है. ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति तब होती है जब वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती मात्रा के कारण पृथ्वी की औसत सतह का Temperature सीमा से अधिक हो जाता है, जो सूरज से आने वाली गर्मी को जाल और अवशोषित करता है, और पृथ्वी की ओर दर्शाता है. ग्लोवल वार्मिंग के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार ग्रीन हाउस गैसे हैं. यहाँ पर हम आपकी जानकारी के लिए बताना चाहेंगे की ग्रीन हाउस गैस बे गेसे होती हैं जो बाहर से मिल रही गर्मि यां उष्मा को अपने अंदर सोख लेती है ग्रीन हाउस गैसों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण गैस कार्बन डाइऑक्साइड है, जिसे हम जीवित प्राणी अपने सास के साथ उत्सर्जन करते हैं, पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी में Atmosphere में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर यहां का Temperature बढ़ाने में कारक बनती है. कार्बन डाइऑक्साइड, वैज्ञानिकों के अनुसार इन गैसों का उत्सर्जन इसी तरह चलता रहा तो 21वीं शताब्दी में हमारे पृथ्वी का Temperature 3 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है अगर ऐसा हुआ तो इसके परिणाम बहुत घातक होंगे दुनिया के कई हिस्सों में बर्फ की चादर बिछी जाएगी. ग्लोबल वार्मिंग गर्मी के मौसम में बढ़ते Temperature के संदर्भ में यह ताप Temperature पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्यों को सीधे प्रभावित करता है. ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख कारण को वनों की कटाई के रूप में मापा जा सकता है, क्योंकि पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषक होते हैं और ऑक्सीजन के निर्माता होते हैं. इस प्रकार कम पेड़ों का मतलब है कि ऑक्सीजन का कम उत्पादन जो CO2 को अवशोषित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
बढ़ी हुई जनसंख्या भी ग्लोबल वार्मिंग का परिणाम है क्योंकि अधिक लोग प्राकृतिक संसाधनों की अधिक खपत करते हैं जो पृथ्वी पर सीमित हैं जैसे कोयला, खनिज, स्नेहक और बिजली। लोग इन संसाधनों का उपयोग इस बात को ध्यान में रखे बिना कर रहे हैं कि हमारे पास पृथ्वी पर सीमित संसाधन हैं और भविष्य में वापस नहीं मिल सकते, एक बार यह समाप्त हो जाएगा। इसके अलावा, तकनीकी उन्नति ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति का भी नेतृत्व कर सकती है क्योंकि बढ़े हुए औद्योगिकीकरण से पर्यावरण में कई ग्रीन हाउस गैसों जैसे CO2, SO2 आदि का उत्सर्जन हो सकता है।
ग्लोबल वार्मिंग के लिए एक चक्र को इस तरह से समझाया जा सकता है जैसे कि हमारी पृथ्वी में जल, जंगल और जमीन है, जिसमें कुछ प्रकार की गैसें भी हैं जो वायुमंडल में मौजूद हैं। कुछ गैसें CO2, SO2, N2O, CH4 और कई और हैं। इन्हें ग्रीन हाउस गैस कहा जाता है। वनों की कटाई, जीवाश्म ईंधन के जलने और बढ़ते औद्योगीकरण के कारण ये गैसें वायुमंडल में तेजी से बढ़ रही हैं। ग्रीन हाउस गैसें सूर्य से आने वाली ऊष्मा का अवशोषण होती हैं, इस प्रकार ऐसे गैसों में वृद्धि के कारण पृथ्वी की औसत सतह का तापमान बढ़ता है जिसके परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग होता है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण, समुद्र का स्तर भी ऊँचा होता जा रहा है और अधिक गर्म होता है जिससे वायुमंडल में अधिक जल वाष्प बनता है. यह जल वाष्प गर्मी को अवशोषित करके अधिक ताप का कारण भी बनता है, और समुद्र के उच्च स्तर के कारण, बाढ़ की संभावना हो सकती है और कम परत वाले तटीय क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति का नेतृत्व कर सकती है. ग्लोबल वार्मिंग के विभिन्न अन्य हानिकारक प्रभाव मानव पर भोजन की भुखमरी, जलवायु परिवर्तन, अशुद्ध पानी, वातावरण में गर्मी के चारों ओर, ऑक्सीजन के स्तर में कमी और विभिन्न स्थानों में सूखे की कुछ समय की स्थिति के रूप में होते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग की रोकथाम के उपाय सरकार को ग्लोबल वार्मिंग को खत्म करने के लिए लोगों में Awareness का अभियान चलाना चाहिए, Awareness के अभियान का काम किसी भी एक राष्ट्र के करने से नहीं होगा इस काम को हर राष्ट्र के द्वारा करना जरूरी है. अगर हम बात करे ग्लोबल वार्मिंग समाधान की तो यह लोगों के एक छोटे समूह द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है, लेकिन इस सार्वभौमिक पर्यावरणीय समस्या को हराने के लिए पूरी दुनिया को एकजुट होने की आवश्यकता है. यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जो ग्लोबल वार्मिंग की संभावना को कम कर सकते हैं जैसे वृक्षों का रोपण, जल, कोयला, बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने की प्राकृतिक संसाधनों का उचित और सीमित उपयोग जो सौर, पवन और जल विद्युत हैं।
ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 3 (400 शब्द)
ग्लोबल वार्मिंग आधुनिक दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गया है. ग्लोबल वार्मिंग के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार तो मनुष्य और उसकी गतिविधियां ही हैं, अपने आप को इस धरती का सबसे बुध्दिमान प्राणी समझने वाला मनुष्य अनजाने में या जानबूझकर अपने ही रहवास को खत्म करने पर तुला हुआ है. मनुष्य जनित इन गतिविधियों से कार्बन डायआक्साइड, मिथेन, नाइट्रोजन आक्साइड इत्यादि ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है, जिसके चलते है ग्लोबल वार्मिंग दिन प्रतिदिन बढ़ रही है. ग्लोबल वार्मिंग के लिए ग्रीन हाउस गैसों का भी काफी बड़ा Contribution है. ये वे गैसें हैं, जिनका इस्तेमाल अत्यधिक सर्द वाले इलाकों में पेड़- पौधे उगाने के लिए किया जाता है. सार्ड इलाकों में पौधों को ठण्ड से बचाने के लिए उनको कांच के घरों में बंद कर दिया जाता है, और ग्रीन हाउस गैसों को उस कांच के घर के अंदर भर दिया जाता है. इस गैसों की ख़ास विशेषता ये होती है कि ये गैसें सूर्य की गर्मी को अपने अंदर Absorbed कर लेती हैं. ऐसे ही हमारी पृथ्वी पर भी ग्रीन हाउस गैसें हैं जो कि सूर्य की गर्मी को अपने अंदर सोख लेती हैं और वातावरण का तापमान बढ़ा देती हैं. अगर इन ग्रीन हाउस गैसों को वातावरण से हटा दिया जाए तो काफी तापमान वृद्धि को रोका जा सकता है. जनसंख्या वृद्धि भारत और चीन जनसँख्या वृद्धि में सर्वप्रथम स्थान पर हैं और यही कारण है कि इन देशों में सर्दियों के महीने लगातार कम होते जा रहे हैं. जनसंख्या की लगातार वृद्धि से कार्बनडाई ऑक्साइड की रही है तापमान में भी वृद्धि होती है।
ग्लोबल वार्मिंग एक वैश्विक समस्या है जिसने हाल के दिनों में आधुनिक दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। पृथ्वी का तापमान दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है और इसने इस दुनिया के सभी जीवों के लिए खतरा पैदा कर दिया है। लोगों को ग्लोबल वार्मिंग के कारणों को जानना चाहिए और इसे नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए। दोस्तों हम सभी को पता है कि पृथ्वी पर ऑक्सीजन की मात्रा ज्यादा होने पर तापमान संतुलित बना रहेगा, लेकिन आज इस आधुनिक दौर में बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे गैंसे बढ़ रही है। जिसके फलस्वरूप पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, अन्टार्कटिका का बर्फ पिघल रही है, जिसकी वजह से जल का स्तर धीरे धीरे बढ़ रहा है, रेगिस्तान के क्षेत्र में क्षेत्रफल में वृद्धि हो रही है, ग्रीन हाउस प्रभाव जैसी मुसीबत सामने आ रही है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि यह दुनिया विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों से बनी है, जो पृथ्वी की सतह के नीचे या आसपास मौजूद हैं. यदि इन संसाधनों की प्रक्रिया में किसी प्रकार की गड़बड़ी या असंतुलन होता है, तो परिणाम ग्लोबल वार्मिंग के रूप में आ सकता है. ऑक्सीजन का घटता उत्पादन, दूसरी तरफ वनों की कटाई या कोयले या अन्य गैसों जैसे प्राकृतिक संसाधनों के अनुचित उपयोग के कारण वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि हुई है, जो ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख कारण हैं। इस आधुनिक समय में, मानव जीवन पूरी तरह से प्रौद्योगिकी और बिजली के उपकरणों पर निर्भर करता है, जिसने बढ़ते औद्योगीकरण की स्थिति का नेतृत्व किया।
अधिक उद्योगों का अर्थ है CO2 का अधिक प्रदूषण और उत्पादन जो सीधे ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है। बढ़ी हुई जनसंख्या को ग्लोबल वार्मिंग के कारण के रूप में भी गिना जा सकता है क्योंकि अधिक लोग प्राकृतिक संसाधनों जैसे भूमि, जल, वृक्ष, कोयला, खनिज और बिजली की खपत को अधिक करते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग एक खतरनाक घटना है जिसका पूरे विश्व में अनुभव किया जा रहा है, यह मानवीय गतिविधियों और नियमित प्राकृतिक प्रक्रिया के कारण भी होता है. पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन के पीछे ग्लोबल वार्मिंग ही कारण है. ग्रीनहाउस गैसों के कारण ग्लोबल वार्मिंग होती है, ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के सामान्य तापमान में वृद्धि के परिणामस्वरूप है. यह कुछ क्षेत्रों में वर्षा को बढ़ाकर और कुछ अन्य में इसे घटाकर मौसम के पैटर्न को बिगाड़ता है, पृथ्वी का तापमान दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, प्रदूषण, वनों की कटाई आदि के कारण तापमान की दर बढ़ रही है और इसके परिणामस्वरूप, ग्लेशियर पिघलना शुरू हो गए हैं. ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए हमें पेड़ लगाना शुरू करना चाहिए और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए, हम ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों से भी लोगों को अवगत करा सकते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 5 (600 शब्द)
मानव अपनी निजी जरूरतों को पूरा करने के लिए ही इस धरती पर कहर ढा रहा है, 18 वीं शताब्दी की शुरुआत से लोगों ने बड़ी मात्रा में कोयले और तेल को जलाना शुरू किया और इसके परिणामस्वरूप, पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में लगभग 30% की वृद्धि हुई और एक चौंकाने वाला डेटा दुनिया के सामने आया, औसत वैश्विक तापमान 1% बढ़ रहा है, हाल ही में ग्लोबल वार्मिंग दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गया है, पृथ्वी का तापमान दैनिक आधार पर बढ़ रहा है. उसी के परिणामस्वरूप, ग्लेशियर पिघलना शुरू हो रहे हैं, हम जानते हैं कि यदि ग्लेशियर पिघलते हैं, तो पूरी पृथ्वी पानी के नीचे होगी. वनों की कटाई, पर्यावरण प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैसों आदि जैसे विभिन्न कारक ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं, पृथ्वी को आसन्न आपदा से बचाने के लिए इसे जल्द से जल्द रोका जाना चाहिए।
ग्लोबल वार्मिंग आज के परिवेश में एक प्रमुख मुद्दा है। यह पृथ्वी के तापमान के औसत तापमान में वृद्धि की घटना है। यह कोयले के जलने से जारी कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य जीवाश्म ईंधन की बढ़ती मात्रा, वनों की कटाई और विभिन्न मानवीय गतिविधियों का अभ्यास करने के कारण होता है, ग्लोबल वार्मिंग ग्लेशियरों को पिघलाने के लिए ले जाता है, जो पृथ्वी की जलवायु स्थिति को बदलता है और साथ ही साथ विभिन्न स्वास्थ्य खतरों का कारण बनता है। यह पृथ्वी पर कई प्राकृतिक आपदाओं को भी आमंत्रित करता है, बाढ़, सूखा, मिट्टी का क्षरण आदि सभी ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव हैं जो हमारे जीवन के लिए आसन्न खतरे का संकेत देते हैं।
हालांकि इसके अलग-अलग प्राकृतिक कारण हो सकते हैं, ग्लोबल वार्मिंग के लिए मानव भी जिम्मेदार है। बढ़ती आबादी पर्यावरण से अधिक से अधिक संसाधन अपने जीवन को आसान और आरामदायक बनाना चाहती है। संसाधनों का उनका असीमित उपयोग संसाधनों को सीमित बना रहा है। पिछले दशक में, हमने पृथ्वी में बहुत सारे असामान्य जलवायु परिवर्तन देखे हैं। यह माना जाता है कि ये सभी परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग के कारण होते हैं। जितनी जल्दी हो सके हमें ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने के उपाय करने चाहिए। वनों की कटाई जैसी मानवीय गतिविधियों को नियंत्रित किया जाना चाहिए, ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने के लिए अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाए जाने चाहिए।
ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या है, और इसका हमरी पृथ्वी वर्तमान समय में सामना कर भी रही है. हमारे ग्लोब का तापमान हर गुजरते दिन उच्च होता जा रहा है. इसके लिए अलग-अलग कारक जिम्मेदार हैं. लेकिन ग्लोबल वार्मिंग का पहला और प्रमुख कारण ग्रीनहाउस गैसें हैं. वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस के बढ़ने के कारण पृथ्वी का तापमान चढ़ रहा है. ग्लोबल वार्मिंग इस पृथ्वी में जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है. वायुमंडल और अन्य ग्रीनहाउस गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ी मात्रा जो जीवाश्म ईंधन के जलने और अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण उत्सर्जित होती है, ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारण कहे जाते हैं. कुछ वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि पृथ्वी की सतह का तापमान अगले आठ से दस दशकों में 1.4 से 5.8 डिग्री सेल्सियस बढ़ सकता है. ग्लोबल वार्मिंग ग्लेशियरों के पिघलने के लिए जिम्मेदार है, ग्लोबल वार्मिंग का एक और सीधा प्रभाव पृथ्वी में असामान्य जलवायु परिवर्तन है. आजकल तूफान, ज्वालामुखी विस्फोट, चक्रवात इस धरती में कहर ढा रहे हैं। पृथ्वी में तापमान के परिवर्तन के कारण, प्रकृति असामान्य तरीके से व्यवहार कर रही है. इस प्रकार ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने की आवश्यकता है ताकि यह खूबसूरत ग्रह हमेशा हमारे लिए एक सुरक्षित स्थान बना रहे।
मानव पर ग्लोबल वार्मिंग के हानिकारक प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को हमारे द्वारा वायुमंडल में ऑक्सीजन की कमी, पृथ्वी पर तापमान में वृद्धि, गर्मी की तरह मौसम में अस्थिरता और सर्दियों के मौसम में कमी के साथ-साथ पूरे वर्ष में अनिश्चित वर्षा के मौसम को आसानी से देखा या महसूस किया जा सकता है, इनके अलावा, ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई अन्य मुद्दे उत्पन्न होते हैं जैसे कि अनिश्चित वर्षा के मौसम के कारण सूखा और कुछ समय में निचले स्तर के तटीय क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो सकती है, क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का स्तर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
ह्यूमन बीइंग द्वारा ग्लोबल वार्मिंग का समाधान
यह समस्या इतनी बड़ी है कि अगर हम अभी भी इस पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं, तो इसके परिणाम भविष्य में हमारे लिए बहुत खतरना हो सकते है। प्राकृतिक संसाधनों के संबंध में किसी प्रकार की थोड़ी सुरक्षा या देखभाल ग्लोबल वार्मिंग की इस समस्या का बेहतर समाधान साबित हो सकती है जैसे
जितना संभव हो सके, वृक्षारोपण इस समस्या को जड़ से हल कर सकता है क्योंकि पौधे अधिक से अधिक वातावरण में ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं।
सीमित तरीके से बिजली का उपयोग करना बेहतर है ताकि बिजली का उत्पादन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों को भविष्य में कोयला और पानी की तरह बचाया जा सके, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा या जल विद्युत जैसी नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने का प्रयास करें।
ग्लोबल वार्मिंग के इस मुद्दे को रोकने के लिए हमें प्राकृतिक संसाधनों की अधिक सार्वजनिक खपत के रूप में जनसंख्या पर नियंत्रण करने की आवश्यकता है।
ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति को रोकने के लिए औद्योगीकरण और शहरीकरण पर नियंत्रण करना अत्यधिक आवश्यक है।