भारत देश महान स्त्रियों और पुरुषों का एक विशाल देश है, भारत देश में ऐसे बहुत से महान स्त्रियों और पुरुषों ने जनम लिया है. जिन्होंने देश के लिए ऐसे आदर्श कार्य किए हैं, जिन्हें भारतवासी सदा याद रखेंगे, कई महापुरुषों ने हमारी आजादी की लड़ाई में अपना तन-मन-धन परिवार सब कुछ अर्पण कर दिया. ऐसे ही महापुरुषों में से एक थे महात्मा गांधी, महात्मा गांधी युग पुरुष थे जिनके प्रति पूरा विश्व आदर की भावना रखता था. ‘महात्मा गाँधी’ का जन्म 2 अक्टूबर सन 1869 में पोरबंदर में हुआ था. मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए, वहां से लौटने पर उन्होंने वकालत प्रारंभ की, गांधीजी का सार्वजानिक जीवन दक्षिण अफ्रीका में प्रारंभ हुआ। उन्होंने देखा की वहाँ पर भारतीयों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता है. दोस्तों वहां पर उन्होंने देखा कि अंग्रेज लोग काले गोरे का भेद भाव किया जाता है, उसके खलीफा उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन प्रारंभ किया, उसके लिए उन्होंने अनेक कष्ट सहे। उनको बहुत ज्यादा अपमानित भी किया गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मणी और आखिर में उन्हें इसमें सफलता भी मिली, गांधीजी वापस भारत आये और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया, वह कई बार जेल गए, अब सारा देश उनके साथ था, लोग उन्हें राष्ट्रपिता कहने लगे, अंत में भारत को 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई, गांधीजी सादा जीवन बिताते थे. उन्होंने हमको अहिंसा का पाठ पढाया, वह एक समाजसुधारक थे. उन्होंने छुआ-छूत को दूर करने का प्रत्यन किया। 30 जनवरी, 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गयी।
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महात्मा गाँधी पर निबंध 1 (150 शब्द)
महात्मा गाँधी एक महापुरुष है और उनका जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था. आपका पूरा नाम मोहनदास है, आपके पिता कर्मचंद गांधी राजकोट के दीवान थे, माता पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव वाली अत्यंत सरल महिला थी. मोहनदास के व्यक्तित्व पर माता के चरित्र की छाप स्पष्ट दिखाई दी, महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया, महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है. भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है, यहाँ पर हम आपकी जानकारी के लिए बता दे की महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुई थी अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के पश्चात राजकोट से उन्होंने मेट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की जिसके बाद आप वकालत पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए। वकालत करके लौटने पर वकालत प्रारंभ की, एक मुकदमे के दौरान आपको दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा. वहां भारतीयों की दुर्दशा देख बड़े दुखी हुए, दोस्तों उस समय हमारे भारतवर्ष में अंग्रेजों का राज था, और वह यहाँ के आम लोगों पर बहुत अत्याचार करते थे, उनमें राष्ट्रीय भावना जागी और वे भारतवासियों की सेवा में जुट गए, अंग्रेजों की कुटिल नीति तथा अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किए, असहयोग आंदोलन एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किया।
महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे, आज पुरे भारत में ही नहीं बल्कि और भी बहुत से देश में लोग उनको अपना ideal मानते है. उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है. यह उपाधि सर्वप्रथम उन्हें नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने दी, महात्मा गांधी बचपन से ही शुद्ध शाकाहारी थे उन्होंने अपनी माता के कहे अनुसार अपनी मृत्यु तक अहिंसा और शाकाहारी रहने का व्रत कायम रखा था. महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे. उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है, महात्मा गाँधी एक ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे जो भी व्यक्ति आपसे मिलता था, आपके प्रति उस व्यक्ति के मन में इज़त और आदर की भावना उत्पन्न हो जाती थी. महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात राज्य के एक छोटे से शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था, उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो की अंग्रेजी हुकूमत में एक दीवान के रूप में कार्य करते थे. उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि गृहणी थी वे हमेशा पूजा पाठ में लगी रखी थी, इसका असर हमें गांधी जी का सीन देखने को मिला है वह भी ईश्वर में बहुत आस्था रखते है. महात्मा गांधी के जीवन पर राजा हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व का बहुत अधिक प्रभाव था इसी कारण उनका झुकाव सत्य के प्रति बढ़ता गया. दोस्तों आज भी भारतवर्ष में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती हैं एवं इस दिन को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है. इस मौके पर राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
महात्मा गाँधी पर निबंध 2 (300 शब्द)
महात्मा गांधी जी ने भारत को स्वतंत्र कराने में एक बहुत बड़ा योगदान दिया है, आज पूरी दुनिया में महात्मा गांधी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “राष्ट्रपिता और बापू” के नाम से जाने जाते है. वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे. यहाँ पर हम आपकी जानकारी के लिए बता दे की वह एकलौते ऐसे व्यक्ति थे उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज़ उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये Inspire किया और बहोत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज़ उठायी, ब्रिटिशो के खिलाफ गांधी जी ने इसलिए आवाज उठायी थी क्योंकि अंग्रेज भारतवासीयो पर बहुत जुलिम करते थे. महात्मा गांधी भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे, बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे. महात्मा गाँधी जी एक सच्चे भारतवासी होने के साथ-साथ एक महान और Outstanding personality वाले व्यक्ति थे जिन्हें आज के समय में भी देश और विदेशों के लोगों को अपनी महानता, आदर्शवाद और महान जीवन की वजह से Inspire करते हैं।
भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आज़ादी के सपने को सच्चाई में बदला था. गांधी जी ने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अहिंसा और सत्याग्रह को अपने मुख्य हथियारों के रूप में अपनाया, उन्हें कई बार गिरफ्तार करके जेल में डाला गया, किन्तु राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लक्ष्य में उन्हें कोई डिगा नहीं पाया, महात्मा गाँधी जी ने अपनी ज़िंदगी में किसी भी काम के आगे कभी-भी हार नहीं मानी यहाँ पर हम आपकी जानकारी के लिए बता दे की उनके नेतत्व में सभी वर्गों ने और भारत के सभी धर्मों और जातियों के लोगों ने चाहे वे हिन्दू रहे हो या मुसलमान ,सिख ,हरिजन ,युवा ,वृद्ध या बच्चे ,सभी ने स्वतंत्रता के उन्हें आवाहन में शामिल होकर संघर्ष किया, अंग्रेजों ने महसूस कर लिया कि वे और ज्यादा समय तक भारत में नहीं रह सकते और अंततः विवश होकर उन्हें १५ अगस्त १९४७ को हमारे देश को स्वतंत्रता देनी ही पड़ी, आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है. आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है. वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था. राजा हरिशचंद्र के जीवन का उनपर काफी प्रभाव पड़ा, स्कूल के बाद उन्होंने अपनी लॉ की पढाई इंग्लैंड से पूरी की और वकीली के पेशे की शुरुवात की, अपने जीवन में उन्होंने काफी मुसीबतों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।
मोहनदास करमचंद गांधी, जिसे आमतौर पर “महात्मा गांधी” के रूप में जाना जाता है, को हमारे राष्ट्रपिता के रूप में माना जाता है. वह भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बनने से पहले एक भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक थे, आइए महात्मा गांधी के कुछ निबंधों को गहराई से पढ़ें और पढ़ें, महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1969 को पोरबंदर, भारत के पश्चिमी तट पर एक छोटे से शहर में हुआ था. उनके पिता पोरबंदर के दीवान थे और उनकी माँ पुतलीबाई गांधी वैष्णववाद की समर्पित प्रैक्टिशनर थीं. गांधीजी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा पोरबंदर शहर में प्राप्त की और 9 वर्ष की आयु में राजकोट चले गए, मोहनदास करमचंद गांधी ने लंदन में कानून की पढ़ाई करने के लिए 19 वर्ष की आयु में घर छोड़ दिया और 1891 के मध्य में भारत लौट आए, गांधीजी ने भारत को स्वतंत्र देश बनाने के लिए एक अहिंसात्मक आंदोलन शुरू किया, उन्होंने कई अन्य भारतीयों के साथ बहुत संघर्ष किया, और आखिरकार, वह 15 अगस्त 1947 को हमारे देश को एक स्वतंत्र बनाने में सफल हो गए। बाद में, 1948 के 30 जनवरी को नाथूराम गोडसे द्वारा उनकी हत्या कर दी गई।
महात्मा गाँधी पर निबंध 3 (400 शब्द)
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1969 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. वह दशक के सबसे सम्मानित आध्यात्मिक और राजनीतिक नेताओं में से एक थे. उनके पिता करमचंद गांधी उस समय राजकोट राज्य के प्रमुख दीवान थे और माता पुतलीबाई एक सरल और धार्मिक महिला थीं. गांधीजी ने भारत में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और “बैरिस्टर इन लॉ” का अध्ययन करने के लिए लंदन गए, वह बैरिस्टर बन गया और 1891 के मध्य में भारत लौट आया और बॉम्बे में एक वकील के रूप में अभ्यास करना शुरू कर दिया, फिर उसे एक फर्म द्वारा दक्षिण अफ्रीका भेजा गया जहाँ उसने एक पद पर काम करना शुरू किया, गांधीजी अपनी पत्नी कस्तूरबाई और उनके बच्चों के साथ लगभग 20 साल दक्षिण अफ्रीका में बिताते हैं।
वह अपनी त्वचा के रंग के लिए वहां के हल्के त्वचा के लोगों से अलग हो गए, एक बार, उनके पास एक वैध टिकट होने के बावजूद प्रथम श्रेणी की गाड़ी से फेंक दिया गया था. उसने अपना मन बदल लिया और एक राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का फैसला किया और अनुचित कानूनों में कुछ बदलाव करने के लिए एक अहिंसक नागरिक विरोध विकसित किया. गांधीजी ने भारत लौटने के बाद ब्रिटिश सरकार के अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए अपना अहिंसा स्वतंत्रता आंदोलन शुरू किया, उन्होंने बहुत संघर्ष किया और अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल कर हमें ब्रिटिश शासन से मुक्त कराया और अपने स्वतंत्रता आंदोलन के माध्यम से अंग्रेजों को हमेशा के लिए भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया, 30 जनवरी, 1948 को हमने इस महान व्यक्तित्व को खो दिया, क्योंकि उनकी हत्या एक हिंदू कार्यकर्ता, नाथूराम गोडसे ने की थी।
मोहनदास करमचंद गांधी सत्याग्रह आंदोलन के प्रणेता थे, जिसके चलते ब्रिटिश शासन के 190 वर्षों के बाद भारत एक स्वतंत्र देश के रूप में स्थापित हुआ, उन्हें भारत और दुनिया भर में महात्मा गांधी और बापू के रूप में जाना जाता था। (“महात्मा” का अर्थ है महान आत्मा और “बापू” का अर्थ है पिता) अपने गृह नगर में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, महात्मा गांधी राजकोट चले गए और 11 साल की उम्र में अल्फ्रेड हाई स्कूल में शामिल हो गए। वह एक औसत छात्र थे, जो अंग्रेजी और गणित में बहुत अच्छे थे, लेकिन भूगोल में गरीब थे. बाद में उनकी याद में उस स्कूल का नाम बदलकर मोहनदास करमचंद गांधी हाई स्कूल कर दिया गया।
गांधीजी भारत में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद “बैरिस्टर इन लॉ” का अध्ययन करने के लिए लंदन गए और लंदन से लौटने के बाद एक वकील के रूप में अभ्यास शुरू किया, उन्होंने पहली बार दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के नागरिक अधिकारों के संघर्ष में शांतिपूर्ण नागरिक अवज्ञा के अपने विचारों का उपयोग किया, उन्होंने अत्यंत विषम परिस्थितियों में भी अहिंसा और सत्य की वकालत की, दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद, महात्मा गांधी ने गरीब किसानों और मजदूरों को तानाशाहीपूर्ण कराधान और सार्वभौमिक भेदभाव के खिलाफ विरोध करने के लिए संगठित किया, और यह शुरुआत थी. गांधीजी ने गरीबी, महिला सशक्तीकरण, जातिगत भेदभाव, और सबसे महत्वपूर्ण स्वराज जैसे विभिन्न मुद्दों के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान का नेतृत्व किया – भारत को विदेशी प्रभुत्व से एक स्वतंत्र देश बनाने के लिए, गांधीजी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 190 वर्षों के ब्रिटिश शासन के बाद भारत को स्वतंत्र किया, विरोध के उनके शांतिपूर्ण तरीके अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त करने की नींव थे।
महात्मा गाँधी पर निबंध 5 (600 शब्द)
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को प्रोबंदर इंडिया में हुआ था, गांधी का असली नाम मोहनदास है. उन्हें महात्मा कहा जाता है क्योंकि महात्मा का अर्थ है “महान आत्मा” और इसे भारतीय अधिकारों के मामले पर उनके दिमाग के लिए कहा जाता था, वह मदद करने के लिए समर्पित था. भारतीय लोग। उनकी प्रारंभिक बाल अवस्था ब्याज की थी. एक सामान्य युवा लड़के के रूप में वह एक शर्मीला लेकिन गंभीर था. उन्होंने अपने कुछ करीबी दोस्तों के साथ खेलने में अपना समय बिताया, गांधी के हिंदू माता-पिता वर्ग को “वैश्य” व्यापारी वर्ग कहा जाता था, मैंने खोजा और खोजा लेकिन यह अभी भी मेरे लिए अज्ञात है कि क्या गांधी के कोई भाई और बहन थे।
गांधी ने 13 साल की उम्र में कस्तूरबा नाम की महिला से शादी की, अब इस समय और भारत की सभी शादियों की तरह यह एक अरेंज मैरिज थी और इसका मतलब है कि उसके माता-पिता ने यह चुना कि वह कब और किससे शादी करेगा, आमतौर पर जो महिला अपने परिवार से शादी कर रही होती है. वह अपने बेटे से शादी के लिए भुगतान के रूप में “दहेज” देती है. दहेज गायों से लेकर पूरे खेतों और विशाल व्यवसायों के लिए कुछ भी हो सकता है।
गांधी की शादी के पहले साल उनकी और उनकी पत्नी के चार बच्चे थे, गांधी कानून और राजनीति का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड चले गए और जल्द ही उन्हें इस पेशे में सफल नहीं होने का एहसास हुआ और एक लॉ फर्म में काम करना शुरू कर दिया, इसके बाद वे दक्षिण अफ्रीका गए और 1893 से 1914 तक इक्कीस साल वहां रहे. उन्होंने भारतीय अधिकार विधेयक को हासिल करने के लिए काम किया, उस समय हर जगह भारतीयों का उपहास किया जाता था और वे सड़क पर नहीं चल सकते थे. गांधी के बारे में सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक, विशेष रूप से उनके जीवन में यह था कि उन्होंने भौतिकवाद और अहंकारी व्यवहार का मुकाबला किया क्योंकि वह कद के साथ एक वकील थे जो कि काफी हद तक ठीक थे. वह अपनी पत्नी के साथ भी क्रोध या स्वभाव की एक लकीर था।
गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी थे जो ब्रिटिश शासन के तहत हमारे राष्ट्रवाद के नेता बने, उनके महान कार्यों के कारण उन्हें ‘महात्मा’ कहा जा रहा है, वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी और अहिंसक कार्यकर्ता थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपने उपकरण के रूप में अहिंसा और सत्य के मार्ग का अनुसरण किया, महात्मा गांधी ‘राजा हरिश्चंद्र’ के जीवन से गहराई से प्रभावित थे, उन्होंने हमेशा अहिंसा, सत्य और शांति के मार्ग का अनुसरण किया, उन्होंने अहिंसा (अहिंसा) का पालन करने के लिए अपने साथी नागरिकों को भी निर्देशित किया। सत्य (सत्य) और शांति (शांति)। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए सत्याग्रह के विचार को अपनाया, उन्होंने साबित किया कि अहिंसा सबसे शक्तिशाली तलवार है।
मोहनदास करमचंद गांधी एक प्रख्यात स्वतंत्रता कार्यकर्ता और एक प्रभावशाली राजनीतिक नेता थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी. गांधी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि महात्मा (एक महान आत्मा), बापूजी (गुजराती में पिता के लिए प्रिय) और राष्ट्रपिता, हर साल, उनके जन्मदिन को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो भारत में एक राष्ट्रीय अवकाश है, और अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. महात्मा गांधी, जैसा कि उन्हें आमतौर पर कहा जाता है, भारत को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने में सहायक थे. सत्याग्रह और अहिंसा के अपने असामान्य अभी तक शक्तिशाली राजनीतिक साधनों के साथ, उन्होंने नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जूनियर और आंग सान सू की सहित दुनिया भर के कई अन्य राजनीतिक नेताओं को प्रेरित किया, गांधी ने, अंग्रेजी के खिलाफ स्वतंत्रता के लिए अपनी लड़ाई में भारत की जीत में मदद करने के अलावा, एक सरल और धर्मी जीवन का नेतृत्व किया, जिसके लिए वह अक्सर श्रद्धेय रहते हैं. गांधी का प्रारंभिक जीवन बहुत साधारण था, और वे अपने जीवन के दौरान एक महान व्यक्ति बन गए। यह एक मुख्य कारण है कि गांधी को लाखों लोगों द्वारा पीछा किया जाता है, क्योंकि उन्होंने यह साबित कर दिया कि किसी के जीवन के दौरान एक महान आत्मा बन सकता है, क्या उन्हें ऐसा करने की इच्छा के अधिकारी होना चाहिए।
महात्मा गांधी ने पर्यावरणीय स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सबसे उल्लेखनीय, उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार उपभोग करना चाहिए, मुख्य प्रश्न जो उन्होंने उठाया था “एक व्यक्ति को कितना उपभोग करना चाहिए?” गांधी ने निश्चित रूप से इस सवाल को सामने रखा. इसके अलावा, गांधी द्वारा स्थिरता का यह मॉडल वर्तमान भारत में बहुत प्रासंगिकता रखता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि वर्तमान में, भारत की आबादी बहुत अधिक है. नवीकरणीय ऊर्जा और लघु-सिंचाई प्रणालियों को बढ़ावा दिया गया है. यह गांधीजी के अत्यधिक औद्योगिक विकास के अभियानों के कारण था।
महात्मा गांधी का अहिंसा का दर्शन संभवतः उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान है. अहिंसा के इस दर्शन को अहिंसा के नाम से जाना जाता है. सबसे उल्लेखनीय, गांधीजी का उद्देश्य हिंसा के बिना स्वतंत्रता की तलाश करना था, उन्होंने चौरी-चौरा घटना के बाद असहयोग आंदोलन छोड़ने का फैसला किया, इसकी वजह चौरी चौरा की घटना पर हुई हिंसा थी. नतीजतन, कई लोग इस फैसले से परेशान हो गए। हालाँकि, गांधी अहिंसा के अपने दर्शन में अथक थे. धर्मनिरपेक्षता गांधी का एक और योगदान है, उनकी धारणा थी कि सत्य पर किसी भी धर्म का एकाधिकार नहीं होना चाहिए, महात्मा गांधी ने निश्चित रूप से विभिन्न धर्मों के बीच मित्रता को प्रोत्साहित किया।