‘महिला सशक्तिकरण’ के बारे में जानने से पहले हमें ये समझ लेना चाहिए कि हम ‘सशक्तिकरण’ के क्या मायने है, ‘सशक्तिकरण’ से तात्पर्य किसी व्यक्ति की उस योग्यता से है. जिसमें वो अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय स्वयं ले सके, पियरे दोस्तों ‘महिला सशक्तिकरण’ की इस पोस्ट में भी हम उसी क्षमता की बात कर रहे हैं, जहाँ महिलाएँ परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता खुद हो, महिलाओं को इस दनिया की शरुवात से ही पुरुषों के हाथों वर्षों वर्षों तक बहुत सा नुकसान उठाना पड़ा है. पहले की शताब्दियों में, उन्हें लगभग अस्तित्वहीन माना जाता था। जैसे कि सभी अधिकार पुरुषों के थे, यहां तक कि मतदान के रूप में भी कुछ बुनियादी, जैसे-जैसे समय विकसित हुआ, महिलाओं को अपनी शक्ति का एहसास हुआ, वहां पर महिला सशक्तिकरण के लिए क्रांति की शुरुआत हुई, दोस्तों नारी एक शक्ति है, प्राचीन काल से ही अभी तक ऐसे कई उदाहरण हमें देखने को मिलते हैं, जिससे साबित होता है कि नारी एक शक्ति की तरह है. देखा जाए तो नारी स्वभाव से बहुत ही अच्छी होती हैं नारी पर जब भी अत्याचार होता है, तो वह कभी-कभी इतना विकराल स्वरूप रख लेती है, कि वह लोगों का नाश करके ही छोड़ते हैं. नारी मां का स्वरुप है, वास्तव में हमारे समाज में इस नारी शक्ति का महत्वपूर्ण योगदान है. लेकिन कुछ लोग नारी को केवल तुच्छ या कमजोर समझते हैं उन लोगों की यह भूल है क्योंकि नारी आज के जमाने की सबसे बड़ी शक्ति है.
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नारी शक्ति पर निबंध 1 (150 शब्द)
नारी समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है, और दुनिया की लगभग आधी आबादी है. जिसके बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. नारी के अंदर सहनशीलता, धैर्य, प्रेम, ममता और मधुर वाणी जैसे बहुत से गुण विद्यमान है, जो कि नारी की असली शक्ति है. दोस्तों यदि कोई नारी कुछ करने का निश्यचय कर ले तो वह उस कार्य को करे बिना पीछे नहीं हटती है, और वह बहुत से क्षेत्रों में पुरूषों से बेहतरीन कर अपनी शक्ति का परिचय देती है. आज की नारी पुरषों के मुकाबले कही भी कम नहीं है, वह हर छात्र में बाद चढ़ कर देश और समाज में आपने योगदान दे रही है, प्राचीन काल से ही हमारे समाज में झाँसी की रानी, कल्पना चावला और इंदिरा गाँधी जैसी बहुत सी महिलाएँ रही है जिन्होंने समय समय पर नारी शक्ति का परिचय दिया है, और समाज को बताया है कि नारी अबला नहीं सबला है. यह बात भी सच कुछ लोगों की संकीर्ण मानसिकता के कारण आज भी हमारी महिलाओं को वह सामान नहीं मिलता जिसकी वह हक़दार है, आधुनिक युग में भी महिलाओं ने अपने अधिकारों के बारे में जाना है और अपने जीवन से जुड़े निर्णय स्वयं लेने लगी है. आज भी महिला कोमल और मधुर ही है लेकिन उसने अपने अंदर की नारी शक्ति को जागृत किया है और अन्याय का विरोध करना शुरू किया है. आज के युग में नारी भले ही जागरूक हो गई है और उसने अपनी शक्ति को पहचाना है लेकिन वह आज भी सुरक्षित नहीं है. आज भी नारी को कमजोर और Helpless ही समझा जाता है. पुरूषों को नारी का सम्मान करना चाहिए और उन पर इतना भी अत्याचार मत करो की उनकी Tolerance खत्म हो जाए और वो शक्ति का रूप ले ले क्योंकि जब जब नारी का सब्र टूटा है तब तब प्रलय आई है. नारी देवीय रूप है इसलिए नारी शक्ति सब पर भारी है, नारी से ही यह दुनिया सारी है, नारी का सम्मान सदा होना चाहिए। संस्कृत में एक श्लोक है- ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता – भावार्थ- जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।
अगर हम बात करे आज के कुछ साल पहले की तो महिलाओं को उनके खुद के बारे में निर्णय लेने की अनुमति नहीं थी, महिला सशक्तिकरण ताजा हवा की सांस की तरह आया. इसने उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जागरूक किया और उन्हें एक आदमी पर निर्भर रहने के बजाय समाज में अपनी जगह कैसे बनानी चाहिए, इसने इस तथ्य को स्वीकार किया कि चीजें केवल अपने लिंग के कारण किसी के पक्ष में काम नहीं कर सकती हैं. हालाँकि, हमारे पास अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है जब हम उन कारणों के बारे में बात करते हैं जिनकी हमें आवश्यकता है. महिला सशक्तिकरण एक सदाबहार विषय है, जहां लोग महिलाओं को सशक्त बनाने के लाभों के बारे में लिखते हैं, महिलाएं समान हैं और उन्हें वास्तव में समान अवसर मिलने चाहिए, आज-कल ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहाँ किसी महिला ने अपना नाम न छोड़ा हो, फिर भी, हम महिला सशक्तिकरण पर लिख रहे हैं. यद्यपि हम एक विकासशील राष्ट्र हैं, हमें ऐसे मुद्दों पर काम करना होगा।
नारी शक्ति पर निबंध 2 (300 शब्द)
भारत एक ऐसा देश है जहाँ एक महिला को हमेशा कमजोर और डरा हुआ माना जाता है. यह एक मानसिकता है, वास्तविकता नहीं है, महिलाएं विशेष हैं जो सच है लेकिन उन्हें किसी भी चीज के लिए किसी भी समर्थन की आवश्यकता नहीं है. वे व्यवसाय शुरू करने या कुछ नया करने में भी सक्षम हैं. लोगों की मानसिकता है कि लड़कियों को हमेशा मदद की जरूरत होती है या वे अकेले यात्रा नहीं कर सकती हैं. उन्हें तकनीकी रूप से कमजोर कहा जाता है. लेकिन बात यह है कि कभी किसी के पास कुछ गुण और क्षमताएं होती हैं. ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहाँ महिलाओं ने अपना नाम नहीं छोड़ा है. फिर भी, हमें महिला सशक्तिकरण के बारे में चर्चा करनी होगी, वर्तमान समय में नारीयाँ एक सुयोग्य गृहणी होने के साथ- साथ राजनीति, धर्म, कानून, न्याय सभी क्षेत्र में पुरुष की सहायक और प्रेरक भी हैं, आज की नारी जाग्रत एवं सक्रिय हो गयी है. वह अपने अंदर निहित शक्तियों को जानने लगी है, जिससे आधुनिक नारी का समाज में न केवल सम्मान अपितु प्रतिष्ठा भी बढ़ी है, व्यवसाय एवं व्यापार जैसे पुरुष एकाधिकार वाले क्षेत्र में जिस प्रकार महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है वो काबिले तारीफ है, इस परिपेछ्य में इंदिरा नूई , चंदा कोच्चर, चित्रा रामाकृष्णन, अनीता कपूर, अरुंधति भट्टाचार्या, आशु सुयश आदि के नाम प्रसिद्ध हैं।
एक महिला अपने दम पर चीजों को करने में काफी सक्षम है, फिर भी, लोग उसे कमजोर कहते हैं. या तो सशक्तिकरण शिक्षा, राजनीति, अंतरिक्ष, खेल आदि के बारे में है, उन्होंने हर जगह प्रसिद्धि अर्जित की है. फिर भी, वे असमर्थ होने के लिए कहा, दरअसल, उन्हें पहले कभी मौका नहीं दिया गया था. हमारा पुरुष प्रधान समाज किसी भी तरह का निर्णय लेने में बेहतर और अधिक सक्षम लगता है. लेकिन उन्हें इस मानसिकता को बदलना चाहिए और महिलाओं को समान अवसर देना चाहिए, और सबसे महत्वपूर्ण बात बस उन पर विश्वास करना और उनके साथ समान व्यवहार करना चाहिए है, वैसे देखा जाए तो नारी स्वभाव से बहुत ही सरल और मीठे स्वभाव की होती है. लेकिन नारी के अंदर कुछ गुण भी देखने को मिलते हैं नारी के अंदर सहनशीलता होती है.नारी बहुत ही कोमल दिल वाली होती पुरषों के मुकाबले महिलाओँ का दिल ज्यादा नरम होता है और वह माफ़ करने ज्यादा पसंद करती है. अगर हम देखे कि बचपन से बुढ़ापे तक नारी सब कुछ सहन करती जाती है वह किसी को जवाब भी नहीं देती. बचपन में नारी को बोझ समझा जाता है और जैसे जैसे वह बड़ी होती जाती है उसको बोझ होने का एहसास होता जाता है.परिवार वाले उसकी शादी कर देते हैं, शादी के बाद जब वह ससुराल में आती हैं तो वह सबकी सुनती है उसमें सहनशीलता का गुण प्रमुख रूप से होता है।
महिलाओं को अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आत्म-निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाना, यह महिला सशक्तिकरण है. परिवार और समाज की सीमाओं को पीछे छोड़ते हुए, निर्णय, अधिकार, विचार, मन आदि सभी पहलुओं से महिलाओं को अधिकार देकर उन्हें स्वतंत्र बनाना है. समाज के सभी क्षेत्रों में, पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान माप में एक साथ लाया जाएगा, देश, समाज और परिवार के उज्ज्वल भविष्य के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत महत्वपूर्ण है. महिलाओं को एक स्वच्छ और उपयुक्त वातावरण की आवश्यकता है, ताकि वे हर क्षेत्र में अपना निर्णय ले सकें, भले ही वह स्वयं, देश, परिवार या समाज के लिए हो, देश को पूरी तरह से विकसित करने और विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक आवश्यक हथियार के रूप में, महिला सशक्तिकरण सशक्तिकरण के रूप में है।
महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता
लगभग हर देश में, चाहे कितनी भी प्रगतिशील महिलाओं के साथ बुरा व्यवहार क्यों न हो, दूसरे शब्दों में, दुनिया भर की महिलाएं आज जिस मुकाम पर हैं, वहां तक पहुंचने के लिए विद्रोही हैं, जबकि पश्चिमी देश अभी भी प्रगति कर रहे हैं, भारत जैसे तीसरे विश्व के देश अभी भी महिला सशक्तिकरण में पीछे नहीं हैं. भारत में महिला सशक्तीकरण की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है. भारत उन देशों में से है जो महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं हैं. इसके कई कारण हैं. सबसे पहले, भारत में महिलाओं को ऑनर किलिंग का खतरा है. उनके परिवार को लगता है कि अगर वे अपनी विरासत की प्रतिष्ठा को शर्मिंदा करते हैं तो उन्हें अपनी जान लेने का अधिकार है।
इसके अलावा, शिक्षा और स्वतंत्रता परिदृश्य बहुत प्रतिगामी है. महिलाओं को उच्च शिक्षा हासिल करने की अनुमति नहीं है, उनकी शादी जल्दी हो जाती है. पुरुष अभी भी कुछ क्षेत्रों में महिलाओं पर हावी हो रहे हैं जैसे कि महिला का कर्तव्य है कि वह उसके लिए काम करे, वे उन्हें बाहर नहीं जाने देते या उन्हें किसी भी तरह की आजादी नहीं है. इसके अलावा, भारत में घरेलू हिंसा एक बड़ी समस्या है, पुरुष अपनी पत्नी को मारते हैं और उन्हें गाली देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि महिलाएं उनकी संपत्ति हैं. अधिक इसलिए, क्योंकि महिलाएं बोलने से डरती हैं. इसी तरह, जो महिलाएं वास्तव में काम करती हैं, उन्हें अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में कम वेतन मिलता है. यह सर्वथा अनुचित और कामुक है कि किसी को उसी लिंग के कारण कम भुगतान किया जाए, इस प्रकार, हम देखते हैं कि महिला सशक्तीकरण किस समय की जरूरत है. हमें इन महिलाओं को खुद के लिए बोलने और उन्हें कभी भी अन्याय का शिकार नहीं होना चाहिए।
महिला सशक्तीकरण से तात्पर्य महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और कानूनी ताकत में वृद्धि और सुधार करना है, ताकि महिलाओं को समान अधिकार सुनिश्चित किया जा सके और उन्हें अपने अधिकारों का दावा करने के लिए पर्याप्त विश्वास दिलाया जा सके, महिलाओं के सशक्तीकरण का अर्थ होगा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना, स्वतंत्र होना, सकारात्मक आत्मसम्मान होना, किसी भी कठिन परिस्थिति का सामना करने के लिए आत्मविश्वास पैदा करना और विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक विकास के प्रयासों में सक्रिय भागीदारी को आमंत्रित करना, महिला सशक्तीकरण महिलाओं को अपने व्यक्तिगत आश्रित के लिए अपना निर्णय लेने के लिए सशक्त बना रहा है. महिलाओं का सशक्तीकरण उन्हें समाज और परिवार की सभी व्यक्तिगत सीमाओं को तोड़कर अपना निर्णय लेने में मदद करता है. महिला सशक्तीकरण के नारे के साथ, एक सवाल उठता है कि “क्या महिलाएं वास्तव में मजबूत हो गई हैं” और “उनका लंबे समय से संघर्ष खत्म हो गया है” राष्ट्र के विकास में महिलाओं के वास्तविक महत्व और अधिकारों के बारे में समाज में जागरूकता लाने के लिए, सरकार द्वारा मदर्स डे, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस आदि जैसे कई कार्यक्रम चलाए और कार्यान्वित किए जा रहे हैं. महिलाओं को कई क्षेत्रों में विकास की जरूरत है. हमारे देश में लिंग असमानता का एक उच्च स्तर है जहां महिलाएं अपने परिवार के साथ-साथ बाहरी समाज के बुरे उपचार से पीड़ित हैं. भारत में निरक्षरों की संख्या में महिलाएं नंबर एक पर हैं। महिला सशक्तिकरण का वास्तविक अर्थ तब समझा जाएगा जब उन्हें भारत में अच्छी शिक्षा दी जाएगी और वे हर क्षेत्र में स्वतंत्र निर्णय ले सकेंगी।
नारी शक्ति पर निबंध 3 (400 शब्द)
नारी हमारे समाज में उनके जन्म से लेकर जीवन के अंत तक विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाती हैं. नारी के बिना हम एक सामज की कल्पना भी नहीं कर सकते है, आधुनिक समाज में कुशल भूमिका में सभी भूमिकाएं और समय पर नौकरी करने के बाद भी, वह कमजोर है, क्योंकि पुरुष अभी भी समाज का सबसे मजबूत लिंग हैं. आज भी हमारे समाज में पुरषों के मुकाबले महिलाओं को दोयम दर्जा दिया जाता है, जो की हमारे समाज और देश के विकास दोनों के लिए अच्छा नहीं है सरकार द्वारा समाज में बहुत सारे जागरूकता कार्यक्रमों, नियमों और विनियमों के बाद भी, उसका जीवन एक आदमी की तुलना में अधिक जटिल है. उसे बेटी, पोती, बहन, बहू, पत्नी, माँ, सास, दादी, आदि के रूप में अपना और परिवार के सदस्यों का ख्याल रखना पड़ता है, स्वयं, परिवार और देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए बाहर आने और नौकरी करने में वह सक्षम है, जैसा की आप सभी जानते है, नारी प्यार, शांति, और बलिदान का प्रतीक है, दोस्तों इसके अलावा नारी में संघर्ष करने का गुण भी होता है. अगर वह कुछ भी कार्य करती है तो ज्यादातर उसमें पीछे नहीं हटती वह उस कार्य की सफलता के लिए लगातार संघर्ष करती है यह गुण नारी के अंदर विद्यमान होता है. नारी के अंदर धैर्य भी बहुत अधिक होता है लेकिन जब यह हद से ज्यादा हो जाए यानी कि अगर कोई नारी को हद से ज्यादा तंग करे तो फिर नारी शक्ति का रुप ले लेती है, और जब नारी शक्ति बनती है तो अच्छे-अच्छे पीछे हटते हुए नजर आते हैं।
भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार, पुरुषों की तरह सभी क्षेत्रों में महिलाओं को समान अधिकार देने की कानूनी स्थिति है. भारत में बच्चों और महिलाओं के समुचित विकास के लिए महिला और बाल विकास विभाग अच्छा काम कर रहा है. प्राचीन काल से, भारत में महिलाएँ अग्रणी भूमिका में थीं, हालाँकि उन्हें हर क्षेत्र में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं थी. उन्हें अपने विकास और वृद्धि के लिए हर पल मजबूत, सतर्क और सतर्क रहने की आवश्यकता है. विकास का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना है क्योंकि एक मजबूत महिला अपने बच्चों के भविष्य का निर्माण करती है और देश का भविष्य सुनिश्चित करती है. महिलाओं को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए भारत सरकार द्वारा कई योजनाओं को चित्रित किया गया है. पूरे देश की आधी आबादी में महिलाओं की भागीदारी आधी है और उन्हें महिलाओं और बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सभी क्षेत्रों में स्वतंत्रता की आवश्यकता है।
महिलाओं को कैसे सशक्त करें?
महिलाओं को सशक्त बनाने के विभिन्न तरीके हैं. इसे करने के लिए व्यक्तियों और सरकार दोनों को साथ आना चाहिए, लड़कियों के लिए शिक्षा अनिवार्य की जानी चाहिए ताकि महिलाएं अपने लिए जीवन बनाने के लिए अनपढ़ बन सकें, लिंग के बावजूद महिलाओं को हर क्षेत्र में समान अवसर दिए जाने चाहिए, इसके अलावा, उन्हें समान वेतन भी दिया जाना चाहिए. हम बाल विवाह को समाप्त करके महिलाओं को सशक्त बना सकते हैं. यदि उन्हें वित्तीय संकट का सामना करना पड़ता है, तो विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित किया जाना चाहिए, जहां उन्हें खुद के लिए कौशल सिखाया जा सकता है, सबसे महत्वपूर्ण बात, तलाक और दुर्व्यवहार की शर्म को खिड़की से बाहर फेंक दिया जाना चाहिए, कई महिलाएं समाज के डर के कारण अपमानजनक रिश्तों में रहती हैं. माता-पिता को अपनी बेटियों को यह सिखाना चाहिए कि ताबूत की बजाए घर में तलाक देना ठीक है।
भारत एक प्रसिद्ध देश है जो प्राचीन काल से अपनी सभ्यता, संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा, धर्म और भौगोलिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है. दूसरी ओर, इसे अपने पुरुष राष्ट्रीय राष्ट्र के रूप में भी जाना जाता है. भारत में, महिलाओं को पहली प्राथमिकता दी जाती है, हालांकि समाज और परिवार में उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता है. वे घरों की दीवारों तक ही सीमित हैं और उन्हें केवल पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए माना जाता है. वे अपने अधिकारों और विकास से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं. भारत के लोग इस देश को माँ का दर्जा देते हैं लेकिन माँ के सही अर्थ को कोई नहीं समझता है. यह सभी भारतीयों की मां है और हमें इसका ध्यान रखना चाहिए और इसका ध्यान रखना चाहिए, इस देश में आधी आबादी महिलाओं की है, इसलिए देश को पूरी तरह से शक्तिशाली बनाने के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत जरूरी है. महिलाओं को उनके उचित विकास और विकास के लिए हर क्षेत्र में स्वतंत्र होने के अपने अधिकार की व्याख्या करने का अधिकार देना, महिलाएं राष्ट्र के भविष्य के रूप में एक बच्चे को जन्म देती हैं, इसलिए वे बच्चों के विकास और विकास के माध्यम से राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य को बनाने में सबसे अच्छा योगदान दे सकते हैं. पीड़ित महिला विरोधी महिलाओं को मजबूर करने के बजाय, उन्हें सशक्त होने की जरूरत है।
अगर हम बात करे नारी शक्ति की तो नारी शक्ति के रूप में हम कई महिलाओं को जानते हैं जो एक शक्ति के रूप में उभरी है. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जो कि अकेली ही दुश्मनों के छक्के छुड़ा देती थी. झांसी की रानी उन अग्रेजो से लोहा लिया जिनका श्रये एक लम्बे समय तक कभी नहीं डूबा दोस्तों झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का कम उम्र में विवाह हुआ था और कुछ सालों में ही, उनके पति झांसी के राजा का स्वर्गवास हो गया जिस वजह से झांसी की रानी लक्ष्मीबाई बनी लेकिन कुछ लोगों ने एक नारी को राज्य संभालने से मना किया लेकिन झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अपने राज्य की सुरक्षा के लिए सुरक्षा की डोर अपने हाथ में संभाली. और अग्रेजो की फौज से दो-दो हाथ किये वह तब तक लड़ती रही जब तक की उनकी सांस रही. वह किसी से भी पीछे नहीं हठी और साहसपूर्ण अपनी वीरता से लगातार कोशिश करती रही और साबित कर दिखाया कि नारी एक शक्ति की तरह है. वर्तमान समय में नारियों की दक्षता, कुशलता, और विभिन्न क्षेत्रों में उनकी बढ़ती प्रतिभा में उनके अंदर निहित विशिष्ट तत्वों के विकसित होने के कारण ही उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है. अगर आज की सभी नारी स्वयं को पहचानने, अपनी आंतरिक शक्तियों को उभारने और उन्हें रचनात्मक कार्यों में लगा दे तो विकास की गति कई गुना बढ़ सकती है. शक्ति तो शक्ति है, वह जहाँ पर लगेगी, अपना परिचय देगी. ठीक इसी प्रकार नारी शक्ति है, उसे और अधिक पददलित, शोषित और बेड़ियों में नहीं बाँधा जा सकेगा, उसे स्वयं में पवित्रता और साहस, शौर्य को फिर बढ़ाना होगा, जिससे कि उसे भोग्या के रूप में न देखा जा सके, यदि वह अपने स्वरुप को पहचान सकेगी तो वह आज के अश्लील मार्केट में बिकने से बच सकेगी।
नारी शक्ति पर निबंध 5 (600 शब्द)
महिलाओं को उनके व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाना महिला सशक्तिकरण कहलाता है. यह महिलाओं को जीवन के सभी पहलुओं में स्वतंत्र बनाने के लिए है, यह मन, विचार और सामाजिक और पारिवारिक प्रतिबंधों के बिना सही निर्णय लेने के लिए है. महिलाओं को सशक्त बनाना उस सामाजिक व्यवस्था में समानता लाना है, जिसमें सभी क्षेत्रों में पुरुष और महिला दोनों समान हैं. एक देश के उज्ज्वल भविष्य, समाज और परिवार को फलने-फूलने के लिए, महिला सशक्तिकरण आवश्यक है. प्राचीन भारत में महिलाओं को पुरुषों के समान नहीं माना जाता था, इसलिए देश को विकसित करने के लिए, महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जा दिया जाना चाहिए, आज के आधुनिक समय में महिला सशक्तिकरण एक विशेष चर्चा का विषय है. हमारे आदि – ग्रंथों में नारी के महत्त्व को मानते हुए यहाँ तक बताया गया है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:” अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते है. लेकिन विडम्बना तो देखिए नारी में इतनी शक्ति होने के बावजूद भी उसके सशक्तिकरण की अत्यंत आवश्यकता महसूस हो रही है। आज भी महिलाओं को आपने हक़ और आदिकार के लिए लड़ना पड़ रहा है, महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का अर्थ उनके आर्थिक फैसलों, आय, संपत्ति और दूसरे वस्तुओं की उपलब्धता से है, इन सुविधाओं को पाकर ही वह अपने सामाजिक स्तर को ऊँचा कर सकती हैं. राष्ट्र के विकास में महिलाओं का महत्त्व और अधिकार के बारे में समाज में जागरुकता लाने के लिये मातृ दिवस, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आदि जैसे कई सारे कार्यक्रम सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं. महिलाओं को कई क्षेत्र में विकास की जरुरत है।
दोस्तों आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि पहले ज्यादातर देशों में महिलाओं को वोट देने तक का अधिकार नहीं हुआ करता था, लेकिन आज ऐसे नहीं है आज की नारी किसी से काम नहीं वह भी देश और समाज में आपने योगदान दे रही है, भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाली उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है, जैसे – दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही और कई दूसरे विषय है जिन पर हमारे देश की सरकार को कड़े कानों और नियम बनाने की जरुरत है, अपने देश में उच्च स्तर की लैंगिक असमानता है. जहाँ महिलाएँ अपने परिवार के साथ ही बाहरी समाज के भी बुरे बर्ताव से पीड़ित है. भारत में अनपढ़ो की संख्या में महिलाएँ सबसे अव्वल है. नारी सशक्तिकरण का असली अर्थ तब समझ में आयेगा जब भारत में उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाएगी और उन्हें इस काबिल बनाया जाएगा कि वो हर क्षेत्र में स्वतंत्र होकर फैसले कर सकें, देश, समाज और परिवार के उज्ज्वल भविष्य के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत महत्वपूर्ण है. महिलाओं को एक स्वच्छ और उपयुक्त वातावरण की आवश्यकता है ताकि वे हर क्षेत्र में अपना निर्णय ले सकें, चाहे वह खुद के लिए हो, देश, परिवार या समाज के लिए हो, महिला सशक्तीकरण देश को पूरी तरह से विकसित करने और विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक आवश्यक हथियार है।।
महिलाओं के सशक्तिकरण के नारे के साथ एक सवाल उठता है: “क्या महिलाएं वास्तव में मजबूत बनती हैं” और “क्या उनका लंबा संघर्ष समाप्त हो गया है?” सरकार द्वारा राष्ट्र के विकास में महिलाओं के वास्तविक महत्व और अधिकारों के बारे में जागरूकता लाने के लिए मातृ दिवस, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस आदि जैसे कई कार्यक्रम सरकार द्वारा लागू और कार्यान्वित किए गए हैं. महिलाओं को कई क्षेत्रों में विकास की आवश्यकता है. देश में लैंगिक असमानता का एक उच्च स्तर है जहां महिलाएं अपने परिवारों के साथ-साथ बाहरी समाज के बुरे व्यवहार से पीड़ित हैं. भारत में अशिक्षित महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है. महिला सशक्तीकरण का वास्तविक अर्थ तब समझा जाएगा जब उन्हें भारत में अच्छी शिक्षा दी जाएगी और वे निर्णय लेने के लिए सभी क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकेंगे, भारत में महिलाएं हमेशा खुद को कलंक से बचाने के लिए परिवार के वध के रूप में होती हैं, और उन्हें कभी भी उचित शिक्षा और स्वतंत्रता के मूल अधिकार नहीं दिए गए हैं. यह वह पीड़ित है जिसने पुरुष देश में हिंसा और दुर्व्यवहार का सामना किया है. भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए महिलाओं के सशक्तीकरण के राष्ट्रीय मिशन के अनुसार, 2011 की गणना में इस कदम के कारण कुछ सुधार हुआ है. इससे महिला लिंगानुपात और महिला शिक्षा दोनों में वृद्धि हुई है. ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स के अनुसार, आर्थिक भागीदारी, उच्च शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के माध्यम से समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए भारत में कुछ ठोस कदमों की आवश्यकता है. यह आवश्यक है कि इसे प्रारंभिक स्थिति से हटाकर सही दिशा में तेज गति से चलाया जाए।
जवाहरलाल नेहरू जी का एक प्रसिद्ध वाक्य है, “लोगों को जगाने के लिए” कहा जाता है, महिलाओं को जागृत होने की आवश्यकता है. एक बार जब वह अपना कदम उठाता है, तो परिवार आगे बढ़ता है, गांव आगे बढ़ता है, और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है. भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए, सबसे पहले, सभी राक्षसी सोच को मारना आवश्यक है, जो समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारते हैं, जैसे कि दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृति, मानव तस्करी और इस तरह के अन्य विषय, लैंगिक भेदभाव राष्ट्र में सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक अंतर लाता है, जो देश की ओर वापस लौट जाता है. भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना ऐसी बुराइयों को मिटाने का सबसे प्रभावी तरीका है। लैंगिक समानता को प्राथमिकता देते हुए देश भर में महिलाओं को सशक्त बनाया गया है. महिला सशक्तीकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बचपन से ही हर परिवार में इसका प्रचार और प्रसार किया जाना चाहिए, यह आवश्यक है कि महिलाएं शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से मजबूत हों, चूँकि एक बेहतर शिक्षा की शुरुआत बचपन से ही घर पर हो सकती है, राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए महिलाओं के उत्थान के लिए एक स्वस्थ परिवार की आवश्यकता आवश्यक है. आज भी, कई पिछड़े क्षेत्रों में माता-पिता के कारण अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी के कारण कम उम्र में विवाह और बच्चे पैदा करने का चलन है. महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए, सरकार महिलाओं के खिलाफ दुर्व्यवहार, लैंगिक भेदभाव, सामाजिक अलगाव और हिंसा को रोकने के लिए कई कदम उठा रही है।
देश की उचित सामाजिक और आर्थिक वृद्धि के लिए महिला शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है. पुरुष और महिला दोनों सिक्के के दो पहलू की तरह हैं और समाज के दो पहियों की तरह समान रूप से चलते हैं. इसलिए दोनों देश में विकास और विकास के महत्वपूर्ण तत्व हैं और इस प्रकार शिक्षा में समान अवसर की आवश्यकता है. यदि दोनों में से कोई भी नकारात्मक पक्ष लेता है, तो सामाजिक प्रगति संभव नहीं है, महिलाओं की समस्याओं का उचित समाधान करने के लिए, महिला आरक्षण विधेयक -10 वां संवैधानिक संशोधन पारित होना बहुत महत्वपूर्ण है, यह संसद में महिलाओं की 33% हिस्सेदारी सुनिश्चित करता है, अन्य क्षेत्रों में, सक्रिय रूप से भाग लेने वाली महिलाओं के लिए कुछ प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं. सरकार को महिलाओं के वास्तविक विकास के लिए पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में जाना होगा और वहां की महिलाओं को सरकार से मिलने वाली सुविधाओं और उनके अधिकारों के बारे में जानकारी होगी, जिससे उन्हें अपना भविष्य बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिए लड़कियों के महत्व और उनकी शिक्षा को बढ़ावा देने की जरूरत है।
भारत प्राचीन काल से अपनी सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं, समाज, धर्म और भौगोलिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है. यह एक पुरुष रूढ़िवादी राष्ट्र के रूप में भी लोकप्रिय है. प्राचीन काल में, परिवार और समाज द्वारा महिलाओं के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता था. उन्हें शिक्षा नहीं दी जाती थी और वे केवल घरेलू कार्य करने तक ही सीमित थे. उन्हें उनके अधिकारों और विकास से पूरी तरह से वंचित रखा गया. महिलाएं देश का आधा हिस्सा बनाती हैं, इसलिए इस देश को पूरी तरह से शक्तिशाली देश बनाने के लिए, महिला सशक्तिकरण बहुत आवश्यक है. सम्मान, स्वतंत्रता और उनके अधिकारों को वापस पाने के लिए, महिलाओं को जीवन में बढ़ने और फलने-फूलने के लिए अपनी ताकत को समझना चाहिए, बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं का अर्थ है कि वे हमारे देश के बच्चों के भविष्य और विकास को आकार देने वाले हैं. पुरुषों को पुरुषवाद के शिकार के रूप में देखने के बजाय, महिलाओं को बराबरी का व्यवहार करने की आवश्यकता है, और, इसके लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है. भारत में निरक्षर आबादी का अंश ज्यादातर महिलाओं द्वारा कवर किया जाता है. महिला सशक्तीकरण का वास्तविक अर्थ उन्हें अच्छी तरह से शिक्षित करना और उन्हें स्वतंत्र छोड़ना है ताकि उन्हें किसी भी क्षेत्र में अपने निर्णय लेने के लिए पर्याप्त रूप से पूरा किया जा सके।
जिस तरह से भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है, उसे देखते हुए, भारत को निकट भविष्य में महिला सशक्तीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. हमें महिला सशक्तीकरण के इस काम को समझने की जरूरत है क्योंकि इसके जरिए ही देश में लैंगिक समानता और आर्थिक प्रगति हासिल की जा सकती है. भले ही आज के समाज में कई भारतीय महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, प्रशासनिक अधिकारी, डॉक्टर, वकील आदि बन गई हैं, लेकिन फिर भी कई महिलाओं को अभी भी सहायता और सहायता की आवश्यकता है. उन्हें अभी भी शिक्षा और स्वतंत्र रूप से काम करने, सुरक्षित यात्रा, सुरक्षित काम और सामाजिक स्वतंत्रता में अधिक सहयोग की आवश्यकता है. महिला सशक्तिकरण का यह कार्य बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत की सामाजिक-आर्थिक प्रगति उसकी महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक प्रगति पर निर्भर करती है।