दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में विकासवादी मॉडल के बारे में पढ़ेंगे, Evolutionary model in software engineering in Hindi और साथ ही इसके advantages और disadvantages के बारे में भी जानेंगे।
जैसे की आप जानते होंगे की (SDLC) Software Development life cycle वह process है, जिसका उपयोग high quality सॉफ्टवेयर डिज़ाइन और डेवलप करने में किया जाता है। इसी प्रकार SDLC के अंतर्गत विभिन्न सॉफ्टवेयर डेवलोपमेन्ट प्रोसेस मॉडल्स आते हैं, जिनमे से एक Evolutionary model भी है, तो चलिए इसे समझते हैं।
Evolutionary model in Software engineering in Hindi
विकाशवादी मॉडल (SDLC) सॉफ्टवेयर डेवलोपमेन्ट लाइफ साईकल का एक महत्वपूर्ण मॉडल है, यह Iterative और Incremental model का combination है। इसमें सॉफ्टवेयर डेवलोपमेन्ट प्रक्रिया को विभिन्न phases में पूरा किया जाता है, यानि इसमें Agile Approach का उपयोग किया जाता है।
Evolutionary model में सबसे पहले कस्टमर की सॉफ्टवेयर डेवलोपमेन्ट की requirement को समझा जाता है, जिसके बाद उन आवश्यकताओं को विभिन्न sub modules में बाटा जाता है, और फिर उन sub modules को incremental रूप से डेवलप कर कस्टमर को डिलीवर कर दिया जाता है, यानि दूसरे शब्दों में कहें तो एक ही बार में पूरा सॉफ्टवेयर तैयार ना करके अलग-अलग modules में सॉफ्टवेयर को डेवलप और डिलीवर किया जाता है।
विकाशवादी सॉफ्टवेयर डेवलोपमेन्ट की इस पूरी प्रक्रिया के दौरान डेवलोपमेन्ट टीम द्वारा कस्टमर फीडबैक भी लिया जाता है, तथा प्रत्येक टास्क को एक तैय time frame के अंदर पूरा किया जाता है। आमतौर पर Evolutionary model का उपयोग बढे projects में किया जाता है, जहाँ पर कस्टमर पुरे सॉफ्टवेयर को डेवलप होने का इंतजार करने के बजाय पेहले Core Features का उपयोग करना चाहता है। इसलिए डेवलोपमेन्ट टीम द्वारा पहले Core modules को डेवलप किया जाता है, जो की दूसरे modules पर निर्भर नहीं रहते हैं।
Advantage of Evolutionary model
:- इसमें Error की संभावना काफी कम हो जाती है, क्योंकि इसके प्रत्येक module का एक-एक कर गहराई से परिक्षण किया जाता है।
:- यह मॉडल बढे सॉफ्टवेयर डेवलोपमेन्ट प्रोजेक्ट्स के डेवलोपमेन्ट में काफी सहायक होता है।
:- यह कस्टमर तथा डेवलोपमेन्ट टीम दोनों के लिए सहायक होता है, क्योंकि जहाँ कस्टमर को partially डेवलप सॉफ्टवेयर को उपयोग करने का मौका मिलता है, वहीँ modules में तैयार होने से डेवलोपमेन्ट टीम को भी समय पर ही bugs और कमियों का पता चल जाता है।
:- इसमें डेवलोपमेन्ट टीम के लिए नए functions को add करना या उन्हें modify करना काफी आसान हो जाता है।
:- इस डेवलोपमेन्ट प्रक्रिया में कस्टमर का Involvement रहने से फीडबैक भी मिलता रेहता है, जो की डेवलोपमेन्ट टीम को हेल्प करता है।
नोट :- दोस्तों आपने पढ़ा Evolutionary model in Software engineering in hindi और इसके advantages तथा Disadvantages के बारे में, यदि जानकारी अच्छी लगी है, तो इसे अपने दोस्तों को भी शेयर करें।