Fateh Singh and Zorawar Singh were the sons of Guru Gobind Singh, the tenth Guru of Sikhism. Guruji’s family was shattered in the battle of Anandpur. His two sons, Ajit Singh and Jujhar Singh, met him, but the mother of two younger sons, Guru Gobind Singh. Gujari got separated with Devi elsewhere.
फतेह सिंह और जोरावर सिंह सिख धर्म के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के सुपुत्र थे आनंदपुर के युद्ध में गुरु जी का परिवार बिखर गया था उनके दो पुत्र अजीत सिंह और जुझार सिंह की तो उनसे भेंट हो गई परंतु दो छोटे पुत्र गुरु गोविंद सिंह की माता गुजरी देवी के साथ अन्यत्र बिछड़ गए
Who were Zorawar Singh and Fateh Singh (जोरावर सिंह और फतेह सिंह कौन थे)
After leaving Anandpur, Fateh Singh and Zorawar Singh crossed the jungles and mountains with their grandmother and reached a city, at that time Zorawar Singh’s age was only 7 years 11 months and Fateh Singh’s age was 5 years 10 months.
आनंदपुर छोड़ने के बाद फतेह सिंह और जोरावर सिंह अपनी दादी के साथ जंगलों पहाड़ों को पार करके एक नगर में पहुंचे उस समय जोरावर सिंह की उम्र मात्र 7 वर्ष 11 माह तथा फतेह सिंह की उम्र 5 वर्ष 10 माह थी
In this village, he got a tour named Gangu, who worked as a cook with Guru Gobind Singh for 20 years, when his mother met Gujri Devi, she requested him to take her to her home. Together, Gangu agreed to go to the Brahmin’s house.
इस गांव में उन्हें गंगू नामक भ्रमण मिला जो 20 वर्षों तक गुरु गोविंद सिंह के पास रसोइए का काम करता था उसकी जब माता गुजरी देवी से भेंट हुई तो उसने उन्हें अपने घर ले जाने का आग्रह किया पुराना सेवक होने के नाते माताजी दोनों नन्हें बालकों के साथ गंगू ब्राह्मण के घर चलने को तैयार हो गई
Gangu Brahmin’s deceit and captive of both the son and his mother (गंगू ब्राह्मण का धोखा और दोनों पुत्र और उनकी माता का बंदी बनाना)
There were some gold pieces in the goods of Mata Gujri Devi, seeing that Gangu people just sold their faith, they stole the seals at night, but greed is a very bad force, it never fills the stomach of lust, but it keeps on increasing Gangu Brahmin’s In the greed of getting the plane, Modi reached the police station and told the Kotwal there that Guru Gobind Singh’s two sons and mother were hiding in his house.
माता गुजरी देवी के सामान में कुछ सोने की मोहरे थी जिन्हें देखकर गंगू लोग बस अपना ईमान बेच बेच बैठा उसने रात्रि को मुहरे चुरा ली परंतु लालच बड़ी बुरी बला होती है वासना का पेट कभी नहीं भरता अपितु वह तो बढ़ती ही जाती है गंगू ब्राह्मण की वासना और अधिक भड़क उठी विमान पाने की लालच में मोदी ने थाना पहुंचा और वहां के कोतवाल को बता दिया कि गुरु गोविंद सिंह के दो पुत्र और माता उसके घर में छुपी है
The Kotwal sent soldiers with Gangu and took Mata Gujri Devi along with both the children captive, being kept in Morinda’s jail for one night, the next day was taken to the Nawab of Sirhind, meanwhile Mata Gujri Devi took both the children to her grandfather Guru Tegh Bahadur. And continued to tell the heroic stories of father Guru Gobind Singh.
कोतवाल ने गंगू के साथ सिपाहियों को भेजा तथा दोनों बालकों सहित माता गुजरी देवी को बंदी बना लिया एक रात होने मोरिंडा की जेल में रखकर दूसरे दिन सरहिंद के नवाब के पास ले जाया गया इस बीच माता गुजरी देवी दोनों बालकों को उनके दादा गुरु तेग बहादुर और पिता गुरु गोविंद सिंह की वीरता पूर्ण कथाएं सुनाती रहे