All the people of the world want happiness and peace and whatever a person is doing in the world has only one main goal that it will give him happiness. Peace should be established Every year, for this purpose, a person who is dedicated to establish peace for the whole soul is awarded the Nobel Prize, but all people are in a state of confusion about how to establish this peace.
According to their conscience, they do some contemplation for this, but a unanimous path cannot be found, someone says that on the day when there will be only Islam or Christianity on this earth, everyone will be happy on that day, someone says if all Budhias come under the shelter of Mahavir.
If you go, there will be happiness and peace everywhere in India, there is a lot of such sects and gurus, all claim that happiness and peace in the world is possible only by following the path specified by them, but in these words and sects and so called and Buddhism and Jainism He doesn’t know how to adopt them All of these have their own limitations, there was a bloody struggle in the world for the establishment of the so-called religion, but nothing came out of the result and the peace is increasing day by day, it means that the people of the world are considering the measures they are considering. There is significance but not completeness, totality and comprehensiveness.
संसार के सभी व्यक्ति सुख एवं शांति चाहते तथा विश्व में जो कुछ भी व्यक्ति कर रहा है उसका एक ही मुख्य लक्ष्य है कि इससे उसे सुख मिलेगा व्यक्ति ही नहीं कोई भी राष्ट्र अथवा विश्व के संपूर्ण राष्ट्र मिलकर भी इस बात पर सहमत हैं कि विश्व में शांति स्थापित होना चाहिए प्रतिवर्ष इसी उद्देश्य से ही एक व्यक्ति को जो कि सर्व आत्मा शांति स्थापित करने के लिए समर्पित होता है उसको नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जाता है परंतु यह शांति कैसे स्थापित हो इस बात को लेकर सभी असमंजस की स्थिति में है सभी लोग अपने अपने विवेक के अनुसार इसके लिए कुछ चिंतन करते हैं परंतु एक सर्व सम्मत मार्ग नहीं निकल पाता कोई कहता है जिस दिन इस धरती पर केवल इस्लाम धर्म या ईसाई धर्म होगा उस दिन सभी सुखी हो जाएंगे कोई कहता है यदि सब बुधिया महावीर की शरण में आ जाए तो सर्वत्र सुख और शांति हो जाएगा भारत में तो ऐसे संप्रदायों एवं गुरुओं की भरमार है सभी यही दावा करते हैं कि उनके द्वारा निर्दिष्ट पथ पर चलकर ही विश्व में सुख शांति संभव है परंतु इन शब्दों एवं संप्रदायों एवं तथाकथित एवं बौद्ध एवं जैन धर्म में वह पता नहीं है जिससे कि उनको अपना सके इन सबकी अपनी अपनी सीमाएं हैं दुनिया में इन्हीं मत पंथ तथाकथित धर्म की स्थापना हेतु खूनी संघर्ष भी हुई परंतु परिणाम कुछ भी नहीं निकला और शांति दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है इसका अर्थ है कि दुनिया के लोग जिस उपायों पर विचार कर रहे हैं उन्हें सार्थकता तो है परंतु परिपूर्णता समग्रता एवं व्यापकता नहीं
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Why Ashtanga Yoga was needed ?
By adopting these popular sects, sects and so-called religions, where a person gets another little peace, by studying in the footsteps of these sects, the person gets caught in the urge to indulge in some such false superstitions, from which it becomes difficult to get out, as well as he is completely Not only this, even if a person adopts the so-called religion of Islam, these subjects etc., then sometimes the national unity and integrity are also questioned, the power of the nation itself starts ending many times. That religion also creates fear, but can’t there be something on which every human being in the world can walk, why there can be some such rules, beliefs, and rituals on which all the people of the whole world can walk so that no one person is the unity of the nation. Neither one’s personal self-interest is proved, which every person can adopt and one can get complete happiness, peace and happiness in life and one can get happiness, peace and happiness in life, yes it is possible.
अष्टांग योग की जरूरत क्यों पड़ी?
इन प्रचलित मत पंथ संप्रदाय तथा तथाकथित धर्म को अपनाने से जहां व्यक्ति को एक और थोड़ी शांति मिलती है वही इन संप्रदायों के पचड़े में पढ़कर व्यक्ति कुछ ऐसे झूठ अंधविश्वासों को रतिया आग्रह में फंस जाता है जिस से निकलना मुश्किल हो जाता है साथ ही वह पूर्ण सत्य से भी वंचित रह जाता है इतना ही नहीं इन इस्लाम इन विषयों आदि तथाकथित धर्म को यदि व्यक्ति अपना भी ले तो कई बार तो राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाता है राष्ट्र की सत्ता ही कई बार समाप्त होने लगती है ऐसी परिस्थिति में उस धर्म से भी भय बन जाता है परंतु क्या ऐसा कुछ नहीं हो सकता जिस पर दुनिया का हर इंसान चल सके क्यों ऐसे कुछ नियम मान्यताएं उमरिया अदाएं हो सकती है जिस पर पूरी दुनिया के सभी व्यक्ति चल सके जिससे किसी भी व्यक्ति राष्ट्र की एकता नहीं होती हो ना ही किसी का व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्ध होता है जिसके प्रत्येक व्यक्ति अपना सकता हो और जीवन में पूर्ण सुख शांति आनंद प्राप्त कर सकता हो सकता है और जीवन में सुख शांति और आनंद प्राप्त कर सकता है हां यह संभव है
How Ashtanga Yoga helps a person to attain happiness, peace and bliss?
Yes, such a path on which every human being can walk fearlessly with complete freedom and can achieve complete happiness, peace and joy in life, this is the post of Ashtanga Yoga propounded by Maharishi Patanjali, this is not a sect or sect but There is a complete way of living life, if the people of the world are really serious about the fact that peace must be established in the world, then the only solution is to follow Ashtanga Yoga.
Who was Maharishi Patanjali? Maharishi Patanjali was a sage of ancient India, considered to be the author of many important Sanskrit texts, of which the Yoga Sutra is his greatest work, which is considered as the original text of Yoga philosophy. And texts on Ayurveda Some scholars are of the opinion that these three texts should be written by the same person, their belief is that it is the creations of different people, Patanjali wrote his commentaries on the basis of water, which gave the name of Mahabhashya. |
मनुष्य को सुख शांति और आनंद प्राप्त करने में अष्टांग योग कैसे मदद करता है?
जी हां एक ऐसा पथ जिस पर निर्भय होकर पूर्ण स्वतंत्रता के साथ दुनिया का प्रत्येक इंसान चल सकता है और जीवन में पूर्ण सुख शांति एवं आनंद को प्राप्त कर सकता है यह महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग का पद यह कोई मत पंथ या संप्रदाय नहीं अपितु जीवन जीने का संपूर्ण पद्धति है यदि संसार के लोग वास्तव में इस बात को लेकर गंभीर हैं कि विश्व में शांति स्थापित होनी ही चाहिए तो इसका एकमात्र समाधान है अष्टांग योग का पालन करना
महर्षि पतंजलि कौन थे? महर्षि पतंजलि प्राचीन भारत के एक मुनि थे संस्कृत के अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथों का रचयिता माना जाता है इनमें से योग सूत्र उनकी महानतम रचना है जो योग दर्शन का मूल ग्रंथ के रूप में माना जाता है भारतीय साहित्य में पतंजलि द्वारा रचित मुख्य ग्रंथ योगसूत्र अष्टाध्याई पर भाषा और आयुर्वेद पर ग्रंथ कुछ विद्वानों का मत है कि यह तीनों ग्रंथ एक ही व्यक्ति ने लिखिए उनकी धारणा है कि यह विभिन्न व्यक्तियों की कृतियां है पतंजलि ने पानी के आधार पर अपने टीका लिखिए जिससे महाभाष्य का नाम दिया |
Benefits of Maharishi Patanjali Ashtanga Yoga
It is only through yoga that individual and social harmony, physical health, intellectual awakening, mental peace, peace and tranquility of the soul can be felt. Now let us briefly consider this Ashtanga Yoga and attempt to understand it through Yoga Sutras by Maharishi Patanjali.
Through Ashtanga Yoga, human beings attain happiness and prosperity and live a long life. The benefits of Ashtanga yoga should be known to every human being so that he can take advantage of it and enjoy his life in the dryness of his life because we know that our life is on this earth for some time and How we live this life with joy, it all depends on the human being, to keep the body healthy, it should be used in our life.
महर्षि पतंजलि अष्टांग योग के फायदे
योग के द्वारा ही व्यक्ति एवं सामाजिक समरसता शारीरिक स्वास्थ्य बौद्धिक जागरण मानसिक शांति आत्मा की शांति एवं शांति की अनुभूति हो सकती है अब हम संक्षेप में इस अष्टांग योग के संबंध में विचार करते हैं और महर्षि पतंजलि द्वारा योग सूत्रों के माध्यम से इसे समझने का प्रयास करते हैं
अष्टांग योग के माध्यम से मनुष्य सुख और समृद्धि को प्राप्त करते हैं तथा लंबी आयु जीते हैं मनुष्य को अपने जीवन को दीर्घायु बनाने के लिए अष्टांग योग का जरूर उपयोग करना चाहिए यह योग मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए तथा मनुष्य को पूर्ण रूप से विकसित होने में उपयोगी साबित होता है अष्टांग योग के फायदे प्रत्येक मनुष्य को पता होनी चाहिए ताकि वह इसका फायदा लेकर अपने जीवन का अपने जीवन की सूखी का अपने जीवन का आनंद ले सके क्योंकि हम जान रहे हमारी जीवन इस धरती पर कुछ समय के लिए होती है और हम इस जीवन को किस प्रकार से आनंद के साथ जीते हैं यह सभी चीजें मनुष्य पर निर्भर करती है शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उपयोग कर उसे अपने जीवन में उतारना चाहिए
What are the types of Ashtanga Yoga composed by Maharishi Patanjali?
Maharishi Patanjali writes through the Yoga Sutras that there are eight main parts of Ashtanga Yoga, which we know as Yama, Niyama, Asana, Pranayama, Pratyahara, Dharana, Dhyana and Samadhi.
महर्षि पतंजलि द्वारा रचित अष्टांग योग कितने प्रकार के होते हैं?
महर्षि पतंजलि योग सूत्र ओं के माध्यम से लिखते हैं अष्टांग योग के प्रमुख 8 अंग होते हैं जिसे हम
यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान तथा समाधि के नाम से जानते हैं
Ashtanga Yoga Conclusion
No person can be a yogi or Ashtanga yoga not only for yogis but whoever wants to be completely happy in life himself and wants to see only beings happy It is necessary for all of them to follow Ashtanga Yoga. From normal behavior to proper system of spirituality including meditation and samadhi, any person who is engaged in the search of his existence and wants to get acquainted with the truth of life must follow Ashtanga Yoga Yama and Niyam of Ashtanga Yoga. are the basic.
अष्टांग योग का निष्कर्ष
यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान तथा समाधि इंटरव्यू गांव का पालन किए बिना कोई भी व्यक्ति योगी नहीं हो सकता या अष्टांग योग केवल योगियों के लिए ही नहीं अपितु जो भी व्यक्ति जीवन में स्वयं पूर्ण सुखी होना चाहता है तथा प्राणी मात्र को सुखी देखना चाहता है उन सब के लिए अष्टांग योग का पालन अनिवार्य है अष्टांग योग धर्म आध्यात्मिक मानवता एवं विद्वान की प्रत्येक कसौटी पर खरा उतरा है इस दुनिया के खूनी संघर्ष को यदि किसी उपाय से रोका जा सकता है तो वह अष्टांग योग ही है अष्टांग योग में जीवन के सामान्य व्यवहार से लेकर ध्यान एवं समाधि सहित अध्यात्म की उचित व्यवस्था का एक अनुपम समावेश है जो भी व्यक्ति अपने अस्तित्व की खोज में लगा है तथा जीवन सत्य से परिचित होना चाहता है उसे अष्टांग योग की अवश्य ही पालन करना चाहिए यम और नियम अष्टांग योग के मूल आधार हैं