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हम भारतीय हैं , पहले और अंत में . || We are Indians, firstly and lastly. – B. R. Ambedkar
पति- पत्नी के बीच का सम्बन्ध घनिष्ट मित्रों के सम्बन्ध के सामान होना चाहिए . || The relationship between husband and wife should be one of closest friends. – B. R. Ambedkar
जीवन लम्बा होने की बजाये महान होना चाहिए . || Life should be great rather than long. – B. R. Ambedkar
हिंदू धर्म में, विवेक, कारण, और स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं है. || In Hinduism, conscience, reason and independent thinking have no scope for development. – B. R. Ambedkar
मैं किसी समुदाय की प्रगति महिलाओं ने जो प्रगति हांसिल की है उससे मापता हूँ . || I measure the progress of a community by the degree of progress which women have achieved. – B. R. Ambedkar
मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारा सीखाये . || I like the religion that teaches liberty, equality and fraternity. – B. R. Ambedkar
बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए . || Cultivation of mind should be the ultimate aim of human existence. – B. R. Ambedkar
हमारे पास यह स्वतंत्रता किस लिए है ? हमारे पास ये स्वत्नत्रता इसलिए है ताकि हम अपने सामाजिक व्यवस्था , जो असमानता , भेद-भाव और अन्य चीजों से भरी है , जो हमारे मौलिक अधिकारों से टकराव में है को सुधार सकें. || What are we having this liberty for? We are having this liberty in order to reform our social system, which is full of inequality, discrimination and other things, which conflict with our fundamental rights. – B. R. Ambedkar
सागर में मिलकर अपनी पहचान खो देने वाली पानी की एक बूँद के विपरीत , इंसान जिस समाज में रहता है वहां अपनी पहचान नहीं खोता . इंसान का जीवन स्वतंत्र है . वो सिर्फ समाज के विकास के लिए नहीं पैदा हुआ है , बल्कि स्वयं के विकास के लिए पैदा हुआ है . || Unlike a drop of water which loses its identity when it joins the ocean, man does not lose his being in the society in which he lives. Man’s life is independent. He is born not for the development of the society alone, but for the development of his self. – B. R. Ambedkar
यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शाश्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए . || The sovereignty of scriptures of all religions must come to an end if we want to have a united integrated modern India. – B. R. Ambedkar
जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हांसिल कर लेते , क़ानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके किसी काम की नहीं . || So long as you do not achieve social liberty, whatever freedom is provided by the law is of no avail to you. – B. R. Ambedkar
राजनीतिक अत्याचार सामाजिक अत्याचार की तुलना में कुछ भी नहीं है और एक सुधारक जो समाज को खारिज कर देता है वो सरकार को ख़ारिज कर देने वाले राजनीतिज्ञ से कहीं अधिक साहसी हैं . || Political tyranny is nothing compared to the social tyranny and a reformer who defies society is a more courageous man than a politician who defies Government. – B. R. Ambedkar
मनुष्य नश्वर है . उसी तरह विचार भी नश्वर हैं . एक विचार को प्रचार -प्रसार की ज़रुरत होती है , जैसे कि एक पौधे को पानी की . नहीं तो दोनों मुरझा कर मर जाते हैं . || Men are mortal. So are ideas. An idea needs propagation as much as a plant needs watering. Otherwise both will wither and die. – B. R. Ambedkar
क़ानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा ज़रूर दी जानी चाहिए . || Law and order are the medicine of the body politic and when the body politic gets sick, medicine must be administered. – B. R. Ambedkar
आज भारतीय दो अलग -अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित हो रहे हैं . उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता , समानता , और भाई -चारे को स्थापित करते हैं . और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं . || Indians today are governed by two different ideologies. Their political ideal set in the preamble of the Constitution affirms a life of liberty, equality and fraternity. Their social ideal embodied in their religion denies them. – B. R. Ambedkar
इतिहास बताता है कि जहाँ नैतिकता और अर्थशाश्त्र के बीच संघर्ष होता है वहां जीत हमेशा अर्थशाश्त्र की होती है . निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल ना लगाया गया हो . || History shows that where ethics and economics come in conflict, victory is always with economics. Vested interests have never been known to have willingly divested themselves unless there was sufficient force to compel them. – B. R. Ambedkar
एक सफल क्रांति के लिए सिर्फ असंतोष का होना पर्याप्त नहीं है .जिसकी आवश्यकता है वो है न्याय एवं राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों में गहरी आस्था. || For a successful revolution it is not enough that there is discontent. What is required is a profound and thorough conviction of the justice, necessity and importance of political and social rights. – B. R. Ambedkar
हर व्यक्ति जो मिल के सिद्धांत कि एक देश दूसरे देश पर शाशन नहीं कर सकता को दोहराता है उसे ये भी स्वीकार करना चाहिए कि एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शाशन नहीं कर सकता . || Every man who repeats the dogma of Mill that one country is no fit to rule another country must admit that one class is not fit to rule another class. – B. R. Ambedkar
लोग और उनके धर्म सामाजिक मानकों द्वारा; सामजिक नैतिकता के आधार पर परखे जाने चाहिए . अगर धर्म को लोगो के भले के लिए आवशयक मान लिया जायेगा तो और किसी मानक का मतलब नहीं होगा . || People and their religion must be judged by social standards based on social ethics. No other standard would have any meaning if religion is held to be necessary good for the well-being of the people. – B. R. Ambedkar
एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है . || A great man is different from an eminent one in In that he is ready to be the servant of the society. – B. R. Ambedkar – B. R. Ambedkar