मोतियाबिंद क्या है, मोतियाबिंद के कारण, लक्षण और उपचार क्या है?

मोतियाबिंद – यह एक आंख की सबसे ज्यादा होने वाली बीमारियों में से एक है | यह बीमारी लगभग सभी उम्र के मनुष्य को होता है, चाहे वह बच्चे हो, जवान हो या फिर बूढ़े को तो होता ही है | आँखें ईश्वर का दिया हुआ एक अद्वितीय वरदान है जो जीवन को सुखमय बनाता है | आँख से मनुष्य दुनिया के सारे चीजों को देखता है, समझता है और पढ़ता है और इतना ही नहीं उस से प्राप्त होने वाले सारे सुखों को ग्रहण करता है | यदि आंख किसी कारण से खराब हो जाता है अर्थात आंख से दिखाई नहीं देता है तो वैसी हालत में उन मनुष्य को सारे दुखो का सामना करना पड़ता है |

मोतियाबिंद बीमारी में क्या होता है

मोतियाबिंद के बीमारी में भी वैसा ही होता है | पहले धीरे-धीरे आंख की रोशनी कम होती जाती है तो आदमी चश्मा की सहायता से देखना आरंभ करता है और एक समय ऐसा भी आता है जब चश्मा काम करना बंद कर देता है | इसके बाद मनुष्य के सामने हमें प्रश्न आता है कि अब क्या करें | उसके सामने एक ही विकल्प दिखाई देता है | वह है मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराना और ऑपरेशन करा कर लेंस लगाना |

इस तरह लोग लेंस लगाकर फिर अपना काम पहले के ही तरह करते हैं | लेकिन ऐसा देखा गया है कि बहुत से ऐसे रोगी है जिनको लेंस लगाने के बाद अच्छे से दिखाई नहीं देता है और बहुत से ऐसे रोगी भी है जिनको दिखाई भी देता है | जिन को दिखाई नहीं देता है उनको पहले की ही तरह समस्या बनी रहती है और उनका जीवन दुख से भर जाता है |

मोतियाबिंद के वैसे रोगी जिनको लेंस लगाने के बाद भी दिखाई नहीं देता है उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है क्यूंकि अब आप सभी से यह बात कहते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि ईश्वर की असीम कृपा से मोतियाबिंद का सफल इलाज होम्योपैथी के द्वारा संभव हो गया है | सैकड़ों मरीजों पर प्रयोग करने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि यदि मोतियाबिंद के रोगी समय पर मेरे क्लीनिक पर आ जाएं तो उनका मोतियाबिंद का इलाज बहुत ही सरल तरीके से बिना ऑपरेशन के होम्योपैथी दवा द्वारा निश्चित रूप से सफल हो जाएगा |

अब प्रश्न उठता है कि क्या सभी मरीज मेरे क्लीनिक में आ सकते हैं तो इसका जवाब है नहीं इसलिए मोतियाबिंद क्योर सेंटर की ओर से ऑनलाइन इलाज की व्यवस्था की गई है | ऑनलाइन व्यवस्था के अंतर्गत मरीजों को फॉर्म भरना पड़ता है फॉर्म भरने के बाद मोतियाबिंद क्योर सेंटर के ईमेल पर भेजना पड़ता है इसके बाद डॉक्टर साहब उस फॉर्म को देखकर रोगी से बात करने के लिए समय निर्धारित करते हैं | इसके बाद डाक के माध्यम से दवा मरीज के घर पर भेज दिया जाता है | डॉक्टर साहब का फी, दवा का खर्च और डाक खर्च फॉर्म भरने के बाद बता दिया जाता है |

जानते है मोतियाबिंद क्या है

आँख के लेंस के खराबी के कारण जो आँख की दृष्टि की प्रगतिशील और दर्दरहित हानि ही मोतियाबिंद कहलाता है या कहा जाता है | साधारण भाषा में कहें तो आँख की वह बिमारी, जिसमे आँख की दृष्टि की प्रगतिशील और दर्दरहित हानि होती है | मोतियाबिंद एक आँख की बीमारी है | यह बीमारी प्रायः सभी उम्र के लोगो को हो जाया करती है लेकिन बच्चो को कम मात्रा में होती है और 50 वर्षो से ऊपर वाले लोगो को ज्यादा मात्रा में होती है | सबसे पहले हम यह बताना चाहते है कि मोतियाबिंद है क्या | इस बिमारी के बारे में जानने से पहले आँख के संरचना के बारे में जान लें |

आंखों के विभिन्न भाग होते हैं जिसमें लेंस, कॉर्निया, रेटिना, सिलियरी मांसपेशियां, गोलक, ऑप्टिक तंत्रिका आदि भाग आते हैं | अब इनमे से एक भाग लेंस है | लेंस ऐसा भाग है जो बिल्कुल पारदर्शी होता है | इसी लेंस से प्रकाश की किरण जाती है तो दिखाई देता है | यदि यह लेंस साफ है तो अच्छा दिखाई देगा लेकिन यदि वह किसी कारण से गंदा हो जाता है अर्थात अपारदर्शी हो जाता है तो दिखाई नहीं देता है | इसी को हम मोतियाबिंद कहते हैं |

मोतियाबिंद होने के क्या कारण है

आमतौर पर मोतियाबिंद होने के कुछ कारण महत्पूर्ण है | निम्नलिखित कारण मोतियाबिंद होने के प्रमुख कारणों में से है |

  • आँख में चोट के कारण मोतियाबिन्द हो सकता है।
  • लंबे समय तक कॉर्टिकोस्टेरॉइड सेवन करने से भी मोतियाबिंद होता है |
  • मधुमेह भी मोतियाबिंद होने के प्रमुख कारणों में से एक है |
  • खराब पोषण के कारण भी मोतियाबिंद होता है |
  • लंबे समय तक धूम्रपान करने के कारण भी होता है |
  • गैलेक्टोज का खराब पाचन भी एक कारणों में से एक है |
  • शरीर में पानी की कमी या पानी कम पीने के कारण भी होता है |
  • पेट की समस्या भी है मोतियाबिंद का कारको में से एक है |

डॉ बर्नेट अपनी पुस्तक ‘Curability of Cataract‘ में लिखते हैं कि मोतियाबिन्द व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य में गिरावट होने के कारण होता है । यह केवल आंख का रोग नहीं है, साधारण स्वास्थ्य के गिरने का परिणाम है | स्वास्थ्य बना रहे तो यह नहीं होना चाहिये। मोतियाबिन्द के अनेक कारणों में से गठिया, वात-व्याधि, सिफ़िलिस आदि कुछ कारण हैं जिनमें सुधार हो जाय, तो इसमें भी सुधार हो जाता है। इसके अतिरिक्त डॉ० बर्नेट की सम्मति में इसके तीन कारण मुख्य हैं । वे तीन कारण निम्न हैं :-

  • अधिक नमक का खाना
  • अधिक मीठे का खाना
  • कठोर जल का पीना

अधिक नमक खाने से मोतियाबिंद

डॉ बर्नेट ने डॉ कुंडे के परीक्षणों का उल्लेख किया है जिनसे सिद्ध होता है कि जब मेंढक, बिल्ली आदि को नमक के इंजेक्शन दिये गये तब उन्हें फ़ौरन या कुछ दिन में मोतियाबिंद हो गया। यह अनुभव की बात है कि नमक से अंग शुष्क हो जाता है। आंख के लेंस पर भी अधिक नमक खाने का यही प्रभाव होता है – लेंस सूक-सा जाता है, कठोर हो जाता है, इसी से मोतियाबिन्द हो जाता है, लैंस का पानी, उसकी तराई चली जाती है ।

अधिक मीठा खाने से मोतियाबिंद

डॉ० बर्नेट लिखते हैं कि डाय बिटीज के मरीजों को प्रायः कैटेरेक्ट हो जाता है क्योंकि उनके रुधिर में शुगर की मात्रा अधिक होती है। 1860 में ‘अमेरिकन जरनल ऑफ़ दी मैडिकल सायन्सेज नामक पत्रिका में डॉ० रिचर्डसन ने अपने परीक्षण लिखे थे जिनसे सिद्ध होता है कि जिन प्राणियों को मात्रा से अधिक शुगर दिया गया उनके आंख का लेंस अपारदर्शक हो गया।

कठोर जल पीने से मोतियाबिंद

कठोर-जल में चूना मिला होता है, और प्राय: देखा गया है कि जो लोग पहाड़ों में रहते हैं, झरनों के चूना मिले जल को पीते हैं, उन्हें मोतियाबिन्द की शिकायत अधिक होती है।

उक्त कारणों से मोतियाबिन्द से आंखों की रक्षा के लिये नमक तथा शुगर कम खानी चाहिये और ‘कठोर-जल’ पीने के स्थान में ‘मीठा-जल’ पीना चाहिये, जहां मीठा-जल नहीं मिलता वहां रसदार फलों का इस्तेमाल करना चाहिये।

मोतियाबिंद के लक्षण क्या है

चलिए जानते है मोतियाबिंद के लक्षण क्या-क्या है |

  • रात्रि या रात को देखने में दिक्कत होती है |
  • प्रगतिशील और दर्द रहित आँख की दृष्टि की हानि।
  • प्रारंभिक अवस्था में व्यक्ति को निकट दृष्टि दोष हो जाता है।
  • रोशनी के कारण मोतियाबिंद के मरीजों को गाड़ी चलाना मुश्किल हो जाता है |
  • यदि मोतियाबिंद का इलाज सही समय पर न हो तो रोगी अंधा भी हो सकता है।
  • आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कमजोर होती जाती है और चश्मे की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ती जाती है।
  • आँख की दृष्टि आमतौर पर धुंधली या मंद हो जाती है और रोशनी की चमक या सूरज की प्रकाश से परेशानी होती है।
  • तेज रोशनी में, पुतली उस रास्ते को संकुचित और संकीर्ण कर देती है जिससे रोशनी आंख में प्रवेश करती है और प्रकाश आसानी से एक से नहीं गुजर सकता है जो केंद्र में स्थित है।

मोतियाबिंद के रोकथाम

चलिए जानते है इसके रोकथाम क्या-क्या है |

  • ज्यादा न पिएं
  • धूम्रपान नहीं करना उपयोगी है
  • स्टेरॉयड के उपयोग को कम करने की कोशिश करें
  • मधुमेह वाले लोगों को अपने मधुमेह पर नियंत्रण रखना चाहिए।
  • पराबैंगनी प्रकाश को फ़िल्टर करने के लिए एक कोटिंग के साथ चश्मे का लगातार उपयोग आंखों को तेज धूप से बचाता है और मोतियाबिंद को रोकने में मदद कर सकता है।
  • विटामिन ए और सी से युक्त आहार, ऐसे पदार्थ को कैरोटीनॉयड के रूप में जाना जाता है, पालक जैसी सब्जियाँ मोतियाबिंद से रक्षा कर सकता है, गाजर आंखों के लिए अच्छा है और मोतियाबिंद को रोकता है।

मोतियाबिंद का होम्योपैथिक उपचार

होम्योपैथिक उपचार – होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली में इसका इलाज सही और सटीक है | मोतियाबिंद के प्रारंभिक अवस्था में तो तुरंत लाभ हो जाता है लेकिन पुराना होने पर कुछ ज्यादा समय लग जाता है | होम्योपैथी में कोई भी रोगी के रोग का इलाज उस रोग के लक्षण के अनुसार किया जाता है | इसलिए किसी भी रोगी के चिकित्सा के समय उसका लक्षण मिलाना जरूरी है | इसलिए हमने संभावित लक्षणों का है एक सूची तैयार किया जिसका प्रारूप एक फार्म के रूप में किया हुआ है जो इस वेबसाइट पर उपलब्ध है |

मोतियाबिंद क्योर सेंटर के उपचार का तरीका

  • सबसे पहले आप फार्म को भरें और सबमिट करें |
  • उस फार्म को डॉक्टर साहब देखेंगे |
  • इसके बाद आपके मोबाइल नंबर पर यदि आवश्यकता पड़ी तो पूछताछ करेंगे उसका माध्यम वीडियो कॉल होगा |
  • फिर पूरी जानकारी के बाद आप को यह सूचित किया जायेगा कि आपका दवा का कीमत कितना हुआ |
  • दवा का कीमत, डॉक्टर साहब का फीस, पोस्टल खर्च जमा करना होगा जो पहले सूचित कर दिया जाएगा |
  • दवा डाक के माध्यम से आपके यहां भेज दिया जाएगा |

हमारे इलाज की विशेषताएँ

  • हमारे इलाज से पंद्रह दिनों में मोतियाबिंद बीमारी ठीक होना शुरू हो जाता है |
  • हमारे दवा का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है |
  • यदि आप कोई दूसरी दवा खा रहे है तो आप उसके दो घंटे बाद मेरी दवा खा सकते है |
  • मोतियाबिंद के अलावे आँख के अन्य रोग जैसे – कंजक्टिवाइटिस, दोहरी दृष्टि, पुतली का सिकुड़ना या फैलना आदि रोगों का भी इलाज होता है |

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